कल 30 मार्च से चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाले हैं। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस को हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ भी कहा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि में नौ में से एक दिन घट रहा है और नवरात्र 8 दिन की ही होंगें। इस बार नवरात्रि रविवार 30 मार्च से शुरू होकर अगले रविवार 5अप्रेल को समाप्त होंगे। आईए जानते हैं क्यों होने वाले हैं इस बार नवरात्रि 8 दिन के ही और क्या होगी नवरात्रि की पूजा विधि, क्या समय होगा घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
क्यों हो रहे हैं इस बार नवरात्रि 8 दिन के ही ?
इस बार पंचमी तिथि की अवधि कम है अर्थात पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। जिसके कारण अष्टमी और नवमी दोनों एक ही दिन होने वाली है। इसलिए 5 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी दोनों तिथियों का पूजन एक साथ ही होगा।
क्या होगा घटस्थापना का शुभ मुहूर्त?
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा 29 मार्च को दोपहर 4:27 से प्रारंभ हो जाएगी। पतिप्रदा का समापन 30 मार्च को दोपहर 12:49 पर होगा। उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए 30 मार्च को ही चैत्र प्रतिपदा का प्रथम दिन माना जाएगा।
क्या होगा घट स्थापना का शुभ मुहूर्त?
कल 30 मार्च को घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:13 से सुबह 10:22 तक का है दोपहर में अभिजीत मुहूर्त भी घट स्थापना के लिए अच्छा मुहूर्त माना जाता है यह दोपहर 12:01 से 12:50 तक का है।
कैसे करें पूजा?
नवरात्रि की पूजा के लिए सबसे पहले जिस जगह पर आपको देवी मां की मूर्ति और कलश स्थापित करना है वहां पर उस जगह को साफ कर ले। वहां पर एक चौकी स्थापित कर दे। जिस जगह भी आपको मां का कलश रखना है वहां पर एक लाल रंग का वस्त्र बिछा दें। अगर आप जौ बोते हैं तो एक मिट्टी के बर्तन में किसी शुद्ध जगह की मिट्टी लाकर पहले उसे डालें और फिर उसके ऊपर थोड़े से जौ डाल दे। कलश स्थापना के लिए एक तांबे या पीतल के कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, चावल के कुछ दाने जो की खंडित ना हो वह डालें। कुछ दक्षिणा के रूप में सिक्के डालें, दूर्वा घास डालें। चौकी पर जहां पर आपको कलश रखना है वहां पर पहले चावल के आटे से या गेहूं के आटे से एक अल्पना, रंगोली स्वास्तिक जो भी आप आसानी से बना सके बना ले। उसके ऊपर एक चावल का ढेर बनाकर रख दे। फिर उसके ऊपर कलश रख दे। कलश के ऊपर आम के पांच पत्ते रख दें। इन पत्तों के ऊपर कलावा बांधकर नारियल रख दें। अगर आप अखंड तेल का दिया जलाते हैं तो एक बड़े दिए में दो तेल की बतियां बनाकर रख दे। यह आप पर निर्भर करता है कि आप 9 दिन देसी घी का दिया जलाना चाहते हैं या सरसों के तेल का।
पूजा विधि
मां दुर्गे की पूजा अर्चना करने से पहले भगवान गणेश का नाम ले। अखंड दिए को जलाएं अगर आप रोज हवन करते हैं तो हवन कुंड में पहले लकड़ीयां एक साथ लगा ले। धूपबत्ती की 2-3 कटोरी जैसी बनाकर उसमें कपूर रख ले और उसे लकड़ियों के ऊपर अलग-अलग जगह रख दे उसके बाद पहले हाथ पर कलावा बांध लें। आचमन करें फिर पहले लांगूरा बालवीर की और फिर दुर्गे मां के नाम की दो लौंग जोड़ों से हवन कुंड में समर्पित करें और फिर दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का, गायत्री मंत्र का महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हुए हवन करें।आरती करके पूजा का समापन करें।
क्या होंगे चैत्र नवरात्रि के नियम?
नवरात्रि के समय तामसिक भोजन का प्रयोग ना करें।
मांसाहार व शराब का प्रयोग ना करें।
चमड़े से बनी चीजों का प्रयोग ना करें
काले रंग के वस्त्रों का प्रयोग ना करें।