Shamla Hamza: शब्दों से अभिनय तक का प्रेरणादायक सफर — केरल राज्य फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री बनीं शमला हम्ज़ा

Shamla Hamza

केरल राज्य फिल्म पुरस्कार 2025 ने एक नया सितारा दुनिया के सामने पेश किया है — Shamla Hamza, जिन्होंने अपनी अद्भुत अदाकारी से सबका दिल जीत लिया। यह कहानी केवल एक अभिनेत्री की सफलता की नहीं है, बल्कि यह उस महिला की प्रेरणादायक यात्रा है जिसने शब्दों से अभिनय तक का अनोखा सफर तय किया।

🌟 Shamla Hamza का आरंभिक सपना: शब्दों की दुनिया से सिनेमा तक

Shamla Hamza को बचपन से ही सिनेमा की दुनिया आकर्षित करती थी। हालांकि, उनका सपना अभिनय नहीं बल्कि गीत लेखन था। उन्होंने लंबे समय तक शब्दों के माध्यम से खुद को फिल्म जगत में स्थापित करने का प्रयास किया।

दुबई में उन्होंने 11 वर्षों तक प्रशासनिक नौकरियाँ कीं, लेकिन मन हमेशा फिल्मों की ओर खिंचता रहा। इसी दौरान उन्हें फिल्म “1001 नूनाकल” (1001 Nunakal) के लिए एक ऑडिशन की जानकारी मिली। वे वहां अपनी लिखी हुई कविता और गीत के साथ पहुँची थीं, पर किस्मत ने कुछ और ही तय कर रखा था — उन्हें गीतकार नहीं, बल्कि अभिनेत्री के रूप में चुन लिया गया।

🎭 “Feminichi Fathima” से मिली पहचान

“1001 Nunakal” में काम करने के बाद, Shamla Hamza को फिल्म “Feminichi Fathima” के लिए साइन किया गया। इस फिल्म का निर्माण थामर और सुदीश स्कारिया ने किया, जबकि निर्देशन किया फासिल मुहम्मद ने, जो पहले “1001 Nunakal” के स्पॉट एडिटर थे।

इस फिल्म में शमला ने फातिमा का किरदार निभाया — एक ऐसी औरत जो पितृसत्तात्मक और धार्मिक बंधनों के बीच चुपचाप संघर्ष करती है। उसका सपना बहुत साधारण है — सिर्फ एक नया गद्दा खरीदने का। मगर उसका पति, जो एक मदरसा शिक्षक है, उसकी इस छोटी सी इच्छा को भी नजरअंदाज करता रहता है।

फातिमा का यह शांत लेकिन सशक्त विरोध दर्शकों के दिलों में गूंज उठा। फिल्म की कहानी में व्यंग्य, यथार्थ और संवेदना का अद्भुत मेल देखने को मिला, और इसी ने Shamla Hamza को 55वें केरल राज्य फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) का सम्मान दिलाया।

👩‍🍼 मां बनने के बाद भी नहीं रुकी अभिनय की राह

Shamla Hamza बताती हैं कि “Feminichi Fathima” की शूटिंग उस समय शुरू हुई जब उनकी बेटी सिर्फ 5-6 महीने की थी। मातृत्व के उस चरण में उन्होंने फातिमा के किरदार को स्वाभाविक रूप से जिया — वजन बढ़ना, थकान, कमर दर्द — सबकुछ किरदार के अनुरूप था।

वो कहती हैं —

“मेरे आस-पास की कई ऐसी महिलाएँ थीं जिनसे मैंने फातिमा जैसे किरदार की प्रेरणा ली। मैं पहले से ही निर्देशक फासिल के साथ पटकथा पढ़ रही थी, इसलिए शूटिंग शुरू होते ही मैं मानसिक रूप से तैयार थी।”

उनकी बेटी शूटिंग के सेट पर मौजूद रहती थी। जब शमला कैमरे के सामने होतीं, तब उनकी माँ बच्चे की देखभाल करती थीं। फिल्म की पूरी टीम ने इस दौरान उन्हें भरपूर सहयोग दिया।

🧡 Feminichi Fathima की भावनात्मक कहानी

“Feminichi Fathima” की कहानी सिर्फ एक औरत की नहीं, बल्कि उन लाखों महिलाओं की आवाज़ है जो छोटे-छोटे सपनों के लिए बड़े सामाजिक अवरोधों से जूझती हैं।

फातिमा का नया गद्दा खरीदने का सपना भले ही मामूली लगे, लेकिन यह प्रतीक है उस स्वतंत्रता का, जो उसे अपने निर्णय खुद लेने के अधिकार से रोकता है।

फिल्म में फातिमा का संघर्ष हास्य और व्यंग्य के मिश्रण से दर्शाया गया है। यह गंभीर मुद्दों को हल्के-फुल्के अंदाज में दर्शकों के दिलों तक पहुँचाता है — यही वजह है कि फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ केरल (IFFK) में दर्शकों की पसंदीदा फिल्मों में से एक बनी।

🏆 Kerala State Film Awards 2025: Shamla Hamza की चमक

55वें Kerala State Film Awards में जब Shamla Hamza का नाम सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में घोषित हुआ, तो यह एक ऐतिहासिक क्षण था।

उनकी जीत केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो जीवन के किसी भी चरण में अपने सपनों को पूरा करने का साहस रखती हैं।

उन्होंने “The Hindu” से बातचीत में कहा —

“यह सम्मान मेरे लिए सिर्फ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि उन सभी संघर्षों की पहचान है जो मैंने एक मां, एक औरत और एक कलाकार के रूप में किए।”

🎥 Shamla Hamza: एक स्वाभाविक कलाकार

शमला के अभिनय की सबसे बड़ी खूबी उनकी प्राकृतिकता (naturalness) है। उन्होंने किसी अभिनय स्कूल से प्रशिक्षण नहीं लिया, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति, संवाद प्रस्तुति और आँखों का भाव हर सीन में सच्चाई का एहसास कराता है।

फातिमा के किरदार में वे न तो ज्यादा नाटकीय दिखीं, न ही कृत्रिम — उनका शांत चेहरा, हल्की मुस्कान और भीतर छिपा विरोध फिल्म को वास्तविकता के करीब लाता है।

🌍 IFFK में दर्शकों का प्यार

“Feminichi Fathima” को IFFK (International Film Festival of Kerala) में जब प्रदर्शित किया गया, तब दर्शकों ने इसे स्टैंडिंग ओवेशन दिया। Shamla Hamza बताती हैं कि यह अनुभव उनके लिए बहुत भावुक था।

“मुझे यह जानने की बहुत उत्सुकता थी कि दर्शक फिल्म को कैसे लेंगे। जब मैंने देखा कि लोग हँस भी रहे हैं और भावुक भी हो रहे हैं — तो लगा कि मेरा परिश्रम सफल हुआ।”

🎯 Shamla Hamza का भविष्य: शब्द और अभिनय का संगम

फिलहाल Shamla Hamza के पास कोई नया प्रोजेक्ट नहीं है, लेकिन वे चाहती हैं कि आगे भी उन्हें ऐसे ही सशक्त और गहरे किरदार निभाने का अवसर मिले।

उनका मानना है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को देखने का आईना है। और अगर किसी किरदार के माध्यम से समाज की सोच में बदलाव लाया जा सके, तो वही असली सफलता है।

💫 निष्कर्ष: Shamla Hamza – संघर्ष, संवेदना और सफलता की मिसाल

Shamla Hamza की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो यह मानता है कि सपनों को पूरा करने में कभी देर नहीं होती। शब्दों से शुरू हुआ उनका सफर अभिनय की दुनिया तक पहुँचा और अब वह लाखों दिलों को छू चुका है।

उन्होंने साबित कर दिया कि जब जुनून और सच्चाई मिलते हैं, तो सफलता अपने आप रास्ता बना लेती है।

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