कल 27 अगस्त को है गणेश चतुर्थी, विराजेंगे गणपति बप्पा हमारी पृथ्वी पर 

कल 27 अगस्त को है गणेश चतुर्थी, विराजेंगे गणपति बप्पा हमारी पृथ्वी पर

कल 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का त्योहार भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जायेगा। कहते हैं इस दिन भगवान गणेश 10 दिनों के लिए पृथ्वी लोक पर आएंगे। आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी के विषय में 

कल 27 अगस्त को गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा 

इस बार गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को पड़ रही है। गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इस उत्सव के विषय में मान्यता है कि भगवान गणेश अपने भाई कार्तिकेय के यहां 10 दिनों के लिए आए थे। अनंत चतुर्दशी वाले दिन भगवान गणेश वापस मां पार्वती के पास चले गए थे। 

कब से शुरू हो रही है गणेश चतुर्थी 

गणेश चतुर्थी आज दोपहर 1:54 से प्रारंभ हो रही है इसका समापन 27 अगस्त की दोपहर 3:44 पर हो रहा है उदय तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का त्योहार कल 3:44 तक मनाया जा सकता है। 

क्या है गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

  • इस बार गणेश चतुर्थी पर शुभ योग शुक्ल योग सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं। इस दिन हस्त नक्षत्र चित्रा नक्षत्र रहने वाला है। 
  • सुबह सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:28 से 5:12 तक रहेगा। 
  •  उसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा जो की सुबह 5:57 से 6:04 तक रहेगा। 
  • रवि योग सुबह 5:57 मिनट से 6:04 तक रहेगा। 
  • शुभ योग सुबह से लेकर 12.35 तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 से 3:22 तक रहने वाला है। 
  • विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप कल इनमें से किसी मुहूर्त में ही मूर्ति स्थापित न कर पाए तो आप गोधूलि और निशिता मुहूर्त में मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। गोधूलि मुहूर्त शाम 6:48 से 7:10 तक और निशिता मुहूर्त रात 10 बजे से 12: 45 मिनट तक रहने वाला है।

गणेश मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त कुछ फर्नीचर में विद्वान सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 तक भी बता रहे हैं आप इनमें से किसी भी मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। विद्वानों के अनुसार ईश्वर इंद्र ब्रह्म योग के साथ-साथ लक्ष्मी नारायण योगी बनेगा। इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार के दिन ही होने के कारण यह महासंयोग काफी शुभ हो गया है।

गणेश चतुर्थी के अवसर पर दीपदान का विशेष महत्व है

गणेश चतुर्थी भादो मास की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है इन दिनों को अंधियारे दिन कहा जाता है।भादो मास में हिंदू धर्म में सदियों से इन दिनों में जगह-जगह दिया जलाकर पूर्वजों के साथ-साथ भूले भटके राहगीरों के लिए भी राह दिखाई जाती रही है। इस दिन मंदिर में तो दिया जलाया ही जाता है मंदिर के अलावा तुलसी चौरे पर और उसके अतिरिक्त उत्तर पूर्व दिशा में भी दिए को जलाने से पितृदोष रूपी अंधकार दूर होता है। भगवान की पूजा में देसी घी का दीपक जलाया जाता है। 

भगवान गणेश की कैसी मूर्ति स्थापित करें 

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने से पहले सबसे पहले तो हमें इस बात का ध्यान रखना है की मूर्ति मिट्टी की बनी हो या फिर किसी ऐसी चीज की बनी हो जो आसानी से ही विसर्जित हो जाए पाए।प्लास्टर ऑफ पेरिस या किसी ऐसी चीज की मूर्ति जो आसानी से विसर्जित नहीं हो पाती जगह-जगह अंग भंग होकर हमारे देव और हमारी पूजा पर एक प्रश्नचिन्ह होती है।

 हमें भगवान गणेश के लिए पीले पीले लाल रंग या शुभ रंग की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। नीले रंग की गणेश की मूर्ति के उपासना विशेष परिस्थितियों में की जाती है इन्हें उच्छिष्ठ गणपति कहते हैं। भगवान गणेश की हल्दी से बनी मूर्ति के लिए उपासना की जाती है कुछ विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए हल्दी से बनी गणपति की उपासना की जाती है। 

किसी शुभ कार्य या विवाह आदि के लिए हल्दी वाले गणपति के पास में की जाती है। एक दांत गणपति की उपासना शक्ति के लिए की जाती है। ये श्यामवर्ण के होते हैं। सफेद गणपति की मूर्ति की उपासना कर्ज से मुक्ति के लिए की जाती है।

 चारभुजा वाले गणपति की मूर्ति की उपासना अपने कर्ज को दूर करने के लिए की जाती है। लाल रंग के 10 भुजाओं वाले तीन नेत्रधारी गणपति महा गणपति कहलाते हैं। कहा जाता है कि आपकी सभी मनोकामना की पूर्ति करने के लिए उनकी प्रार्थना की जाती है। घर में हमेशा मध्यम आकार की पीले या लाल रंग की मूर्ति स्थापित की जाती है।

 

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