आयुर्वेदिक उपचारों से यूरिक एसिड को जड़ से कैसे खत्म करें?
पार्ट वन में हम सब ने यह तो जान लिया की यूरिक एसिड होता क्या है और हम इसे घर में ही कैसे कंट्रोल कर सकते हैं लेकिन घर में हम कंट्रोल तो करते हैं लेकिन पूरी तरह घरेलू उपाय से इसे खत्म करना असंभव सा ही है। घरेलू उपाय तो छोड़िए अगर हम इसे एलोपैथी के द्वारा ठीक करना चाहे तो जड़ से ठीक करना संभव ही नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं आयुर्वेद के द्वारा यूरिक एसिड को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। आईए जानते हैं ऐसी आयुर्वेदिक चिकित्सा के विषय में जिससे कि यूरिक एसिड जड़ से खत्म हो सकता है। लेकिन पहले बात करते हैं कुछ घरेलू उपायों की जिनकी चर्चा पार्ट वन में रह गई थी।
घास में नंगे पांव चलना
पैरों के तलवे पर घास पर नंगे पैर चलने से पैरों के तलवे पर नेचुरल एक्यूप्रेशर पड़ता है। जिसके कारण आपकी किडनी तेजी से काम करती है और शरीर से यूरिक एसिड आसानी से बाहर निकल पाता है।
हर्बल टी
अगर आप चाय कॉफी बहुत पीते हैं तो इसे बंद कर दे क्योंकि कैफीन आपके शरीर को डिहाइड्रेट कर सकता है। जिसके कारण आपके शरीर से हानिकारक पदार्थों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। अगर आप चाय या कॉफ़ी की जगह हर्बल टी, तुलसी, गिलोय के पत्तों की चाय पीते हैं तो यह आपके शरीर से हानिकारक तत्व को आसानी से बाहर निकलने में मदद करते हैं। वनस्पति और जड़ी बूटियों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो की यूरिक एसिड को बढ़ने से रोकते हैं और शरीर को डिटॉक्सिफाई करते हैं।
बदले लाइफस्टाइल
अगर आप यूरिक एसिड से परेशान है तो सबसे पहले अपना लाइफस्टाइल बदले। सुबह जल्दी उठना और रात को जल्दी सोने की आदत डालें जिससे कि आपका शरीर रात को शरीर को डिटॉक्सिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा कर सके। अपने भोजन में हरी सब्जियां पालक, खीरा अवश्य शामिल करें। इस समय चिया सीड्स से बनी स्मूदी बहुत लाभकारी होती है। यह शरीर से हानिकारक तत्व को आसानी से बाहर निकलने में कारगर होती है।
आइए अब जानते हैं आयुर्वेदिक चिकित्सा के विषय में स्नेहन कर्म
आयुर्वेद की पद्धति में रोगी के शरीर पर विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां मिलकर तेल की मालिश की जाती है तेल को शरीर के अंदर बाहर दोनों तरफ लगाया जाता है जिससे कि मरीज का वह भोजन (अमा) जिसे वह आसानी से पचा नहीं पा रहा वह पाचन तंत्र में नीचे आ जाता है और बाद में अमा पंचकर्म विधि के द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज को विभिन्न जड़ी बूटियों के मिश्रण से बना स्नेहपान नाम का औषधि तेल पीने के लिए दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति का हाई यूरिक एसिड कंट्रोल होता है और पथरी और गठिया जैसी बीमारी दूर होती है।
उपनाह कर्म
इस विधि के द्वारा शरीर के वात दोष बाहर निकलते हैं। इस प्रक्रिया में जड़ी बूटियों से बनाई गईं पुल्टिस से मरीज के प्रभावित हिस्से की सिकाई की जाती है। सिकाई के बाद रात भर के लिए व्यक्ति के उस हिस्से पर रात भर के लिए गर्म उन्हें कपड़ा लपेट दिया जाता है। इस कर्म के लिए गेहूं, जौ और कुठ जैसी जड़ी बूटियां प्रयोग में लाई जाती है।
विवेचन कम
इस प्रक्रिया के द्वारा रोगी के शरीर से पित्त को बाहर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में मरीज को दस्त करवाए जाते हैं। जिसके लिए विभिन्न जड़ी बूटियां प्रयोग में लाई जाती है। इस प्रक्रिया के द्वारा रोगी अपने शरीर में हल्कापन महसूस करता है। इस प्रक्रिया के द्वारा रोगी के पेट के अल्सर, योनि रोग, ट्यूमर और लंबे समय तक रहने वाले बुखार से मुक्ति मिलती है।
बस्ती कर्म
इस प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति को एनिमा दिया जाता है जिसकी वजह से किडनी स्वस्थ होकर पुनः काम करने लगती है। रोगी का यूरिक एसिड भी सही से फिल्टर होने लगता है। एनिमा के लिए रोगी को काढा या तेल का प्रयोग करवाया जाता है। आयुर्वेदाचार्य अधिकतर अरंडी के तेल का प्रयोग करते हैं। इस चिकित्सा के बाद व्यक्ति को 1 घंटे तक कुछ भी खाना या पीना नहीं होता और एक से दो दिन तक उसे कोई बड़ा भारी थकान वाला काम नहीं करना होता। इस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति को काफी थकान हो जाती है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर क्या करें?
यूरिक एसिड बढ़ने पर व्यक्ति को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। अत्यधिक व्यायाम नहीं करना चाहिए। ठंडे भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मल और मूत्र वेग को नहीं रोकना चाहिए। वसा वाले भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए दिन में सोने से बचना चाहिए। धूप में नहीं जाना चाहिए।