त्रिपुरा में ने एचआईवी और एड्स के काफी मामले देखे जा रहे हैं। हर साल त्रिपुरा में एचआईवी एड्स के डेढ़ हजार नए मामले दर्ज होते हैं। इतनी बड़ी तादात में एड्स के मामले को देखकर त्रिपुरा हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किए हैं। आईए जानते हैं क्या है यह मामला –
कौन है एचआईवी/ एड्स के मरीज
त्रिपुरा राज्य में अधिकतर एड्स के मरीज 16 से 30 वर्ष की आयु वाले युवक है। यह सभी लोग नशीली दवाओं के इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं। नशीली दवाओं का सेवन करने वाले 87% लोगों को एड्स ग्रस्त देखा गया है। अब हाई कोर्ट भी एक्शन में आ गया है और इस बुधवार को त्रिपुरा राज्य सरकार को नोटिस जारी कर इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं उस विषय में जानकारी मांगी है।
क्या है एचआईवी बीमारी
एचआईवी एक संक्रामक बीमारी है इस बीमारी से मृत्यु होने की संभावना होती है इस समय इस बीमारी ने त्रिपुरा के युवाओं को अपने आगोश में ले लिया है।इसके मुख्य मरीज युवा है। त्रिपुरा में अभी तक 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। 828 में से 47 युवा मौत के मुंह में भी जा चुके हैं।
त्रिपुरा राज्य ने जारी किए आंकड़े
त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण समिति TSACS ने ये डाटा दिया है । इस डाटा के अनुसार त्रिपुरा राज्य के 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। इन 828 में से 47 छात्रों की मृत्यु हो चुकी है। 572 छात्रों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। यह डाटा त्रिपुरा पत्रिका यूनियन बैंक मीडिया फोरम और त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आयोजित एक वर्कशॉप में दिए गए। त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण समिति के संयुक्त निदेशक सुपराजित भट्टाचार्य ने दिए।
TSACS के द्वारा जारी डाटा से क्या पता चला है
TSACS के डाटा से पता चला है की त्रिपुरा में रोज 5 से 7 नए नए एचआईवी पेशेंट मिल रहे हैं। ये मरीज अधिकतर युवा है जो की देश के विभिन्न राज्यों से त्रिपुरा में आकर त्रिपुरा के यूनिवर्सिटी या बड़े कॉलेज में एडमिशन लेकर पढ़ रहे हैं।
क्या है वह कारण जिसके कारण बच्चे व युवा बना रहे हैं एचआईवी पॉजिटिव
TSACS के अनुसार त्रिपुरा के 220 स्कूल, 24 कॉलेज व यूनिवर्सिटी में ऐसे छात्र पहचाने गए हैं जो कि नशे के इंजेक्शन का प्रयोग करते हैं। ये बच्चे पहले शौक में और फिर लत व गलत आदत के कारण नशीली दवाओं के आदी हो जाते हैं। ये बच्चे दूसरे राज्य से आए हुए होते हैं। उनके लिए यह राज्य व परिवेश बिल्कुल अलग होता है। इन बच्चों को उनके माता-पिता ने पढ़ाई के लिए दूसरे राज्य में भेजा होता है। अधिकतर बच्चे संपन्न परिवारों के होते हैं। पहले शौक शौक में बच्चे नशीली दवाओं का प्रयोग करने लगते हैं और फिर बाद में आदत के कारण वो नशीली दवाओं के इंजेक्शन लेने लगते हैं। उनके माता-पिता उन्हें खर्च के लिए पैसे देने में जरा भी संकोच नहीं करते। उन्हें लगता है कि बच्चे बाहर है उन्हें ज्यादा धन की आवश्यकता होगी। कुछ बच्चों के माता-पिता दोनों ही सर्विस में होते हैं तो वो अपनी कमी पूरी करने के लिए बच्चों को अधिक पैसे देते हैं जिसके कारण बच्चे भटक जाते हैं। पहले दोस्तों के दबाव में वे नशीली दवाई लेना शुरू करते हैं और फिर इसके आदी हो जाते हैं।
कितने और कहां एचआईवी पॉजीटिव पाए गए
TSACS के संयुक्त निदेशक ने कहा कि 2024 तक हमने आर्ट / एंट्री रेट्रोवायरल थेरेपी केंद्र में 8729 लोगों को रजिस्टर किया है। इनमें से 5674 एचआईवी मरीज मिले हैं। एचआईवी मरीजों में 4570 पुरुष और 1103 महिलाएं हैं। एक ट्रांसजेंडर मरीज भी बताया जा रहा है।
क्या कहना है त्रिपुरा सरकार का
त्रिपुरा सरकार का कहना है कि जिन 828 मामलों और 47 मौतों का जिक्र किया जा रहा है वह एक महीने की बात नहीं है। ये आंकड़े अप्रैल 2007 से मई 2024 के बीच के है। लेकिन अब प्रशासन सख्ती से ड्रग माफियाओं से निपटने के लिए तैयार है जिससे वो इन मासूम बच्चों को अपने चंगुल में न फंसा सकें।