डोनाल्ड ट्रंप ने ने अपने पहले शासनकाल में ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए एक समझौता किया था। जिसमें ईरान को परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक यूरेनियम और अन्य तीन आवश्यक खनिज एकत्र करने में 12 महीने का समय लगने वाला था। इस समझौते के अनुसा ईरान से यूरेनियम हटा लिया गया था। अगर ईरान यूरेनियम दोबारा से इकट्ठा करना चाहता तो उसे दूसरे देशों से यूरेनियम मांगना पड़ता। पड़ोसी देशों को पता चल जाता कि ईरान यूरेनियम इकट्ठा कर रहा है। जिससे कि सभी सजग हो जाते। इसके बदले में ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिका और यूरोप जैसे देशों ने संधि वार्ता की थी।
अब जबकि डोनाल्ड ट्रंप दोबारा प्रधानमंत्री बन चुके हैं और ईरान इजरायल युद्ध काफी समय से चल रहा है। ऐसे में ईरान का परमाणु हथियारों का प्रयोग करने का खतरा फिर से बढ़ गया है। इन्हीं परिस्थितियों से निपटने के लिए अमेरिका अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। जिनमें से एक विकल्प इजरायल से अमेरिका का ईरान के परमाणु ठिकानों पर जेड विमानों से हमला करवाना है।
ईरान बना सकता है परमाणु हथियार
सूत्रों की माने तो ईरान के पास इतना संवर्धित यूरेनियम है कि वह हथियार ग्रेड यूरेनियम से चार परमाणु बम बना सके।
क्या कहा अमेरिका ने इजरायल से
ईरान ने इजराइल पर मिसाइल से हमला किया था। जिस पर अमेरिका ने इजरायल से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए कहा। कुछ समय पहले ही इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर मिसाइल से हमला करना शुरू कर दिया है। अमेरिका का कहना है कि सबसे अधिक खतरा परमाणु आक्रमण से ही है इसीलिए इजरायल को ईरान के परमाणु ठिकानों को ही खत्म कर देना चाहिए।
क्या अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर ईरान पर हवाई हमला करेगा
अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर ईरान पर हवाई हमले करने के बारे मैं सोच रहा है, या शायद गुप्त रूप से शुरू भी कर चुका है। इजरायल अमेरिका में बनी मिसाइलों का प्रयोग करके ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फ़हान शहरों पर आसमानी हमला करके ईरान के परमाणु हथियार स्थलों को ठिकाने लगाना चाहता है।
कौन से देश है इजरायल के साथ
सभी जी सेवन देश इजरायल के साथ है। बाइडल ने कहा कि हम इजराइल का समर्थन करते हैं हम इजरायल के साथ है। हम इजरायल के ईरान पर हमले का भी समर्थन करते हैं। हम इजरायल से उम्मीद करते हैं कि वह ज्यादा बड़ा हमला ईरान पर ना करें।
अमेरिका इजराइल का खुलकर साथ देने से क्यों हिचकिचा रहा है
अमेरिका इजरायल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु ठिकाने पर आसमानी हमले करने से बचना चाह रहा है। क्योंकि अमेरिका जान माल का नुकसान नहीं चाहता है। इसीलिए वह ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसे कमजोर करना चाहता है ताकि ईरान परमाणु हमले न कर सके। अमेरिका ईरान पर सीधा हमला करके एक बड़े क्षेत्रीय संकट को बुलावा नहीं देना चाहता क्योंकि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया तो ईरान के साथ खड़े देश भी इस युद्ध में शामिल हो जाएंगे और तृतीय विश्व युद्ध शुरू होने की संभावना है।