वॉशिंगटन:
विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव की ज्वाला फिर भड़क उठी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अपने अधिकांश व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया। लेकिन यह छूट चीन को नहीं मिली। इसके उलट, ट्रंप ने चीन से आयात होने वाले सभी उत्पादों पर 125% का कर लगा दिया — एक ऐसा निर्णय जिसने वैश्विक बाजारों में खलबली मचा दी।
इसके जवाब में, बीजिंग ने भी पीछे न हटते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर 84% का टैरिफ लागू कर दिया, जो गुरुवार दोपहर 12:01 बजे से प्रभावी हो गया। यह व्यापारिक टकराव अब एक गहन व्यापार युद्ध का रूप ले चुका है।
व्हाइट हाउस ने बाकी देशों को साफ शब्दों में चेतावनी दी है – “अगर प्रतिशोध नहीं लिया, तो इनाम मिलेगा।”
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिकी टैरिफ को “अन्य सभी देशों के वैध हितों का गंभीर उल्लंघन” करार दिया। शिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता। चीन इसे नहीं चाहता, लेकिन अगर देश के नागरिकों के अधिकारों का हनन होगा, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”
ट्रंप का अप्रत्याशित यू-टर्न
ट्रंप का यह पलटाव, जो मंगलवार को ही भारी टैरिफ लागू करने के बाद आया, अमेरिकी वित्तीय बाजारों में मची अफरातफरी के बीच हुआ। कुछ ही घंटों में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ और सरकारी बॉन्ड यील्ड्स में उथल-पुथल देखी गई, जिसने व्हाइट हाउस का ध्यान खींचा।
पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने गोल्फ की भाषा में कहा, “लोग थोड़े ‘यिप्पी’ हो गए थे। उन्हें ज़रा लाइन में लाना पड़ा।”
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने कठोर व्यापारिक नीति अपनाई और फिर पीछे हटे। इससे वैश्विक नेताओं और व्यापारिक समुदाय में भ्रम और असहजता बढ़ी है।
10% यूनिवर्सल ड्यूटी अभी भी लागू
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि सभी वस्तुओं पर 10% की एक सामान्य शुल्क दर अभी भी लागू रहेगी। वहीं, स्टील, एल्यूमिनियम और ऑटोमोबाइल पर लगे पुराने टैरिफ में कोई छूट नहीं दी गई है।
कनाडा और मैक्सिको को भी पूरी राहत नहीं दी गई है। अगर उनके उत्पाद USMCA (यूएस-मेक्सिको-कनाडा एग्रीमेंट) के मानकों पर खरे नहीं उतरते, तो 25% के फेंटानिल-संबंधी शुल्क अभी भी लागू रहेंगे।
‘लचीलापन ज़रूरी है’
ट्रंप ने प्रेस को बताया कि बाज़ार की प्रतिक्रिया ने उन्हें नीति में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “आपको लचीला रहना पड़ता है।”
ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने इस कदम को पहले से तय रणनीति बताया, लेकिन ट्रंप की बातों ने यह संकेत दिया कि अचानक आए वित्तीय संकट ने उन्हें पुनर्विचार के लिए मजबूर किया।
चीन झुकेगा नहीं
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के इस कदम से अन्य देशों को अस्थायी राहत तो मिलेगी, लेकिन चीन अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा।
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के डैनियल रसेल ने कहा, “बीजिंग का रुख साफ है – दबाव सहो, रणनीतिक रूप से टिके रहो, और ट्रंप को गलत साबित होने दो। चीन मानता है कि अगर वह झुका, तो आगे और दबाव आएगा।”
क्या होगा समाधान?
हालांकि ट्रंप ने यह कहा कि चीन समझौता करना चाहता है, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि वे पहले अन्य देशों के साथ वार्ता को प्राथमिकता देंगे।
“चीन एक समझौता चाहता है,” ट्रंप ने कहा, “लेकिन उन्हें अभी तक यह समझ नहीं आया कि कैसे करें।”
यह व्यापारिक संघर्ष अब केवल दो देशों का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि वैश्विक वित्तीय स्थिरता की दिशा तय करने वाला कारक बन गया है। आगे के कदम पर दुनिया की निगाहें टिकी हैं।