भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक कल 4 दिसंबर से शुरू हो चुकी है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास 6 दिसंबर को बताएंगे कि इस मीटिंग में क्या हुआ। इस मीटिंग से उद्योगकर्मी, व्यापारीयों के साथ-साथ आम जनों की भी उम्मीदें जुड़ी हुई है। पर जहां तक परिस्थितियों है, अनुमान लगाया जा रहा है कि आरबीआई ब्याज दरों को पहले जैसे ही रखने वाला है। फिर भी देखते हैं शक्तिकांत दास जी इस मीटिंग से क्या कुछ ऐसा नतीजा निकलते हैं जो कि हम सबके लिए फायदे का सौदा होगा
क्या स्थिति है अर्थव्यवस्था की
बाजार इस समय मंदी के दौर से गुजर रहा है। रूस और यूक्रेन फिलिपींस और गाजा, मिडिल ईस्ट सभी युद्ध की चपेट में है। इन सब के साथ अमेरिका, जर्मनी फ्रांस में भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर पूरे विश्व में उथल-पुथल मची हुई है। ऐसी स्थिति में कच्चे माल की अनुपलब्धता होने के कारण सभी उद्योग धंधे धीमी रफ्तार से चल रहे हैं।जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की गुणवत्ता में भी कमी आई है।
जिसका असर सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। भारत में रुपया अपने निचले स्तर पर है। इस समय रिजर्व बैंक के गवर्नर के लिए ब्याज दरों को कम करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम होगा।
विशेषज्ञों की नजर से देश की अर्थव्यवस्था
विशेषण का कहना है कि महंगाई बढ़ती ही जा रही है जिसके कारण दिसंबर तक ब्याज दरों में कमी होने की संभावनाएं नजर नहीं आ रही है। खाद्य क्षेत्र में कीमतों के बढ़ने के कारण महंगाई और बढ़ गई है।
क्या महंगाई कम होने के कुछ आसार है
अगर रिजर्व बैंक में कैश ट्रांजैक्शन इजी करता है तो फिर महंगाई कुछ कम हो सकती है। विशेष कर उन लोगों के लिए जो व्यापार के लिए लोन लेते हैं। अगर विश्व में हालात नहीं सुधारते हैं तो आपकी जरूरत की चीजें और भी महंगी हो सकती है। सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि अपेक्षा से काफी कम रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम जीडीपी वृद्धि से आरबीआई पर नीतिगत दरों को कम करने का दबाव बढ़ेगा। पिछले दो महीने में मुद्रा स्फीति में वृद्धि पिछली तिमाही से कम हुई थी। विश्व में युद्ध के आसार, सोने के बढ़ते दाम और टमाटर, प्याज, आलू की कीमतों में वृद्धि इस का एक कारण था।
RBI MPC Meet Preview | Are rate cuts likely during the meet?
— ET NOW (@ETNOWlive) December 4, 2024
Here's a breakdown on the expectations, comments, data and what to watch out for👇@RBI @DasShaktikanta #RBI pic.twitter.com/CZPr4a7tk8
क्या भूमिका है एमपीसी की बैठक में गवर्नर की
एमपीसी की बैठक में ब्याज दरें निर्धारित की जाती है। एमपीसी के सदस्यों के पास नीतिगत रेपो दर और नीति का रुझान के रूप में एक वोट होता है। गवर्नर के पास दूसरा वोट होता है। गवर्नर का वोट यहां पर मुख्य होता है जब सभी सदस्यों के वोट बराबर होते हैं तो गवर्नर के वोट से ही निर्णय लिया जाता है। गवर्नर का वोट निर्णायक वोट होता है। फरवरी में नीतिगत रेपो दर पर ढाई सौ आधार दरों की वृद्धि की गई बाद में नीतीदर को बढ़ाया नहीं गया था। अक्टूबर में दी जाने वाली सुविधाएं वापस लेकर नीति का रुख अपरिवर्तित कर दिया गया था।
क्या बढ़ेगा गवर्नर शशिकांत का सेवाकाल
शशिकांत दास प्रशासनिक अधिकारी थे। दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया इसके बाद उन्हें गवर्नर बनाया गया। 2021 में उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया था। दिसंबर में का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। अब देखने की बात है कि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाता है या नहीं और बढ़ाया जाता है तो कितना। बल सदस्यों का कार्यकाल 4 वर्ष होता है। यह समिति 6 सदस्यों की होती है। पिछली बार अक्टूबर में 6 में से तीन नए सदस्य थे। की इन्हीं
सदस्यों में से ही कोई अगले गर्वनर बनेंगे उप गवर्नर माइकल पत्र का कार्यकाल जनवरी में खत्म हो रहा है।
सारांश
विकास दर में तीव्र गिरावट हो रही है जिसके कारण ब्याज दरें भी प्रभावित होगी लेकिन यदि जीडीपी वृद्धि दर कम रही तो मुद्रास्फीति में 4.5% की वृद्धि होगी। अब देखना है कि आरबीआई गवर्नर इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और उनका क्या हल निकालते हैं।