सऊदी अरब, यूएई, ईरान और अन्य मुस्लिम देश खड़े हुए भारत के साथ उठाई आतंकवाद के खिलाफ आवाज, और क्या लाल किले के पास हुआ कार ब्लास्ट हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियों की असफलता का प्रतीक है या फिर एक बड़ा तूफान एक छोटी दुर्घटना में बदल गया है

सऊदी अरब, यूएई, ईरान और अन्य मुस्लिम देश खड़े हुए भारत के साथ उठाई आतंकवाद के खिलाफ आवाज, और क्या लाल किले के पास हुआ कार ब्लास्ट हमारे देश की सुरक्षा एजेंसियों की असफलता का प्रतीक है या फिर एक बड़ा तूफान एक छोटी दुर्घटना में बदल गया है

11 नवंबर को लाल किले पर एक कार ब्लास्ट हुआ जिसमें सऊदी अरब, यूएई, ईरान और अन्य मुस्लिम देश भारत के साथ खड़े हो रहे हैं जबकि हम में से ही कुछ लोग अब हमारी सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठा रहे हैं पर क्या सच में यह हमारी सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी है, आइए जानते हैं 

सऊदी अरब यूएई ईरान और अन्य मुस्लिम देश खड़े हुए भारत के साथ

सऊदी अरब यूएई और ईरान जैसे मुस्लिम देशों ने लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि वे हिंसा और आतंकवाद की सभी गतिविधियों को अस्वीकार करते हैं। कतर, मालदीव व ईरान ने भी कार ब्लास्ट की निंदा करते हुए भारत के साथ एकता दर्शायी।

11 नवंबर को हुआ कार ब्लास्ट, क्या सच में हमारी सुरक्षा एजेंसी की नाकामी है?

11 नवंबर को लाल किले के पास हुए बम ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसी पर फिर से सवाल उठाए जा रहे हैं। पर क्या सच में सुरक्षा एजेंसियां नाकामयाब रही हैे या उन्होंने किसी बड़े संकट को होने से बचा लिया है ऐसा नहीं है कि यह नुकसान कम है तेरह लोगों की जाने जाना और 18 से अधिक लोगों का घायल होना अपने आप में एक बड़ी तबाही का ही संकेत है लेकिन 11 साल बाद अगर देश में कुछ हुआ है तो 11 साल तक तो हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने पल-पल काम किया ही है जिसके कारण हम सभी सुरक्षित अपने घरों में है।उनकी एक प्रतिशत सफलता पर हमारी सुरक्षा एजेंसियों की सफलता का हंड्रेड प्रतिशत आंकड़ा हल्का नहीं पड़ सकता।

क्या यह एक पैनिक अटैक था?

अभी तक की जितनी भी सूचनाओं मिल रही है उनके अनुसार तो यही लग रहा है कि शायद उनके द्वारा उठाया गया यह कदम एक पैनिक अटैक ही था उनके पास खुद को छुपाने, अपने सबूतों को मिटाने का सिर्फ यही एक मात्र विकल्प था कि वो 3 घंटे तक अपनी कार को एक पार्किंग में खड़ा रखें और फिर लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास जाकर खुद को भी कार ब्लास्ट के हवाले कर अपने साथ-साथ जाने कितने लोगों को मौत के मुंह में डाल दें। 

हमारी सुरक्षा एजेंसियां थी और हैं हर पल सक्रिय जम्मू कश्मीर से लेकर गुजरात तक 

गुजरात से लेकर जम्मू कश्मीर तक सुरक्षा एजेंसियां छावनियों में बदलकर जगह-जगह हजारों किलो आरडीएक्स और अरंडी के बीज से रेजिन नामक जहरीला पदार्थ पकड़ रही थी। अगर सुरक्षा एजेंसियों ने 20 टाइमरों को न पकड़ा होता तो 20 अलग-अलग जगह देश भर में लाखों लोगों की जानें जा चुकी होती। सुरक्षा एजेंसियों ने गुजरात में केमिकल अटैक करने वाले आतंकवादी को न पकड़ा होता तो न जाने कितने लोग केमिकल अटैक से अपने जानें गवा चुके होते। इससे आतंकवादियों के मंसूबे भी तो पूरे हुए हैं देर सवेर वो जान चुके थे कि वो पकड़े ही जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने सबूतों को तो मिटा ही दिया और साथ ही साथ लाल किले के मेट्रो स्टेशन के पास एक आतंकवादी वारदात को अंजाम देकर न जाने कितने लोगों को मौत के मुंह में तो डालने के साथ ही साथ भारत की सुरक्षा एजेंसियों और भारत की सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। 

कार ब्लास्ट कैसे हुआ ?

कार ब्लास्ट आरडीएक्स से नहीं हुआ है सुरक्षा एजेंसियों के ऊपर सवाल उठाए जा रहे हैं कि कार में इतना सारा बम विस्फोटक था तो सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर कुछ कार्यवाही क्यों नहीं की तो यहां पर भी क्लियर हो चुका है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट था जो की खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है अमोनियम नाइट्रेट को कुछ पदार्थों के साथ मिलकर विस्फोट कराया जा सकता है। सोचिए जो धमाके आरडीएक्स से होते थे अब वह खाद से कराए जा रहे हैं, कराने की प्लानिंग की जा रही है क्योंकि अब आरडीएक्स मिलना और बनाना नामुमकिन जो हो गया है यह हमारी सुरक्षा एजेंसियों की कामयाबी ही है।

 

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