व्यापार युद्ध: अमेरिका बनाम चीन 2025
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक बार फिर आमने-सामने हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीनी उत्पादों पर टैरिफ को लगभग दोगुना करने की धमकी के बाद चीन ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है। बीजिंग का साफ संदेश है—”हम अंत तक लड़ने को तैयार हैं।”
104% टैक्स का खतरा: व्यापार में आ गया भूचाल
अगर ट्रम्प अपने फैसले पर कायम रहते हैं तो चीन से अमेरिका आने वाले अधिकांश सामानों पर 104% टैक्स लग सकता है। इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, खिलौनों से लेकर पेंच-कस्सियों तक की कीमतें बढ़ेंगी।
कौन झुकेगा पहले?
“चीन एकतरफा टैरिफ नहीं हटाएगा,” यह मानना है विशेषज्ञों का। अगर वह ऐसा करता है तो उसे कमज़ोर समझा जाएगा और अमेरिका और अधिक दबाव बनाएगा।
इस समय दोनों देश ऐसे मोड़ पर हैं जहां पीछे हटना किसी के लिए भी आसान नहीं।
एशियाई बाजारों में हड़कंप
टैरिफ की घोषणा के बाद एशियाई शेयर बाजारों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। हालांकि मंगलवार को थोड़ी रिकवरी देखी गई, लेकिन अनिश्चितता का बादल बना हुआ है।
चीन की पलटवार रणनीति
चीन ने भी 34% के टैरिफ लगाकर जवाब दिया है। इसके साथ ही:
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युआन को कमजोर किया ताकि निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
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सरकारी कंपनियों ने स्टॉक खरीदे, जिससे बाजार स्थिर रह सके।
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अमेरिकी टेक कंपनियों पर नजर, जैसे कि गूगल पर एंटी-ट्रस्ट जांच।
एशिया पर प्रभाव: वियतनाम और कंबोडिया भी चपेट में
नई टैरिफ नीति से सिर्फ चीन ही नहीं, वियतनाम और कंबोडिया जैसे देश भी प्रभावित होंगे, जिन पर क्रमशः 46% और 49% टैरिफ लगाए जाएंगे।
चीन की आंतरिक स्थिति चिंताजनक
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प्रॉपर्टी मार्केट में मंदी
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बढ़ती बेरोजगारी
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कर्ज में डूबी स्थानीय सरकारें
इन कारणों से चीन के उपभोग में भारी गिरावट आई है। अब अगर निर्यात भी घटता है, तो अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है।
अमेरिका को भी होगा नुकसान
2024 में अमेरिका ने $438 अरब का आयात चीन से किया और केवल $143 अरब का निर्यात। अब इतने बड़े स्केल पर वैकल्पिक सप्लाई जल्दी ढूंढ पाना मुश्किल है।
“आप टैक्स से बहुत कुछ कर सकते हैं, लेकिन सीमा होती है,” — डेबोरा एल्म्स
क्या यह युद्ध और बढ़ेगा?
यह कोई साधारण व्यापारिक झगड़ा नहीं है। अब यह “कौन कितनी पीड़ा सह सकता है” का खेल बन गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देश निजी स्तर पर बातचीत कर सकते हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति तनावपूर्ण है।
निष्कर्ष: दुनिया देख रही है
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध केवल इन दो देशों का मुद्दा नहीं है। इसका असर वैश्विक सप्लाई चेन, डिजिटल व्यापार और निवेश पर पड़ रहा है। जहां एक ओर अमेरिका आक्रामक रणनीति अपना रहा है, वहीं चीन धीमी लेकिन गहरी चालें चल रहा है।
क्या आगे बातचीत होगी या और बड़ा संकट आएगा?
इस व्यापार युद्ध का अंत अनिश्चित है, लेकिन एक बात तय है—2025 की वैश्विक अर्थव्यवस्था अब पहले जैसी नहीं रहेगी।
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