इस समय वजन घटाने वाली दवाएं काफी महंगी है।और इस क्षेत्र में वेट लॉस करने वाली दवाइयां बनाने वाली कंपनियों की भी काफी कमी है। है जिस के कारण अमेरिकी कानून कुछ ब्रांड नेम वाली दवाइयों को नकल करने की अनुमति देता है।
किस हार्मोन के प्रयोग से मोटे लोग हो रहे हैं पतले
पिछले कुछ समय से वेट लॉस करने वाली कंपनियां glp1 हार्मोन का प्रयोग अपनी दवाइयां में कर रही है। इस हार्मोन के प्रयोग से उपभोक्ताओं को काफी फायदा हुआ है। जिसके कारण दवा कंपनियों की बिक्री काफी अधिक हो रही है। दवा विक्रेताओं को इन दवाइयों की मांग पूरी करने में काफी प्रयास करना पड़ रहा है।इन दवाइयों की कमी से ग्राहक इसे मुंहमांगी कीमतों में खरीद रहे हैं ।
क्या कहते हैं अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्र और रोकथाम केंद्र
इन वेट लॉस दवाइयां के बारे में अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्रों का कहना है कि अमेरिका में 40% से अधिक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है। कई वेट लॉस कंपनियां वेट लॉस के साथ-साथ हृदय और गुर्दे की बीमारी जैसे रोगों को भी दूर करने में सक्षम है। इन दवाइयों को लेकर व अन्य सामान्य बीमारियों के खिलाफ भी रिसर्च चल रही है। यह दवाइयां फायदेमंद तो काफी है बस उनके साथ यह समस्या है कि सब्सिडी मिलने के बाद भी इन दवाइयों की कीमत प्रति व्यक्ति सालाना कई हजार डॉलर है। न तो बीमा कंपनियां और न हीं सरकार ही इस लागत को कम करना चाहते हैं या इस विषय में कोई प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न तरीके लगाकर प्रतिबंधों के माध्यम से दवाइयों के खर्चों को सीमित करने के प्रयास चल रहे हैं। इस समय के कानून के अंतर्गत वजन घटाने वाली दवों के लिए लाइफ इंश्योरेंस का भुगतान नहीं किया जा सकता।
इस समय सरकार और बीमा कंपनियां इन दवाइयां के खर्च कम करने के लिए क्या कर सकती हैं?
मेडिकेयर जो कि बीमा है और 66 मिलियन लोगों को कवर करता है। एक विधेयक बीमा कवर के विषय में संसद में पारित होने वाला है। हो सकता है कि इंश्योरेंस के द्वारा बीमा कंपनियां वेट लॉस दवाइयां को भी कवर कर लें लेकिन इस विधेयक को पास करने में काफी खर्च आने वाला है। जिसके कारण हो सकता है कि यह विधेयक पास ही न हो पाये। क्योंकि अगर सिर्फ 10% लोगों को ही दवा दी जाती है तो यह लागत 27 बिलियन डॉलर तक पहुंचेगी। बीमा कंपनियां या सरकारें सिर्फ इतना कर सकती है कि अगर लंबे समय तक दवाई चलने वाली है तो उसे समय के साथ भुगतान किया जा सके। इन दवाओं का लाभ लंबे समय तक रहता है। लेकिन एंपलॉयर श्रमिकों को कवर करने में इंटरेस्टेड नहीं होते क्योंकि श्रमिक कुछ समय बाद अपना जॉब चेंज करते रहते हैं। कुछ व्यायाम योजनाएं भी है जो कि दवाओं की तरह प्रभावशाली नहीं है लेकिन वे काफी सस्ती हैं इसलिए गवर्नमेंट व्यायाम योजनाओं की तरफ झुकती है और यही उनकी पहली पसंद होती है। वेट लॉस दवाओं के लाभ काफी लंबे समय तक रहते हैं। जिससे निष्कर्ष निकलता है कि इन दवाइयों का काफी प्रचार प्रसार करना चाहिए क्योंकि अगर ये दवाईयां प्रचलन में आएंगी तो उपयोग कर्ता भी इन्हें पहचान पाएंगे।
वेट लॉस दवाओं को सबके लिए उपलब्ध कराने करने के लिए क्या करना होगा
अगर वेट लॉस दवाओं को घर -घर तक पहुंचाना है और सभी के लिए उपयोगी बनाना है तो इसका एक सीधा सा हल है कि ढेर सारी दवा कंपनियां इन दवाओं को बनाने लगे। हो सकता है कि कुछ दवा कंपनियां इन वेट लॉस दवाओं को ना बना पाए लेकिन अगर कुछ कंपनियों ने यह दवा बना ली तो उनकी कीमत अपने आप कम हो जाएगी ।और फिर अगर कीमत कम होगी तो सरकार और बीमा कंपनियां भी इसमें अपना योगदान अवश्य करेंगे। यह वेट लॉस की दिशा में एक नया कदम होगा।
प्रतिस्पर्धा है जरूरी वेट लॉस दवाओं के मूल्य कम करने के लिए
अगर वेट लॉस दवाओं का मूल्य कम करना है तो अन्य कंपनियों को भी इन दवों को बनाने की अनुमति देनी होगी। जब मार्केट में कंपटीशन होगा तो अपने आप ही इन दवाओं का मूल्य कम हो जाएगा।