📍 घटनास्थल पर मातम: श्रद्धा का उत्सव बना चीखों का समंदर
गोवा के प्रसिद्ध श्री देवी लायराई मंदिर, शिरगांव में शनिवार तड़के लायराई देवी की वार्षिक यात्रा के दौरान भयंकर भगदड़ मच गई। इस हादसे में कम से कम 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों की संख्या में भक्त ‘अग्निदिव्या’ अनुष्ठान में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
🔥 क्या है लायराई देवी यात्रा और अग्निदिव्या अनुष्ठान?
लायराई देवी, जिन्हें गोवा की लोक परंपरा में माता पार्वती का अवतार और ‘सप्त देवियों’ में से एक माना जाता है, की यह वार्षिक यात्रा धार्मिक उत्साह और पवित्र अनुष्ठानों के लिए जानी जाती है। यात्रा का मुख्य आकर्षण होता है ‘अग्निदिव्या’—एक प्राचीन अनुष्ठान जिसमें श्रद्धालु (धोंड) जलते अंगारों पर नंगे पांव चलकर देवी से कृपा की प्रार्थना करते हैं।
यह धार्मिक उत्सव सिर्फ गोवा ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और कर्नाटक से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
📰 कैसे हुआ हादसा?
घटना उस समय हुई जब मंदिर परिसर में अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा और घबराहट फैल गई। अव्यवस्थित भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। चश्मदीदों ने बताया कि हजारों की भीड़ में शांति अचानक चीख-पुकार में बदल गई। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और कई लोग कुचले गए।
🏥 प्रशासन की प्रतिक्रिया और राहत कार्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा:
“शिरगांव में भगदड़ से जानमाल की हानि अत्यंत दुखद है। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना, और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से बात कर स्थिति की जानकारी ली और हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने घायलों से अस्पताल में मुलाकात की और ट्वीट कर कहा:
“मैं व्यक्तिगत रूप से हर कदम की निगरानी कर रहा हूं। केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है।”
🛑 पुनरावलोकन और प्रशासनिक जवाबदेही
हर साल यह यात्रा भारी भीड़ को आकर्षित करती है, लेकिन इस बार सुरक्षा इंतजामों की कमी ने एक धार्मिक उत्सव को त्रासदी में बदल दिया। प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए विशेष योजना बनाने की बात कही है।
📌 निष्कर्ष: श्रद्धा के बीच सुरक्षा की अनदेखी बनी भारी
लायराई देवी यात्रा, जहां श्रद्धा अपने चरम पर होती है, वहां भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की चूक ने कई परिवारों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है। सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए यह चेतावनी है कि धार्मिक आस्था के साथ सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।