10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथिक दिवस मनाया जाता है। यह दिवस विश्व होम्योपैथिक चिकित्सा के संस्थापक डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन की याद में मनाया जाता है।
कौन थे सैमुअल हैनीमैन?
सैमुअल हैनीमैन जर्मनी में जन्मे एक डॉक्टर थे जिनका 1775 में हुआ था। होम्योपैथी की स्थापना डॉक्टर सैमुअल नहीं की थी पहली बार 1807 में होम्योपैथी शब्द का प्रयोग शुरू हुआ था सन 2000 में विश्व होम्योपैथी जागरूकता संगठन में सबसे पहले विश्व होम्योपैथी जागरूकता सप्ताह 10 अप्रैल से 16 अप्रैल तक मनाया था तभी से विश्व होम्योपैथिक दिवस मनाया जा रहा है। इसी दिन डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन का जन्म हुआ था।
क्या है होम्योपैथिक चिकित्सा?
होम्योपैथी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द होमो से हुई है जिसका अर्थ है समान और पैथोस का अर्थ है पीड़ा। इस उपचार में समझा जाता है की जैसी बीमारी वैसा ही इलाज अर्थात जिस वजह से आप बीमार हुए होते हैं आप ठीक भी इस वजह से होगें। इस बीमारी के इलाज में जिन तत्वों से उस बीमारी के लक्षण उत्पन्न होते हैं वही तत्व बीमारी को ठीक करने के काम आते हैं। होम्योपैथी में माना जाता है कि जिस लक्षण के कारण बीमारी उत्पन्न हुई होती है इस लक्षण को उत्पन्न करने वाले तत्व उस बीमारी की उपचार प्रणाली को भी सक्रिय करने में मददगार होते हैं। होम्योपैथिक दवाइयों में पौधे, पशु, खनिज तत्व और सिंथेटिक पदार्थ का प्रयोग किया जाता है।
दुनिया भर में 200 मिलियन लोग प्रयोग करते हैं होम्योपैथिक दवाइयां
होम्योपैथी दवाइयां दुनिया भर में प्रयोग की जाती है। भारत में लगभग 50 से 100 मिलियन लोग होम्योपैथिक दवाइयां का प्रयोग करते हैं। ये दवाइयां कुछ देशों में बिल्कुल भी प्रचलित नहीं है बल्कि यह कहिए कि वहां की चिकित्सा पद्धति होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को ही नकारती है।
सबसे अधिक होम्योपैथिक चिकित्सा किस देश में और सबसे कम होम्योपैथिक चिकित्सा किस देश में प्रयोग की जाती है
होम्योपैथी रिसर्च इंस्टीट्यूट की माने तो दुनिया भर में 200 मिलियन से भी अधिक लोग इस पद्धति का प्रयोग करते हैं। भारत के 100 मिलियन लोग होम्योपैथिक चिकित्सा इस्तेमाल में लाते हैं भारत में बड़ी संख्या में पंजीकृत होम्योपैथिक चिकित्सक हैं। हर साल भारत में 12 000 बच्चे होम्योपैथी डॉक्टर बनते हैं। भारत के अतिरिक्त ब्राज़ील मेक्सिको और स्विट्जरलैंड के अलावा कुछ अन्य देशों में भी होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति प्रयोग में लाई जाती है। अमेरिका में 6 मिलियन लोग इस पद्धति का प्रयोग करते हैं।
होम्योपैथी का इलाज किन बीमारियों के लिए है सर्वोत्तम
अस्थमा, त्वचा कीएलर्जी,खांसी
एलर्जी की समस्या खांसी, अस्थमा जैसी बीमारियों में होम्योपैथी दवाइयां काफी कारगर होती है।
कान और आंख के संक्रमण
कान और आंख के संक्रमण में होम्योपैथी दवाइयां काफी प्रयोग में लाई जाती है।
डिप्रेशन, एंजाइटी
डिप्रेशन व एंजाइटी के ईलाज लिए भी होम्योपैथिक दवाइयां काफी कारगर होती है
फूड एलर्जी
किसी विशेष भोजन को खाने से होने वाली एलर्जी के लिए भी होम्योपैथिक दवाइयां काफी उपयोगी होती है।
स्किन एलर्जी व सुजन
त्वचा की समस्या, सूजन इचिंग, झाइयों जैसी परेशानियों के लिए भी होम्योपैथिक दवाई काफी कारगर होती है।
वायु के रोग पेट फूलना
गैस बनना, खाना ना पचना जैसी बीमारी में होम्योपैथिक दवाइयां असरदार होती है। आस्टियोपोरोसिस व हड्डियों के जोड़ों में गैस के प्रकोप होने पर भी होम्योपैथिक दवाइयां काफी लाभदायक होती है।
उच्च रक्तचाप
हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को होम्योपैथी दवाइयां दी जाती है जो की उनके मानव मस्तिष्क को शांत करने का काम करती है।
क्या है होम्योपैथिक दवाइयां का नकारात्मक पहलू
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि होम्योपैथिक दवाइयां धीरे काम करती है इसलिए गंभीर मामलों में एलोपैथिक दवाइयां लेना आवश्यक होता है। ऐसा भी माना जाता है की होम्योपैथिक दवाओं में काफी मात्रा में स्टेरॉयड होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है होम्योपैथी दवाइयां भी कड़े दिशा निर्देशों का पालन करती है और उच्च गुणवत्ता जांच के बाद ही आम जनता के पास पहुंचती हैं। होम्योपैथिक दवाइयां पुरानी बीमारियों में तो कारगर होती ही है लेकिन यह काफी मुश्किल परेशानियों में साथ छोड़ देती है। होम्योपैथी दवाइयां में सर्जरी नहीं हो सकती।
किन बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक दवाइयां नहीं कर सकती?
होम्योपैथिक दवा से कैंसर का इलाज नहीं किया जा सकता। लेकिन होम्योपैथिक दवाइयां से कैंसर का दर्द कम किया जा सकता है होम्योपैथिक से एड्स एचआईवी जैसी बीमारियों का इलाज संभव नहीं है। होम्योपैथी दवाई से हार्ट अटैक का इलाज संभव नहीं है। होम्योपैथिक दवा से ब्रेन स्ट्रोक का इलाज संभव नहीं है