जब आप निरंतर तनाव में रहते हैं आपके खाने पीने का समय निश्चित नहीं होता। आपको अत्यधिक तेल मिर्च मसाले वाला भोजन पसंद होता है या आप जंक फूड खाना अधिक पसंद करते हैं तो इन सभी के दुष्परिणाम भी आपके शरीर को झेलने पड़ते हैं और सबसे ज्यादा तकलीफ होती है आपकी आंतों को इन सभी परिस्थितियों में आपकी आते कमजोर हो जाती है
क्या होता है आंतों का मुख्य काम?
आंतों का मुख्य काम आपका भोजन को पचाना होता है। आंतें भोजन को पचाने के बाद पोषक तत्व को अवशोषित करती है और हानिकारक और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। हमारे शरीर में छोटी आंत और बड़ी आंत मिलकर हमारी इंटेस्टाइन प्रणाली को बनाती है। जिसमें हमारी छोटी आत का काम भोज्य पदार्थ का पाचन करना होता है और पोषक तत्व को शरीर में अवशोषित करना होता है। बड़ी आंत का काम हमारे शरीर से अवांछित तत्वों को अवशिष्ट पदार्थों के माध्यम से बाहर निकलना होता है। आंतों में गुड बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो कि हमारे भोजन को पचाने में आंतों की मदद करते हैं लेकिन जब हम अपने शरीर के साथ नाइंसाफी करते हैं तो इसके दुष्परिणाम हमारी आंतें भी झेलती है हमारी आंतों के गुड बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और फिर भोजन पचने के बजाय आंतों में ही सड़ने लगता है जिसके कारण आंतों में विभिन्न परेशानियों और बीमारियां हो जाती हैं।
क्या बीमारियां होती है आंतों में अगर भोजन अच्छे से ना पचे तो?
अगर आपका भोजन अच्छे से नहीं पचता है तो आपके मल में बहुत बदबू आती है। आपको पूरे दिन थकान कमजोरी महसूस होती है। आपको भूख कम लगती है। आपको कब्ज रहता है। और फिर आप स्वस्थ व्यक्ति नहीं रहते आप मरीज बन जाते हैं और फिर मरीज दिन में दो बार से अधिक बार मल विसर्जन के लिए जाता है। मरीज के मुंह से बदबू आती है। पेट में दर्द रहता है पेट भारी-भारी रहता है। मरीज का जी मिचलाता है तो यह सभी लक्षण आंतो में कमजोरी होने के हैं।
आंतों की कमजोरी दूर करने के लिए करें क्या उपाय?
आंतों की कमजोरी दूर करने के लिए सबसे पहले तो हमें तनाव को दूर करना होगा क्योंकि जब भी हम तनाव में रहते हैं तो यह हमारे शरीर में एसिड बढ़ाता है और हमारे एंजाइम के लेवल को कम करता है जिससे हमारे पेट के गुड बैक्टीरिया खत्म होने लगते हैं। तनाव दूर करने के लिए एक्सरसाइज, मेडिटेशन, बॉडी मसाज करें जिससे आप रिलैक्स महसूस करें और आपकी आते स्वस्थ महसूस करें। आंतों को स्वस्थ रखने के लिए फर्मेंटेड फूड का करें सेवन। दही खाएं दही में लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया होते हैं जो की गुड बैक्टीरिया होते हैं। आंतों को स्वस्थ रखने में लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया का विशेष योगदान होता है दही का सेवन करने से पाचन तो सुचारू रूप से होता ही है आपके शरीर में होने वाला इन्फ्लेमेशन भी नहीं होता दही आपके पेट को ठंडक पहुंचाती है।
अचार का सेवन करें किंतु सीमित मात्रा में
अचार एक फर्मेंटेड फूड होता है जिसमें की गुड बैक्टीरिया होते हैं। अचार में मौजूद प्रोबायोटिक पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में भूमिका निभाते हैं और अचार में मौजूद हींग, जीरे जैसे मसाले पेट की समस्याओं सूजन, गैस और कब्ज से राहत पहुंचाते हैं।
इडली डोसे साउथ इंडियन फूड क्या करेंसेवन
साउथ इंडियन फूड अपने फर्मेंटेड होने के कारण स्वास्थ्य के रूप से एक विशेष पहचान रखता है यह फूड आंतों की स्वास्थ्य को बढ़ाता है जब चावल उड़द की दाल को फॉर्मेट किया जाता है तो उसमें प्रोबायोटिक डेवलप होते हैं और यह हाथों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं।
कांजी
हींग जीरा, राई, काला नमकऔर पानी बस चार चीजों से बनने वाला यह पेय पदार्थ शरीर से सभी हानिकारक पदार्थों को बाहर निकाल कर आंतों को फिर से स्वस्थ कर बना देता है। हींग, जीरा, राई इन सबको धीमी आज पर तवे पर भूनकर ठंडा होने के लिए रख दे। ठंडा होने पर पीस ले काला नमक मिला ले।और फिर एक बड़े भगौने में पानी को उबालकर उसे ठंडा करके जब उसमें हींग जीरा राई और काले नमक के ठंडे हुए पाउडर को डालकर तीन-चार दिन धूप में रख दें। तीन चार तीन-चार दिन धूप में रखने पर पर यह फर्मेंटेड हो जाता है