उद्योग धंधों के विकास के लिए आवश्यकता है सस्ती बैंक ब्याजदरों की
वित्त मंत्री निर्मला निर्मला सीतारमण ने एसबीआई के अधिवेशन में उद्योगों के विकास के लिए सस्ती ब्याज दरों की आवश्यकता जताई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार उद्योग के विकास के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी ब्याज दरो को सस्ता करना आवश्यक है। भारत निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है ऐसे में नए उद्योगों के निर्माण के लिए सस्ती ब्याज दरों की आवश्यकता है जिससे लघु और सूचना उद्योगकर्मी भी ब्याज लेकर अपने व्यवसाय को किसी भी उद्योग को आगे बढ़ा सके।
निर्मला सीतारमण्य आगे कहा कि खाने की चीजों जैसे आलू प्याज टमाटर लहसुन आदि में वृद्धि होने के कारण महंगाई दर बड़ी है जिसके कारण व्यापारिक प्रतिष्ठान व कारखानों में मुद्रास्फीति का दबाव बड़ा है ऐसे में ब्याज दरों की बढ़ने से व्यवसायिक संस्थानों में गिरावट देखी जा रही है। इस स्थिति से उबर के लिए बैंकों को अपनी ब्याज दरों को बढ़ने से रोकने की आवश्यकता है। निर्मला सीतारमण जी ने कहा कि यह स्थिति अधिक समय तक नहीं रहेगी सरकार महंगाई रोकने के अपनी सभी प्रयासों को करने के लिए अग्रसर है। महंगाई का दुष्प्रभाव उद्योग धंधों पर नहीं पढ़ने दिया जाएगा।।
छोटे उद्योगों के लिए उन्होंने वर्ष 2025 के लिए 5.75 लाख करोड़ , 26 के लिए 6.12 लाख करोड़ व वर्ष 2027के लिए 7 लाख करोड़ तक करण देने का कर्ज देने का टारगेट तय किया है।
निर्मला सीतारमण जी का यह कथन आशा की किरण लेकर आया है क्योंकि ब्याज दरों के बढ़ने से बड़े और छोटे सभी उद्योग धंधे पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है। लोग अपने संस्थाओं को बेचकर पैसे को किसी और जगह पर निवेश कर रहे हैं पॉलिसियां ले रहे हैं या फिर बैंक में जमा कर रहे हैं। साधारण जनता को विश्वास में लाने के लिए और उन्हें देश के विकास में योगदान देने के लिए यह आवश्यक है कि बैंक अपनी ब्याज दर कम करें जिससे नए और लघु उद्यमी भी अपने कार्य को मन लगाकर कर सके। हाल के वर्षों में लोग अपने लगे लगाए कारखाने को बेचकर या तो विदेश शिफ्ट हो रहे हैं या फिर उन पैसों को बैंक में जमा कर उसके ब्याज से अपना काम चला रहे हैं। उन्हें लगता है कि किसी कारखाने को चलाने से ज्यादा अच्छा है कि उसे बेचकर उस पैसे के ब्याज से अपना जीवन निर्वाह कर लिया जाए। ऐसी स्थिति देश के विकास के लिए बिल्कुल भी लाभदायक नहीं है।
निष्कर्ष
हमारा देश विकास की तरफ कदम बढ़ा रहा है ऐसे में हमें निरंतर और नए उद्योग धंधों की आवश्यकता है जिससे हमारे देश का सर्वांगीण विकास हो सके। हमारी युवा जनसंख्या के पास अगर काम नहीं होगा तो देश में बेरोजगारी बढ़ेगी। बेरोजगारी बढ़ाने के साथ-साथ ही अपराध और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। ऐसे में देश की सरकार और बैंकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाए। पुराने और बड़े व्यवसायों के साथ-साथ छोटे और नए उद्यमियों की सहायता के लिए नई योजनाएं बनाएं। इन सभी पहलुओं के लिए सबसे अधिक आवश्यक है कि बैंक अपनी ब्याज दरों को और न बढने दे। जब सस्ती ब्याज दरें होगी तो आसानी से लोन लिया जा सकेगा। सस्ती ब्याज दरों के साथ बैंकों को लोन देने की प्रक्रिया को भी सुगम बनाना होगा। इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के साथ बैंकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि वह सुपात्र को ही लोन दे। जब बैंक की ब्याज दरें बढ़ती है तो लोन लेने वाले व्यक्ति तनाव में रहने लगते हैं और वह लोन जल्दी से जल्दी चुकाना चाहते हैं। यह स्थिति बैंकों के लिए बिल्कुल भी सुविधाजनक नहीं है अगर कोई भी व्यक्ति अपना कर्ज समय से पूर्व चूका देगा तो यह स्थिति बैंकों के लिए लंबे समय तक खुद को बचाए रखने लायक नहीं होगी। ऐसा व्यक्ति के लिए नया लोन लेना भी अब मुश्किल होने लगता है पहले ही वह बैंक की बढ़ती ब्याज दर के कारण अपने व्यवसाय में कटौती कर बैंक की सारी किस्तें जल्दी चुकाता है ऐसे में वह किसी नए काम को शुरू करने के लिए नया लोन लेने का भी इच्छुक नहीं रहता। ऐसे व्यक्ति अपने अनुभव अन्य व्यक्तियों से साझा करते हैं तो नए व्यक्ति भी बैंक से कर्जा लेकर काम शुरू करने से दूर रहना ही उचित समझते हैं। यह दोनों परिस्थितियां ही बैंकों के लिए लंबे समय तक टिके रहने के लिए हानिकारक होती है।