अमेरिकी अपील अदालत (US Court of Appeals) ने शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकतर टैरिफ़ को ग़ैरक़ानूनी करार दिया है। हालांकि अदालत ने इन्हें 14 अक्टूबर 2025 तक लागू रहने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके। इस फैसले के बाद ट्रंप ने अदालत को “पक्षपाती” बताते हुए तीखा पलटवार किया।
ट्रंप टैरिफ़ विवाद: क्या है मामला?
ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल 2025 में दुनिया भर के देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ़ लगाया था। इसके अलावा, जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा था, उन पर अतिरिक्त शुल्क भी लगाया गया। भारत को सबसे ज़्यादा झटका लगा, क्योंकि यहां पर 50% तक का टैरिफ़ लगा दिया गया था, जिसमें रूसी ऊर्जा खरीदने पर 25% की अतिरिक्त पेनल्टी भी शामिल थी।
अमेरिकी अदालत का बड़ा फैसला
फेडरल सर्किट की अपील अदालत ने कहा कि ट्रंप ने 1970 के दशक के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) का ग़लत इस्तेमाल किया। अदालत के अनुसार, राष्ट्रपति को इस क़ानून के तहत ऐसे व्यापक स्तर पर टैरिफ़ लगाने का अधिकार नहीं है। हालांकि फैसला तुरंत लागू नहीं होगा और 14 अक्टूबर तक टैरिफ़ बरकरार रहेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने इस आदेश को “गलत और पक्षपाती” करार दिया और कहा कि अमेरिका अंततः जीतेगा। उन्होंने Truth Social पर लिखा कि वे इस मामले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जाएंगे और अंत तक लड़ेंगे।
टॉप 5 बड़े अपडेट – ट्रंप टैरिफ़ पर अमेरिकी अदालत का आदेश
-
पुराना फैसला बरकरार: अदालत ने पहले दिए गए फैसले को सही ठहराया कि ट्रंप ने आपातकालीन क़ानून का ग़लत इस्तेमाल किया।
-
अधिकार पर सवाल: अदालत ने कहा कि ट्रंप को IEEPA के तहत टैरिफ़ लगाने का अधिकार नहीं है।
-
भारत पर असर: भारत पर लगे 50% टैरिफ़ को लेकर असमंजस बना हुआ है। यह फैसला अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता को प्रभावित कर सकता है।
-
ट्रंप का पलटवार: ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही और अदालत को ‘Highly Partisan’ बताया।
-
आगे क्या होगा?: केस अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा, जहां अंतिम फैसला होगा। अगर वहां भी चुनौती मिली, तो ट्रंप को वैकल्पिक कानूनों पर निर्भर रहना होगा।
क्या बदल सकता है व्यापार परिदृश्य?
यह फैसला ट्रंप की उस महत्वाकांक्षा को चुनौती देता है, जिसमें वे अमेरिकी व्यापार नीति को पूरी तरह बदलना चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अपनाता है, यह वैश्विक व्यापार के लिए अहम होगा। भारत जैसे देशों की नज़र भी इस पर टिकी हुई है, क्योंकि टैरिफ़ का सीधा असर आयात-निर्यात और विदेशी ऊर्जा सौदों पर पड़ेगा।
✅ निष्कर्ष:
अमेरिकी अदालत का यह आदेश ट्रंप की नीतियों के लिए बड़ा झटका है। अब सबकी नज़र 14 अक्टूबर और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी रहेगी। आने वाले समय में यह तय करेगा कि अमेरिका की वैश्विक व्यापार नीति किस दिशा में जाएगी।