इस बार अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण पड़ रहा है तो श्राद्ध में क्या करेंगे हम,इस बार पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से हुई थी और समापन सूर्य ग्रहण पर हो रहा है तो आईए जानते हैं क्या करेंगे हम
अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण तो श्राद्ध करेंगे कैसे?
इस वर्ष साल का अंतिम सूर्य ग्रहण पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन पड़ रहा है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने के लिए विधि विधान से पूजा की जाती है। जिस व्यक्ति को अपने पितरों के तर्पण का दिन नहीं पता होता वह भी अमावस्या के दिन अपनी सभी पितरों का तर्पण एक साथ कर सकता है। कहां जाता है कि अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण करने से सभी प्रकार के पितृदोष समाप्त होते हैं।
अमावस्या और सूर्य ग्रहण कब से कब तक होंगे?
इस बार अमावस्या 20 सितंबर रात 12:16 मिनट से शुरू होगा 21 सितंबर रात 1:30 तक रहने वाली है। 26 सितंबर को पूरे दिन अमावस्या रहने वाली है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा। सूर्य ग्रहण भारत में रात को 10:39 से 22 सितंबर सुबह 3:29 तक रहेगा। भारत में यह समय रात का होगा इसलिए भारत में यह ग्रहण मान्य नहीं होगा। अटलांटिक न्यूजीलैंड जैसे देशों में यह स्पष्ट रूप से नजर आएगा।
भारत में नहीं लगेगा सूतक
अमावस्या के दिन ग्रहण होने के कारण सभी के मन में संशय है कि सूतक लग जाने के कारण श्राद्ध पक्ष की पूजा कैसे हो सकती है। ऐसे में विद्वान ज्योतिषियों पंडितों का कहना है की भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई ना देने के कारण सूतक काल भी मन नहीं होगा। अमावस्या के दिन की जाने वाली श्राद्ध पूजा और तर्पण विधिवत रूप से किये जा सकेंगे। कुछ पंडितों का कहना है कि ग्रहण दिखाई देने पर ही सूतक काल मान्य होता है। ग्रहण का प्रभाव इस स्थान पर माना जाता है जहां ग्रहण दिखाई देता है।
अलग-अलग पंडितों के हैं अलग-अलग विचार
वहीं कुछ पंडितों का कहना है कि ग्रहण भारत में न होने पर भी सूतक काल मान्य होगा ही। लेकिन यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा और यह रात में 11:00 बजे से शुरू होकर 3:30 पर समाप्त हो जाएगा ऐसे में आप 21 सितंबर को आराम से पूरे दिन पितृपक्ष की पूजा कर सकते हैं। सूर्य ग्रहण रात को पड़ने वाला है ऐसे में आप पूरे दिन 21 तारीख को पितृपक्ष की पूजा और श्राद्ध कर सकते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या कब से कब तक रहेगी ?
सर्वप्रथम अमावस्या 21 सितंबर सुबह 12:16 से शुरू होगा 22 सितंबर दोपहर 1:30 तक रहेगी। आप उदय तिथि के अनुसार 21 तारीख को ही पितृ पक्ष की अमावस्या रहेगी।
अमावस्या के दिन किसके लिए की जाती है श्राद्ध की पूजा
अमावस्या के दिन सभी पितरों का तर्पण किया जा सकता है। जयपुर में जो कि हमें मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती उनका तर्पण भी साथ के दिन किया जा सकता है। अगर आपने पूरे 15 दिन किसी का शादी नहीं किया है तो भी आप अमावस्या के दिन सभी पितरों का एक साथ शरारत करके तर्पण कर सकते हैं। इससे भी आपकी श्राद्ध पक्ष की पूजा संपन्न होती है और पितृ प्रसन्न होते हैं।
अमावस्या के दिन कैसे करें पितृपक्ष की पूजा और तर्पण
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर अगर हो सके तो गंगा स्नान करें। गंगा स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर अपने कुल देवी देवताओं और भगवान की पूजा कर ले। उसके बाद दक्षिण दिशा में घुटनों के बल बैठकर तांबे की लोटे में तेल चावल गाय का कच्चा दूध गंगाजल पानी और सफेद रंग के फूल डाल दें। अपने हाथ की मध्यमा उंगली के बीच कुशा लेकर अंगूठे और उंगली के माध्यम से अपने पितरों को जल अर्पित करें। पितरों को 11 बार जल अर्पित करना है। इस विधि के बाद पिंडदान के रूप में चावल या गेहूं के आटे का पिंड पाड़े इसे अलग-अलग जगह गाय कुत्ते कौवे चींटी और देवताओं के नाम से निकाले। पितरों से प्रसन्न होने और अपने ऊपर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें। कुछ दान भी अवश्य निकालें। ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र दक्षिणा अर्पण करें।