अमेरिकी अपीलीय अदालत ने सुनाया चौंकाने वाला फैसला
ट्रंप प्रशासन को बड़ी राहत देते हुए अमेरिकी अपील अदालत ने उनके द्वारा लागू किए गए वैश्विक टैरिफ्स को अस्थायी रूप से फिर से लागू कर दिया है। यह फैसला उस दिन के ठीक बाद आया है जब यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने इन्हें ‘गैरकानूनी’ बताया था।
टैरिफ नीति पर क्या है मामला?
2 अप्रैल को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सभी देशों पर 10% का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उनका तर्क था कि यह कदम अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी है। लेकिन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने बुधवार को कहा कि ट्रंप ने 1977 के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।
कोर्ट का ताज़ा फैसला क्या कहता है?
अपीलीय अदालत ने कहा—
“तत्काल प्रशासनिक स्थगन की याचिका को स्वीकार किया जाता है। ट्रेड कोर्ट द्वारा दिए गए स्थायी निषेधाज्ञा को अगली सूचना तक स्थगित किया जाता है।”
इसका मतलब है कि जब तक यह अपील लंबित है, तब तक ट्रंप की टैरिफ नीति लागू रहेगी।
क्या बोले ट्रंप के प्रमुख सलाहकार?
व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने मीडिया से कहा,
“हम इस फैसले को ऊपरी अदालत तक ले जाएंगे। अगर हार भी मिले, तो भी दूसरा रास्ता अपनाएंगे।”
उन्होंने यह भी पुष्टि की कि फिलहाल टैरिफ्स जारी रहेंगे और अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ताएं भी चलती रहेंगी।
किन राज्यों ने दी चुनौती?
न्यू यॉर्क, न्यू मैक्सिको, कनेक्टिकट, एरिज़ोना सहित 12 राज्यों और 5 छोटे व्यवसायों ने मिलकर टैरिफ नीति को कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि इस नीति का बोझ आम नागरिकों पर पड़ा है और यह ड्रग कार्टेल्स पर लगाम कसने में असफल रही है।
व्हाइट हाउस का पलटवार: “न्यायिक अतिक्रमण”
प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कोर्ट के फैसले को “न्यायिक अतिक्रमण” बताया। उन्होंने कहा,
“यह टैरिफ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए बेहद ज़रूरी थे। यह एक साहसिक और ज़रूरी कदम था जो लंबे समय से लंबित था।”
आगे क्या?
अगर ट्रंप प्रशासन अपील में हार जाता है, तो यह मामला US Supreme Court में जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला अमेरिका की व्यापार नीति और न्यायिक संतुलन की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिका में व्यापार नीति को लेकर चल रही इस रस्साकशी पर दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं। जहां एक तरफ ट्रंप प्रशासन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ रहा है, वहीं अदालतें इसे सत्ता के दुरुपयोग के रूप में देख रही हैं। आने वाले हफ्तों में इस केस का क्या परिणाम निकलता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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