हमारे जीवन में स्वास्थ्य का सर्वाधिक महत्व है। अभी हम सभी लोग कोविड- के संकटों से गुजरे हैं और हम सभी ने जाना है कि स्वस्थ रहना आवश्यक ही नहीं है बल्कि हमारे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है । हमने कोरोना काल में देखा है कि जिन व्यक्तियों का स्वास्थ्य मजबूत था इम्यूनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी थी उन्होंने इस बीमारी का डट कर सामना किया और इस महामारी को अपने अच्छे स्वास्थ्य के बल पर हरा दिया। हमने अपने कुछ अपनों को भी इस महामारी में खोया है और हम सभी जानते हैं कि जिनको हमने खोया है उनकी शारीरिक और मानसिक अवस्था इतनी अच्छी नहीं थी कि वह इस जिद्दी वायरस का सामना कर पाते । आज कोरोनावायरस का संकट हटता सा प्रतीत होता है लेकिन हमें नहीं पता कि यह संकट टला है अथवा हमारे आसपास ही कहीं मौजूद है। यदि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो हम इसके सबसे पहले शिकार होने आवश्यक है। बात सिर्फ कोविड-की ही नहीं है। बात है हर तरह की बीमारी की चाहे वह मलेरिया हो या फिर सर्दी जुकाम अगर हम स्वस्थ हैं हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो कोई भी बीमारी हमारा बाल बांका नहीं कर सकती।
क्या होता है शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य
शारीरिक स्वास्थ्य का अर्थ है कि हम अपने सभी कार्य को बिना रुके कर पा रहे हैं। हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत है और हम बीमार भी नहीं पढ़ते हैं। मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है कि हम जरा जरा सी बातों पर परेशान नहीं हो जाते हमें चिड़चिड़ापन नहीं सताता । हमें चीखना -चिल्लाना, गुस्सा करना, जिद करना या फिर बिना मतलब के सोचना पसंद नहीं है ।
शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के लिए हमें अच्छा भोजन करने की, व्यायाम करने की व खेलकूद की आवश्यकता होती है अगर हमें शारीरिक रूप से मजबूत होना है तो हमें अपने भोजन में फल, दाल सब्जी, अंकुरित अनाज, सूखे मेवे आदि सभी पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है हमें भोजन ना तो बहुत अधिक लेना चाहिए न हीं हमें कम भोजन करके कुपोषण का शिकार हो जाना चाहिए। आजकल अधिकतर बच्चे अपने फिजिकल अपीरियंस के प्रति काफी सजग है । पर क्या सच में ऐसा है ,ब्रांडेड कपड़े पहनना अच्छे सैलून से हेयरकट कराना यह आपके मॉडन होने की तो निशानी हो सकती है पर यह आवश्यक नहीं है कि आप मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। ।स्वास्थ्य केवल शारीरिक ही नहीं मानसिक भी होता है। जिस तरीके से शारीरिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है उसी तरह से मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी अति आवश्यक है अगर हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते । खुशी कभी भी धन दौलत और प्रतिष्ठा से नहीं मिलती अगर हमारे पास यह सारी सांसारिक वस्तुएं हैं और अगर हम स्वस्थ नहीं हैं तो हम कभी भी खुश नहीं रह सकते लेकिन अगर इनमें से कुछ भी हमारे पास नहीं है लेकिन हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो हम हमेशा खुश रह सकते हैं।
कैसे रखें अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान अगर आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहते हैं तो आपको तन व मन दोनों की शुद्धता पर ध्यान देना होगा। तन के लिए आपको अच्छा भोजन करना होगा। शारीरिक व्यायाम खेलकूद को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाना होगा। फल सब्जियों का भरपूर मात्रा में सेवन करना होगा। और अगर आप शारीरिक स्वास्थ्य के साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहते हैं तो आपको ध्यान, मेडिटेशन योग आदि को अपनी दिनचर्या में जोड़ना होगा। मानसिक रूप से स्वस्थ वही व्यक्ति रह सकता है जो कि चिंता मुक्त हो चिंता मुक्त होने के लिए आवश्यक है कि आप किसी भी विषय के विषय में अधिक न सोचें और अपने मन को एकाग्र करना सीख ले। यह आप तभी कर सकते हैं जबकि आप मानसिक रूप से भी स्वस्थ होंगे। मानसिक रूप से स्वस्थ होने के लिए आपको अपने मन को भी स्वस्थ करना होगा। अगर हमारा मानसिक स्वास्थ्य सही है तो हमारा मस्तिष्क भी सही रहेगा और हमारा दिमाग भी सही तरह से कार्य करेगा। अधिकतर हम बच्चे अपना पूरा समय विद्यालय में बिताते हैं और फिर घर पहुंच कर दूसरे विषयों की पढ़ाई में या फिर किसी तरह की एक्स्ट्रा क्लास में खुद को व्यस्त कर लेते हैं ऐसे में स्वास्थ्य के बारे में तो हम चाह कर भी सोच नहीं पाते हम सभी पहले बचपन में जितना खेलते थे उतना अब दसवीं क्लास में आने के बाद सोच भी नहीं पाते हमें लगता है जितना समय हम खेलने कूदने में व्यर्थ कर रहे हैं इतने में तो हम कुछ पढ़ लेंगे या फिर कुछ नया सीख लेंगे पर ऐसा नहीं है अगर हम खेलकूद और व्यायाम नहीं करेंगे तो हमारा शरीर कुछ समय बाद ही थकने लगेगा और हम अंदर से कमजोर होने लगेंगे। बिना स्वास्थ्य के हम पढ़ाई पर अपना ध्यान भी नहीं लगा पाएंगे। अगर हम किसी खेल में प्रदर्शन करते हैं तो हमें अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे लिए अच्छी हेल्थ कितनी आवश्यक है हर गेम में चाहे वह स्विमिंग हो या फिर बैडमिंटन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का विशेष योगदान होता है अगर हम तन से और मन से दोनों से ही मजबूत है तो हम मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटेंगे और हम सभी जानते हैं कि जो मेहनत करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है तो फिर अगर सफल होना है तो उसका मूल मंत्र मेरे अनुसार तो स्वास्थ्य ही है क्योंकि हर ताले की कुंजी स्वास्थ्य ही है अगर हमारा तन और मन दोनों मजबूत है तभी हम बड़ी से बड़ी परेशानी का भी बिना घबराए बिना डरे सामना कर सकते हैं।
विद्यार्थियों के लिए क्यों आवश्यक है स्वस्थ होना विद्यार्थियों के लिए सबसे जरूरी होता है पढ़ाई करना। पढ़ाई के लिए वह अपने शहर को छोड़कर, अपने गांव को छोड़कर नई जगह जाते हैं । अगर उनका स्वास्थ्य अच्छा होता है तो वह अपने काम को मन लगाकर कर सकते हैं अपने पूरे मन से पढ़ाई कर सकते हैं ध्यान ओम मेडिटेशन विद्यार्थियों को भटकने से रोकता है आप सभी जानते हैं कि जब आप टीवी देख रहे होते हैं या मोबाइल में अपना कोई पसंदीदा गेम खेल रहे होते हैं तो आपको लगता है कि आप थोड़े समय का रिलैक्सेशन ही तो कर रहे हैं पर ऐसा नहीं है। आपकी यह छोटी-छोटी आदतें आपको कुछ समय बाद बीमार बना देंगी। न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी आपका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा और आप सिर्फ इधर से उधर भटकते रहेंगे। लेकिन अगर आप एक व्यवस्थित दिनचर्या के आदी हैं और आप सही समय पर सोते जागते खेलते कूदते हैं । तो आप देखेंगे कि आप किसी भी काम को बिना थके आराम से कर पाएंगे। अगर आप मेडिटेशन करते हैं योगा प्राणायाम करते हैं तो आप मानसिक रूप से खुद को स्वस्थ महसूस करेंगे आपको किसी भी समस्या का समाधान निकालने मैं मुश्किल नहीं होगी।
एक विद्यार्थी के लिए तो अच्छे स्वास्थ्य का होना एक नियामत की तरह होता है। अगर एक विद्यार्थी का स्वास्थ्य कमजोर है तो फिर वह पढ़ने में मन ही नहीं लगा पाएगा। विद्यार्थी को अपने स्वास्थ्य को मजबूत और अच्छा बनाने के लिए तन और मन दोनों को स्वच्छ रखना चाहिए। आजकल सोशल मीडिया ने बच्चों का बचपन छीन लिया है ।
कोविड के समय से ही बच्चों को जो इंटरनेट की लत लगी है ।शुरू में तो बच्चे उत्सुकतावश बस फोन हाथ में एक बार उठा कर देखना चाहते थे पर अब तो बच्चों की सुबह की शुरुआत फोन से होती है। कोविड के समय भले ही स्कूल कॉलेज खुल रहे थे लेकिन बच्चे के लिए स्कूल जाना मुश्किलों से भरा था और ऐसे में सुबह से लेकर दोपहर तक स्क्रीन के सामने घंटों बैठे बैठे बच्चों ने पढ़ाई की है। जिसके दुष्परिणाम आज हम सभी को झेलने पड़ रहे हैं। तन और मन दोनों से ही बच्चों के साथ उनके बड़े भी कमजोर हो चुके हैं आंख की बीमारी तो घर घर में आ चुकी है। ऐसे में एक विद्यार्थी के लिए तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसे भी परिवार हैं जिन्होंने कोविड के समय थोड़ा सा व्यायाम शुरू ही किया था और यह आज उनकी आदतों में शामिल हो चुका है। जिसके कारण वह बिना थके बिना रुके भी अपने काम कर पाते हैं। अंत में मैं अपनी बातों को बिना ज्यादा बढ़ाये सिर्फ यही कहना चाहूंगी की अच्छे स्वास्थ्य के बिना हम अपने जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते और अच्छा स्वास्थ्य खेलने कूदने व्यायाम योगा अध्ययन के अलावा अच्छी किताबें पढ़ने से भी आता है अगर हमें मानसिक रूप से स्वस्थ होना है तो हमें अच्छी किताबें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं अगर हम किसी अच्छी किताब के विषय में पढ़ते हैं तो हमें उस किताब के उस विषय के अलावा और भी बहुत कुछ पढ़ने और सीखने को मिलता है ।