“कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली 5 नवंबर 2025: आज का शुभ दिन और इसका महत्व”

“कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली 5 नवंबर 2025: आज का शुभ दिन और इसका महत्व”

आज 5 नवंबर है कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन आज से हिंदू धर्म के पवित्र कार्तिक मास का समापन होगा। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन को देव दीवाली के नाम से भी जाना जाता है। 

क्यों मनाई जाती है कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली?

कहा जाता है की पृथ्वी पर दीपावली को देख देवताओं का भी मन दिवाली मनाने का हुआ फिर उन्होंने ब्रह्मा जी से दिवाली मनाने के लिए कहा इस पर उन्होंने कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन देवताओं के लिए दीपावली का दिन मनाने का निश्चय किया। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।

कार्तिक पूर्णिमा का तिथि प्रारंभ 

कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार 8:42 से शुरू होकर 5 नवंबर 2025 शाम 6:15 तक पर समाप्त होगी। इस दिन इस दिन दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7:58 मिनट सुबह 9:00:20 तक रहेगा। शाम को पूजा का शुभ मुहूर्त 5:15 से 7:51 तक रहेगा। स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:34 से 6:37 तक रहेगा।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन की जाती है भगवान शिव,विष्णु जी और लक्ष्मी जी की पूजा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, विष्णु जी और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध अर्पित कर भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन के विषय में एक पौराणिक कथा है कहां जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान शिव को भगवान विष्णु 1000 कमल पुष्पों की माला इस दिन अर्पित करने की सोच कर बैठे थे भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प छिपा दिया जब भगवान विष्णु को कमल का फूल नहीं मिला तो उन्होंने सोचा कि मुझे भी तो कमलाक्ष कहा जाता है मेरी आंखें कमल के समान ही कही जाती है क्यों ना मैं अपनी एक नेत्र ही भगवान शिव को समर्पित कर दूं ऐसा सोच कर भगवान विष्णु ने जब कटार उठाई तो भगवान शिव ने उनका हाथ रोक लिया तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की भी पूजा होती है।

इस दिन पूजा होती है शनि देव की भी 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन शनि देव की भी पूजा की जाती है यह कहिए कि जब आप भगवान शिव की पूजा करते हैं तो शनि देव जो कि भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं आपकी पूजा से प्रसन्न होते हैं और अपने प्रभाव को शांत करते हैं। ज्योतिष में कहा जाता है कि जब शनि शांत होते हैं तो राहु और केतु भी अपने शांत स्वरूप में आ जाते हैं। प्रकार से कार्तिक पूर्णिमा में भगवान शिव की आराधना करने से शनि, राहु और केतु तीनों ग्रह शांत होतेहैं। भगवान शिव के शिवलिंग पर जब कच्चे दूध को चढ़ाकर ओम नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है तो आपके सभी ग्रह शांत होते हैं। 

पूर्णिमा के दिन की जाती है हनुमान जी की पूजा 

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन हनुमान जी की पूजा करने का भी विशेष महत्व है इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। 
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया जाता है अखंड रामायण, सुंदरकांड का पाठ 
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन अखंड रामायण और सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व है। 

कार्तिक पूर्णिमा पर किया जाता है दीपदान 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा जी पर या किसी भी नदी तालाब के किनारे दीपदान करने का विशेष महत्व है। वैसे तो पूरे कार्तिक के महीने में ही दीपदान का विशेष महत्व होता है लेकिन जो व्यक्ति सिर्फ इसी दिन दीपदान कर लेता है उसे पूरे वर्ष भर की दीपदान का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इस दिन 365 बाती का दिया जलाकर गंगा किनारे दीपदान करने का विशेष महत्व है। श्रद्धालु ज न इस दिन 365 कलावे की बाती बनाकर उसे शुद्ध गाय के घी में डुबोकर सूखे नारियल का दिया बनाकर उसमें जलाते हैं।

 

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