भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच UNSC की सख्त चेतावनी
भारत और पाकिस्तान के बीच गहराते तनाव और कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पाकिस्तान पर तीखा प्रहार किया है। बंद कमरे में हुई इस बैठक में UNSC के सदस्यों ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर जवाब मांगा और लश्कर-ए-तैयबा की संदिग्ध भूमिका को लेकर सवाल खड़े किए।
क्या था पहलगाम हमला?
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 25 निर्दोष पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू चालक की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई। UNSC की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया गया—जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया हिल गई।
UNSC की बैठक में क्या हुआ?
-
समय और स्थान: बंद कमरे में लगभग एक घंटे चली बैठक
-
पाकिस्तान पर सवाल: लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता पर पाकिस्तान को घेरा गया
-
अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिशें नाकाम: पाकिस्तान की कोशिशों को वैश्विक मंच पर समर्थन नहीं मिला
-
परमाणु बयानबाज़ी की निंदा: UNSC सदस्यों ने पाकिस्तान की बयानबाज़ी को तनाव बढ़ाने वाला बताया
-
मिसाइल परीक्षणों पर चिंता: हालिया परीक्षणों को अस्थिरता बढ़ाने वाला कदम कहा गया
कौन-कौन शामिल था बैठक में?
बैठक में स्थायी सदस्य—अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन—के साथ-साथ अस्थायी सदस्य जैसे ग्रीस, स्लोवेनिया, सोमालिया, डेनमार्क, और दक्षिण कोरिया भी मौजूद थे। ग्रीस के प्रतिनिधि एवांजेलोस सेकेरिस ने बैठक को “उपयोगी और रचनात्मक” बताया।
पाकिस्तानी प्रतिक्रिया और भारत का रुख
पाकिस्तानी दूत असीम इफ्तिखार ने भारत के आरोपों को सिरे से नकारा और सिंधु जल संधि को रद्द करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानियों के वीज़ा रद्द कर दिए और संधि स्थगित कर दी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेस ने इस तनावपूर्ण स्थिति में दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा, “सैन्य समाधान कभी समाधान नहीं होता। नागरिकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना ज़रूरी है।”
निष्कर्ष: दुनिया की नजरें अब पाकिस्तान पर
पहलगाम हमला न सिर्फ मानवता पर हमला था, बल्कि यह वैश्विक सुरक्षा तंत्र की परीक्षा भी है। UNSC की यह सख्ती एक स्पष्ट संदेश है—आतंक को शरण देने वालों को अब जवाबदेह होना पड़ेगा। भारत और दुनिया अब सिर्फ शांति नहीं, बल्कि न्याय की मांग कर रहे हैं।