विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट, जो भारत का पहला डीपवॉटर कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है, अब देश की समुद्री शक्ति का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बंदरगाह का उद्घाटन करते हुए इसे आर्थिक क्रांति की ओर कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह पोर्ट 2028 तक 3 मिलियन TEUs की हैंडलिंग क्षमता हासिल करेगा।
प्रमुख विशेषताएं:
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₹8,867 करोड़ का कुल निवेश
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10 लाख TEU प्रति वर्ष की प्रारंभिक क्षमता
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केरल सरकार का ₹5,595 करोड़ का योगदान
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अदाणी ग्रुप द्वारा ₹2,454 करोड़ का निवेश
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₹800 करोड़ की वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) केंद्र सरकार से
पीएम मोदी का संबोधन: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अब भारत को ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। विझिंजम पोर्ट विदेशी व्यापार को सीधे भारत लाएगा, जिससे राजस्व की बड़ी हानि रुकेगी और भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।”
उन्होंने इस पोर्ट को भारत के बदलते दृष्टिकोण का उदाहरण बताया, जहाँ राज्य सरकार और निजी क्षेत्र साथ मिलकर देश के लिए काम कर रहे हैं।
पोर्ट की तकनीकी संरचना:
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3,000 मीटर लंबी ब्रेकवॉटर
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800 मीटर कंटेनर बर्थिंग सुविधा
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18 मीटर प्राकृतिक गहराई, जिसे 20 मीटर तक बढ़ाया जा सकता है
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11 नॉटिकल मील की दूरी पर अंतरराष्ट्रीय शिपिंग चैनल
भविष्य की योजना और रणनीति
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2024 में व्यावसायिक संचालन शुरू कर दिया गया है
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अब तक 250+ जहाजों की आमद
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2028 तक पूरी तरह से परिचालनात्मक बनाने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब वैश्विक व्यापार की धुरी बनने की ओर अग्रसर है। G20 शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर में केरल की अहम भूमिका होगी।
केरल सरकार का योगदान
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, “यह पहली बार है जब कोई राज्य बंदरगाह के विकास में सबसे बड़ा भागीदार बना है। यह पोर्ट न सिर्फ केरल बल्कि पूरे भारत की आर्थिक दिशा को बदल देगा।”
निष्कर्ष
विझिंजम पोर्ट भारत के मैरिटाइम विज़न 2047 की दिशा में एक ठोस कदम है। यह न केवल विदेशी निर्भरता को कम करेगा, बल्कि देश को वैश्विक समुद्री शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर करेगा।