आज रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 63 पैसे बढ़कर 86.82 पर बंद हुआ। यह 2 सालों में सबसे अधिक 1 दिन की बढ़त रही। इससे पहले 3 मार्च 2023 को रुपए ने अपनी सबसे बड़ी एक दिवसीय बढ़त हासिल की। 2023 में रुपया 63 पैसे बढ़ा था।
आरबीआई के कारण रुपए में आई है मजबूती
रुपये का स्तर गिरता जा रहा था जिसके कारण आरबीआई को विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा। आरबीआई ने 8 डॉलर से लेकर 11 बिलीयन डॉलर तक की डॉलर बिक्री की। जिसके कारण रुपए को समर्थन मिला आरबीआई के कारण बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी हो गई इस कमी को पूरा करने के लिए आरबीआई ने 2.50 ट्रिलियन रुपए की रातों-रात वेरिएबल रेपो रेट नीलामी के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में धन राशि डालने की घोषणा की। यह एक वर्ष में सबसे बड़ा सिंगल डे इन्फ्यूजन हुआ है।
इस समय किस मुद्रा की क्या है स्थिति
इस समय डॉलर सूचकांक जो की 6 मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को नापता है 0.35% की गिरावट के साथ 107.58 पर है।
इस समय वैश्विक तेल मानक ब्रेड क्रूड कारोबार में 0.51 प्रतिशत गिरकर 75.81 प्रति बैरल पर पहुंच गया है।
रिजर्व बैंक ने अपनी रेपो रेट दर कम करने की घोषणा की है। पिछली बार 2020 में रेपो रेट दर को 40 आधार अंकों से घटकर 4% कर दिया गया था क्योंकि कोविड के कारण और लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था संकट में घिर गई थी। शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 312.53 अंकों पर रहा यह 0.40 प्रतिशत गिरकर 78, 271.28 पर बंद हुआ था। निफ्टी 0.18 प्रतिशत गिरा और यह 23.696.30 पर 42.95 अंकों पर बंद हुआ।
भारतीय रुपए में 39 पैसे की वृद्धि क्यों आई है
अभी हाल ही में आरबीआई ने विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया था क्योंकि रुपया 87.95 अपने अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया था इसके कारण आरबीआई ने डॉलर 8 से डॉलर 11 बिलीयन तक की डॉलर बिक्री कर इस मामले में दखल दिया था जिसके कारण निवेशकों ने दोबारा से भारतीय बाजार में रुपया लगाना शुरू किया और रुपया मजबूत हुआ।
भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण तरलता की कमी हो गई जिसे पूरा करने के लिए आरबीआई ने 2.53 ट्रिलियन रुपए को निधि प्रणाली में डालने की घोषणा की जिससे बैंकों को पर्याप्त धनराशि मिल सके और वह अपने ग्राहकों को कर्ज भी दे पाएं।
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणा भी है रुपए के बढ़ने की एक वजह
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए टैरिफ लगा दिए हैं जिसके कारण बाजार थोड़ा कमजोर चल रहा है और डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट आ गई है। डॉलर इंडेक्स में गिरावट आने से रुपए को फायदा मिला है। इस समय बाजार अमेरिकी उपभोक्ता मुद्रा स्फीति को देख रहा है। जिसके कारण फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।
रुपए की आगे क्या हो सकती है स्थिति
विश्लेषकों का अनुमान है कि आरबीआई के इस हस्तक्षेप से रुपए की मजबूती कायम रह सकती है। अभी हाल ही की विश्व की आर्थिक परिस्थितियों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों, डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के कारण रुपए पर थोड़ा दबाव बन सकता है। डीबीएस की भविष्यवाणी के अनुसार 2025 के मध्य तक रुपया 88.8 के स्तर तक कमजोर हो सकता है। आरबीआई के दखल और नीतियों ने रुपए को अभी अस्थाई रूप से समर्थन दिया है लेकिन विश्व की आर्थिक परिस्थितियों के कारण भविष्य में मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। रुपया फिर से कमजोर भी हो सकता है।
तरलता की कमी का मुख्य कारण क्या है
आरबीआई ने बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी को पूरा करने के लिए लगभग 2.50 लाख करोड रुपए की रातों-रात वेरिएबल रेट रेपो नीलामी की घोषणा की। जिसके कारण बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी हो गई क्योंकि आरबीआई को कॉर्पोरेट कर भुगतान और रुपए को स्थिर करने के लिए डॉलर बिक्री करनी पड़ी। डॉलर बिक्री के कारण बैंकिंग प्रणाली में तरलता घाटा 2 लाख करोड रुपए हो गया है।