रागिनी विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की रहने वाली एक युवा गायिका हैं, जो हाल ही में यो यो हनी सिंह के नए गाने ‘मैनिएक’ में अपने भोजपुरी रैप ‘दिदिया के देवर चढ़वले बाटे नजरी’ से चर्चा में आई हैं। इस गाने ने न सिर्फ उन्हें रातोंरात पहचान दिलाई, बल्कि भोजपुरी संगीत को भी एक बड़े मंच पर लाने का काम किया।
उनकी यह सफलता साधारण नहीं है, बल्कि संघर्ष, प्रतिभा और मेहनत की एक मिसाल है। गरीबी और कठिनाइयों के बावजूद, रागिनी ने अपने सपनों को साकार करने के लिए संगीत को अपनाया और अब बॉलीवुड तक अपनी आवाज पहुंचा चुकी हैं।
निष्कर्ष
रागिनी विश्वकर्मा की कहानी संघर्ष, सफलता और संगीत के जुनून की कहानी है। उन्होंने साबित किया कि अगर कोई भी कलाकार खुद पर भरोसा करे और लगातार मेहनत करता रहे, तो एक दिन उसे अपनी मंजिल जरूर मिलती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वे और किन बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनती हैं और कैसे भोजपुरी म्यूजिक को और ऊंचाइयों तक ले जाती हैं।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
रागिनी विश्वकर्मा का जन्म गोरखपुर के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका परिवार संगीत से जुड़ा था लेकिन कोई बड़ा मंच नहीं था। उनके माता-पिता मंदिरों में भजन गाकर और छोटे-मोटे कार्यक्रमों में परफॉर्म करके अपना जीवनयापन करते थे। बचपन से ही रागिनी ने संगीत को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया और महज 10 साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया।
परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए रागिनी को स्कूल छोड़कर अपने माता-पिता के साथ छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाना गाना पड़ा। उन्होंने शादी-ब्याह और अन्य पारंपरिक कार्यक्रमों में गाना गाकर अपने टैलेंट को निखारा। उनकी आवाज़ में एक अलग मिठास और देसीपन था, जो लोगों को बेहद पसंद आता था।
कोरोना काल में वायरल वीडियो बना टर्निंग पॉइंट
कोरोना महामारी के समय जब पूरी दुनिया बंद थी, तब सोशल मीडिया ने कई नए कलाकारों को प्लेटफॉर्म दिया। रागिनी विश्वकर्मा के एक गाने “पंखा कूलर से न गर्मी ई जाला” ने अचानक इंटरनेट पर धूम मचा दी। यह गाना यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर वायरल हो गया और इसे 10 मिलियन से ज्यादा व्यूज़ मिले।
इस वायरल गाने के बाद कई यूट्यूबर्स और लोकल म्यूजिक डायरेक्टर्स ने उन्हें अपने गानों के लिए गाने का ऑफर दिया। हालांकि, शुरुआती दिनों में उन्हें सिर्फ 100 से 500 रुपये तक ही मेहनताना मिलता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने संगीत पर काम करती रहीं।
View this post on Instagram
यो यो हनी सिंह के ‘मैनिएक’ में भोजपुरी रैप का मौका कैसे मिला?
रागिनी की वायरल होती लोकप्रियता ने उन्हें कई नए अवसर दिलाए। हनी सिंह की टीम की नजर जब उन पर पड़ी, तो उन्हें इस गाने के लिए अप्रोच किया गया। दिलचस्प बात यह है कि जब रागिनी रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो गईं, तब उन्हें नहीं बताया गया था कि यह गाना यो यो हनी सिंह के लिए रिकॉर्ड किया जा रहा है।
रिकॉर्डिंग के बाद जब ‘मैनिएक’ गाने का टीज़र रिलीज़ हुआ, तब उन्हें यह बड़ी खबर मिली कि वे हनी सिंह के गाने का हिस्सा बन चुकी हैं। इस गाने के बाद रागिनी की किस्मत बदल गई और वे भोजपुरी संगीत इंडस्ट्री के साथ-साथ बॉलीवुड में भी पहचानी जाने लगीं।
भविष्य की संभावनाएं और नए प्रोजेक्ट्स
‘मैनिएक’ की सफलता के बाद, रागिनी को कई नए प्रोजेक्ट्स के ऑफर मिलने लगे हैं। उन्हें बॉलीवुड और म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़ी कई कंपनियों ने संपर्क किया है। उनकी कहानी उन हजारों संघर्षशील गायकों के लिए प्रेरणा है, जो बिना किसी बड़े सपोर्ट के सिर्फ अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ना चाहते हैं।
भोजपुरी म्यूजिक को लेकर अक्सर कहा जाता है कि इसे सिर्फ क्षेत्रीय स्तर तक ही सीमित रखा जाता है, लेकिन रागिनी विश्वकर्मा ने साबित कर दिया कि अगर टैलेंट है तो भाषा कोई बाधा नहीं होती। उन्होंने भोजपुरी को एक ग्लोबल पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
रागिनी विश्वकर्मा: नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
View this post on Instagram
रागिनी विश्वकर्मा की कहानी एक सपने के सच होने की मिसाल है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर मेहनत और लगन हो तो कोई भी मुश्किल आपके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।
उनकी इस सफलता के बाद अब वे अपने म्यूजिक करियर को और आगे बढ़ाने की योजना बना रही हैं। वे चाहती हैं कि भोजपुरी संगीत को एक बड़ा मंच मिले और इसे बॉलीवुड तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिले।
उनका यह सफर यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया किस तरह नए टैलेंट को मौका दे सकता है। अगर सही तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाए, तो कोई भी कलाकार अपनी पहचान बना सकता है।
💡 आप रागिनी विश्वकर्मा के इस सफर के बारे में क्या सोचते हैं? क्या भोजपुरी म्यूजिक को और बड़े स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर दें! 🚀