Tuesday, July 1, 2025
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‘कर सकता हूँ, कर भी नहीं सकता’: जब ट्रंप ने ईरान को दी 5 कड़ी चेतावनियाँ

जब इज़राइल-ईरान संघर्ष अपने सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है, पूरी दुनिया अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगली चाल का इंतज़ार कर रही है। अमेरिकी नीति पर रहस्य बरकरार है, लेकिन ट्रंप के पुराने बयान हमें उनके रवैये की झलक देते हैं। ट्रंप के बयानों में एक ओर अनिश्चितता है तो दूसरी ओर शक्ति प्रदर्शन और आक्रामक लहजा। आइए जानते हैं वो 5 मौके जब ट्रंप ने ईरान को सख्त चेतावनी दी, और इनका क्या प्रभाव हो सकता है।

🗣️ 1. “कर सकता हूँ, कर भी नहीं सकता”

व्हाइट हाउस के बाहर पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा:

“मैं कर सकता हूँ, कर भी नहीं सकता। किसी को नहीं पता मैं क्या करने वाला हूँ।”

यह बयान सिर्फ अनिश्चितता नहीं दर्शाता, बल्कि यह एक रणनीति है जिससे ट्रंप अपनी सैन्य नीति को छिपाकर शत्रु को भ्रम में रखना चाहते हैं। इस रणनीति का उद्देश्य दुश्मन को मानसिक दबाव में रखना है।

⏳ 2. कूटनीति या युद्ध के 48 अहम घंटे

ट्रंप के सलाहकारों ने मीडिया से कहा कि आने वाले 48 घंटे निर्णायक होंगे। यदि ईरान ने बातचीत के संकेत नहीं दिए, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई पर विचार कर सकता है। यह बयान न केवल दबाव बनाने की कोशिश है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी संकेत है कि अमेरिका जल्द निर्णय ले सकता है।

🎯 3. ईरान के सर्वोच्च नेता को ललकारा

ट्रंप ने अपने Truth Social पोस्ट में अयातुल्ला खामेनेई को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका जानता है कि वे कहां छिपे हुए हैं।

“हम उन्हें अभी मारने नहीं जा रहे।”

यह बयान एक तरह का खुला इशारा है कि अमेरिका के पास सैन्य और खुफिया संसाधनों की कोई कमी नहीं है।

“हम नागरिकों या अमेरिकी सैनिकों पर मिसाइलें नहीं चाहते। हमारा धैर्य जवाब दे रहा है।”

यह बयान ईरान को सीधे तौर पर चेतावनी देता है कि यदि उन्होंने अमेरिका या उसके सहयोगियों पर हमला किया, तो जवाब विनाशकारी होगा।

🛩️ 4. ईरानी आसमान पर अमेरिका का कब्ज़ा

ट्रंप का यह दावा कि अमेरिका ने ईरान के आसमान पर “पूरी तरह से नियंत्रण” कर लिया है, न केवल आत्मविश्वास बल्कि सैन्य शक्ति का प्रदर्शन भी है।

“ईरान के पास अच्छी तकनीक थी, लेकिन अमेरिका से बेहतर कोई नहीं।”

इस बयान का उद्देश्य ईरान की सैन्य क्षमता को कमजोर साबित करना और विश्व मंच पर अमेरिकी प्रभुत्व को दर्शाना है।

📝 5. समझौते का आखिरी मौका

ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने ईरान को कई बार समझौते का मौका दिया।

“मैंने उन्हें बताया कि अगर वो चूक गए, तो अंजाम उनके अनुमान से भी कहीं ज्यादा गंभीर होंगे।”

इस बयान से स्पष्ट है कि ट्रंप अब और सहनशीलता नहीं दिखाना चाहते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका और इज़राइल दोनों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं और वे उन्हें इस्तेमाल करना जानते हैं।

🌍 भू-राजनीतिक प्रभाव:

इन बयानों का असर केवल ईरान तक सीमित नहीं है। पूरी दुनिया ट्रंप की अगली चाल की प्रतीक्षा कर रही है। उनके बयान इज़राइल को समर्थन का संकेत देते हैं, जिससे ईरान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनता है। साथ ही यह भी संकेत है कि अमेरिका जरूरत पड़ने पर प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है।

📌 निष्कर्ष:

डोनाल्ड ट्रंप के बयानों में रणनीतिक धैर्य, मनोवैज्ञानिक दबाव और सैन्य शक्ति का स्पष्ट संदेश है। उन्होंने अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन उनके इरादों से यह साफ है कि ईरान को जल्द ही अपने कदम सोच-समझकर उठाने होंगे।

इस तनावपूर्ण स्थिति पर नज़र बनाए रखें—अगले कुछ दिन पश्चिम एशिया और विश्व राजनीति के लिए निर्णायक हो सकते हैं।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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