शरद पूर्णिमा कब है और क्या होता है शरद पूर्णिमा के दिन, कैसे की जाती शरद पूर्णिमा की पूजा आईए जानते हैं
कब है शरद पूर्णिमा
शरद पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर 2025 को निशीथ और प्रदोष के समय दोपहर 12:23 पर प्रारंभ होगी और 7 अक्टूबर को सुबह 9:06 पर समाप्त होगी। इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा उदय शाम 7:26 पर होगा। इसलिए 6 अक्टूबर को ही शरद पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाएगा।
क्या महत्व है शरद पूर्णिमा का
शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का समुद्र मंथन के समय जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को मां लक्ष्मी का जन्म दिवस भी कहा जाता है। भारतीय और हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पूरी रात विचरण करती है और जिस घर में भी मां लक्ष्मी का पूजन होता है वहां वास करती है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओं के साथ होता है। चंद्रमा की 16 कलाओं को उसकी पत्नी के रूप में माना जाता है।
कैसे करें शरद पूर्णिमा की पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन अगर आप व्रत करते हैं तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। अगर आप गंगा स्नान या नर्मदा या किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं तो यह और भी उत्तम होगा अन्यथा आप गंगाजल में जल डालकर भी स्नान कर सकते हैं। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति को चरणामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद भगवान की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। अन्यथा अपने पूजा गृह में ही भगवान विष्णु और लक्ष्मी को स्थापित करें और उन्हें पुष्प, फल, मेंवें भी अर्पण करें। संभव है तो भगवान विष्णु की कथा कहे, भगवान विष्णु के गजेन्द्र मोक्ष और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। भगवान विष्णु को केले और घी में भुने आटे और शक्कर का प्रसाद , चरणामृत अर्पण करें। कथा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें। अगर आपका व्रत है तो आप कूटू या सिंघाड़े के आटे का भी प्रसाद बना सकते हैं।
क्या होता है शरद पूर्णिमा के दिन
शरद पूर्णिमा के दिन हम सभी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं घर में विशेष रूप से खीर बनाई जाती है जिसे चांदनी रात में चांद की रोशनी में पूरी रात रखा जाता है। सुबह उस खीर का भोग लगाया जाता है। कहते हैं शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में अमृत की वर्षा होती है और जो व्यक्ति चांदनी रात में रखी हुई खीर को ग्रहण करता है वो स्वस्थ और निरोगी होता है।
शरद पूर्णिमा के दिन बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग
इस बार शरद पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है कहते हैं कि यह योग बहुत खास होता है इस योग में जो भी प्रार्थना, पूजा, व्रत कर्म किए जाते हैं उनका फल अवश्य प्राप्त होता है।
देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नाम से मनाई जाती है शरद पूर्णिमा
भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न नाम से शरद पूर्णिमा मनाई जाती है पश्चिम बंगाल उड़ीसा और असम में शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के हर राज्य में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भारतवर्ष मैं मान्यता है कि भगवान विष्णु और दूसरों की पूजा करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है और आर्थिक प्रगति होती है।
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने रचा था महारास
शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण ने महारास रचा था। इस दिन भगवान कृष्ण ने सभी गोपियों के साथ अपने रूप में रास रचा था सोचिए एक भगवान कृष्ण सभी गोपियों के साथ इसे भक्ति की पराकाष्ठा और भगवान की अपने भक्तों को प्रेम और स्वयं से ऊपर रखने की परंपरा के रूप में आज भी निभाया जाता है। मथुरा में शरद पूर्णिमा के दिन आज भी महारास आयोजन होता हैइस बार शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा को विशेष पूर्णिमा का दर्जा मिलता है क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत वर्षा होती है।
शाम के समय मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी के श्री सूक्त, कनकधारा स्त्रोत और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करके चंद्र देव को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन फलाहारी भोजन यह बिना लहसुन प्याज के भोजन से करें।