फ्रांस में 12 महीने में ही फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की सरकार गिर गई है आइए जानते हैं इस बारे में
फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की 12 महीने में ही गिरी सरकार
फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की 12 महीने में ही सरकार गिर गई है। फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए हैं। फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू की एक भूल उन पर भारी पड़ गई।
फ्रांस के प्रधानमंत्री नहीं हासिल कर पाए विश्वास मत
सोमवार को फ्रांस की संसद में विश्वास मत पारित किया गया था जिसे हासिल करने में फ्रांस के प्रधानमंत्री सफल नहीं हो पाए। उनके पक्ष में 194 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 364 वोट पड़े। जिसके कारण बायरू को संवैधानिक रूप से अपना त्यागपत्र फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो को देना होगा।कुछ लोगों की माने तो फ्रांस के प्रधानमंत्री ने खुद ही विश्वास मत सदन में पेश किया था उन्हें लग रहा था कि वह आसानी से विश्वास मत हासिल कर देंगे वह लोगों से सार्वजनिक खर्चों में कटौती और फ्रांस में बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए अपने द्वारा किए गए प्रयासों के समर्थन की उम्मीद कर रहे थे।
फ्रांस के प्रधानमंत्री लोगों को कर रहे थे सरकारी कर्ज को लेकर आगाह
फ्रांस्वा बायरू सरकारी कर्ज के कारण मिलने वाली कुछ सरकारी सुविधाओं में कटौती करने के पक्ष में थे जिसके कारण उनकी अपनी ही पार्टी के कुछ लोग उन के विरोधी भी हो गए। उन्होंने कहा था कि सरकारी कर्ज आने वाली पीढ़ियों पर भारी पड़ेगा। बायरू का कहना था कि अगर हम इसे नियंत्रित नहीं करते हैं तो यह देश की बहुमूल्य सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है। हमें लगता है और हमारे देश के लोगों को लगता है कि हम काम कर रहे हैं तो हमारा देश समृद्ध हो रहा है लेकिन यह और गरीब होता जा रहा है।
फ्रांस की नेशनल असेंबली में ग्रीष्मकालीन अवकाश के बीच में ही हुआ था विश्वास मत पारित
मैक्रो के विरोधियों ने नए विधानसभा चुनाव कराने मैक्रो पर त्यागपत्र के लिए दबाव बनाने के लिए और अगली सरकार में अपने पदों की सुनिश्चितता के लिए नेशनल असेंबली को फिर से भंग करने की अपील की थी उन्हें लग रहा था कि उनकी नेशनल असेंबली पार्टी अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव में बहुमत हासिल कर लेगी। अब जबकि फ्रांस के प्रधानमंत्री विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए हैं तो फ्रांस के राष्ट्रपति से भी इस्तीफे की मांग तेज हो गई है।
विरोधियों ने शुरू कर दिया है मैक्रो से त्यागपत्र मांगना
फ्रांस के राष्ट्रपति के करीबी प्रधानमंत्री के विश्वास मत में हारने के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो के लिए भी मुश्किलें बढ़ती जा रही है अब उन्हें चौथी बार अपना प्रधानमंत्री तलाशना होगा। फ्रांस्वा बायरू फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए तीसरे प्रधानमंत्री थे। मतदान के बाद ही मैक्रो की विरोधी पार्टी वामपंथी फ्रांस अनबोड पार्टी ने राष्ट्रपति मैक्रो से त्यागपत्र की मांग कर दी है। अनबोड पार्टी के प्रमुख मेटिल्ड पैनोट ने कहा हमें एक और प्रधानमंत्री नहीं चाहते जो उसी नीति पर कायम रहे। अब असली सवाल राष्ट्रपति के जाने का है जो जनता की इच्छा का सम्मान करने से इनकार करता है।
फ्रांस में यह मुश्किल दौर शुरू हुआ था जून 2024 में
फ्रांस में यह मुश्किल दौर जून 2024 में शुरू हुआ था जब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रो ने मजबूत जनादेश पाने के लिए नेशनल असेंबली को भंग करवा दिया था। इसके बाद कराए गए चुनाव में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। लेकिन वहां पर अति वामपंथी और अति दक्षिणपंथी दोनों ही दल और मजबूत होकर उभर गए इसके बाद अब मैक्रो की मध्यमार्गी सरकार सरकार मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। अब प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू के आने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि सब सही होगा लेकिन प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने बजट में कटौती और विश्वास मत पारित करवाने के कारण विरोधियों को एक दोबारा मौका दे दिया मैक्रो को दबाव में डालने का इसके बाद अब मैक्रो की मुश्किलें और बढ़ गई है।