Thursday, January 9, 2025
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क्या है प्रधानमंत्री मोदी की नई आर्थिक रणनीति महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के लिए जोखिम बढ़ने पर

कहां जा रहा है कि अगले 6 वर्षों के लिए मोदी का लक्ष्य प्रति व्यक्ति आय को लगभग 2500 डॉलर से बढ़कर 4418 डाॅलर करना है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी निवेश व‌ विनिर्माण को कमजोर होने से बचाने के लिए और साथ ही साथ आर्थिक मंदी को रोकने के लिए लगातार प्रयत्नशील है। आईए देखते हैं क्या है नई आर्थिक रणनीति प्रधानमंत्री मोदी की

सरकार ने लगाया वित्तीय वर्ष में 6.4% की वृद्धि का अनुमान

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 6.4% की वार्षिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। यह वृद्धि पिछले चार वर्षो के वार्षिक वृद्धि से सबसे कम है। इस साल कमजोर निवेश और विनिर्माण के कारण यह वृद्धि सरकार के प्रारंभिक अनुमानों से भी कम है।

क्यों लगाया जा रहा है 4 सालों तक की सबसे कम आर्थिक वृद्धि का अनुमान

यह एक निराशाजनक अनुमान है जो कि 2024 की दूसरी छमाही में कॉर्पोरेट आई में हुई निरंतर मंदी के बाद किया गया है। आर्थिक संकेत भी मंदी की तरफ ही इशारा कर रहे हैं। जिसके कारण निवेशकों को देश के पहले के बेहतर प्रदर्शन पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। निवेशकों का भरोसा धीरे-धीरे प्रधानमंत्री मोदी जी के आर्थिक लक्ष्य पर कमजोर हो रहा है और कुछ निवेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी आर्थिक लक्ष्यों पर संदेह जता रहे हैं। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज का कहना है कि हमें एनिमल स्प्रिट रखते हुए अपने व्यापार को और अपने देश की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए खुद को प्रोटेक्ट कर के चलना होगा और समय-समय पर मार्गदर्शन लेते रहना होगा। ऐसा करके ही भारत अपनी राजकोषिय बैलेंस शीट का विस्तार कर सकता है और फिर ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।

क्या है सरकार की आर्थिक चिंतायें

इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति का वैश्विक व्यापार दृष्टिकोण एक चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार की चिंता का एक कारण भारत की गिरती हुई मुद्रा भी है। जिसके कारण निवेशक अपने पैर पीछे खींच रहे हैं।

क्या कहना है भारत के आर्थिक विशेषज्ञों का

भारत के आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है विकास को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसे डालने होंगे। विकास को बढ़ावा देने के लिए कर और शुल्कों में कटौती करनी होगी। आर्थिक व्यवस्था की गिरती हुई स्थिति को देखकर समय-समय पर मीटिंग हो रही है जिन में भारत की अर्थव्यवस्था को पुनःजीवित करने के लिए नए-नए उपाय लागू करने मांग उठ रही हैं। विशेषज्ञों को कहना है कि केंद्रीय बैंक की सख्त मौद्रिक नीति मांग पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार है।

 अभी सेंसेक्स की क्या स्थिति है

अभी सितंबर की अंतिम सप्ताह से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक बेंचमार्क निफ़्टी 50 इंडेक्स 12% तक गिर गया था। 2024 के दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक 8. 7% की वृद्धि हुई जिसके कारण नुकसान की भरपाई हो गई थी। लेकिन यह वृद्धि पिछले वर्ष 2023 की 20% वृद्धि से काफी कम थी। अब जैसे-जैसे वृद्धि कम हो रही है। निवेशकों का आत्मविश्वास भी काफी कमजोर होता जा रहा है। निवेशकों का कमजोर होता आत्मविश्वास सरकार के ऊपर दबाव बढ़ा रहा है जिससे कि वृद्धि को बढ़ाया जा सके।

सरकार क्या कर रही है विकास को बढ़ावा देने और निवेशकों का भरोसा कायम करने के लिए

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिसंबर में उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों के साथ कई मीटिंग की। उन मीटिंग में भारत के विकास को बढ़ावा देने के विषय में चर्चा की गई। मीटिंग में विकास को बढ़ावा देने के सार्थक उपायों को खोजा जा रहा है जिससे कि भारत की विकास गति को बढ़ाया जा सके भारत की वार्षिक बजट से पहले की परंपरा है कि ऐसी बैठक की जाती है। भारत का वार्षिक बजट 1 फरवरी को आने वाला है।

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