नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग (ECI) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग दिल्ली में खुलेआम धन वितरण को नजरअंदाज कर रहा है और राजनीतिक स्वार्थ के लिए काम कर रहा है। उन्होंने चुनाव आयुक्त राजीव कुमार पर सेवानिवृत्ति के बाद पद प्राप्त करने की मंशा से कार्रवाई करने का आरोप लगाया।“मैं चुनाव आयोग के अधिकारियों को यमुना जल की तीन बोतलें भेजूंगा”
गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में बोलते हुए केजरीवाल ने कहा, “मैं चुनाव आयोग का सम्मान करता हूँ, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं। जब दिल्ली में खुलेआम पैसे बांटे जा रहे हैं, तो वे आँखें मूंदे हुए हैं। क्यों? क्योंकि राजीव कुमार को रिटायरमेंट के बाद पद चाहिए। इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे पता है कि वे मुझे दो दिनों में जेल भेज देंगे। भेज दें, मैं डरता नहीं। देश ने पहले कभी ऐसे चुनाव नहीं देखे।”
केजरीवाल ने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा, “मैं चुनाव आयोग के अधिकारियों को यमुना के अमोनिया-प्रदूषित जल (7 PPM) की तीन बोतलें भेजूंगा, जिसमें क्लोरीन मिला होगा। यदि तीनों चुनाव आयुक्त इसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीकर दिखाएं, तो हम अपनी गलती मान लेंगे।”
यमुना जल ‘विषाक्त’ करने का आरोप
चुनाव आयोग ने गुरुवार को एक बयान जारी कर केजरीवाल से उनके आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा। आयोग ने यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि जल में मिलाए गए जहर का प्रकार, मात्रा और मिलाने की प्रक्रिया क्या थी। इसके अलावा, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के इंजीनियरों की इस संदर्भ में क्या भूमिका थी, इस पर भी जवाब देने के लिए कहा गया है।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार सुबह 11 बजे तक जवाब दाखिल करने की समय सीमा तय की है।
यह मामला तब सामने आया जब केजरीवाल ने आरोप लगाया कि यमुना में अमोनिया का स्तर कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया, जो एक साजिश के तहत जल को विषाक्त करने का प्रयास है। उन्होंने इसे “युद्ध छेड़ने जैसा कृत्य” करार दिया।
आयोग ने स्पष्ट किया कि अमोनिया प्रदूषण और जहर मिलाने के आरोपों को अलग-अलग देखा जाना चाहिए और केजरीवाल को इन्हें आपस में मिलाने से बचने की सलाह दी।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने चेतावनी दी कि भड़काऊ बयानबाजी से जनता में अशांति फैल सकती है और सामुदायिक वैमनस्य बढ़ सकता है।
चुनाव आयोग ने दोहराया कि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना हर सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है और इस विषय में न्यायपालिका पहले ही अपना निर्णय सुना चुकी है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वह जल-साझाकरण विवादों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, विशेष रूप से उन मामलों में जिनका समाधान सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा पहले ही किया जा चुका है।
क्या यह विवाद चुनावी मुद्दा बनेगा?
अरविंद केजरीवाल की इस बयानबाजी से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। चुनाव आयोग के रुख पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया का इंतजार है। वहीं, क्या यह मामला दिल्ली की राजनीति में बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।