टीएमसी ने जताई असहमति
तृणमूल कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि उसके सांसद यूसुफ पठान या किसी अन्य टीएमसी सांसद को केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नहीं चुना गया है। पार्टी का कहना है कि इस संबंध में कोई परामर्श नहीं लिया गया और बहारमपुर सांसद का नाम मनमाने ढंग से सूची में जोड़ा गया।
‘निर्णय मातृपार्टी का होगा’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा, “प्रतिनिधिमंडल में कौन जाएगा, यह हम तय करेंगे। जब तक मातृपार्टी से नाम नहीं मांगा जाएगा, तब तक कोई नाम फाइनल नहीं हो सकता। यह परंपरा का उल्लंघन है। हम विदेश नीति के मामले में केंद्र सरकार के साथ हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वे हमारे निर्णय भी लेंगे।”
‘बीजेपी कैसे तय कर सकती है?’
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी, “यह केंद्र सरकार कैसे तय कर सकती है कि तृणमूल की ओर से कौन जाएगा? प्रतिनिधित्व का अधिकार हमारी पार्टी का है। ऐसे मामलों में सभी दलों से बातचीत होनी चाहिए। यह एकतरफा निर्णय अस्वीकार्य है।”
‘विदेश नीति केंद्र सरकार का विशेषाधिकार’
टीएमसी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पार्टी का मानना है कि विदेश नीति पूरी तरह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है। इसलिए उसी को इसे संचालित करने और इसकी जिम्मेदारी लेने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, “हम देशहित में किसी भी कदम का समर्थन करते हैं। हमारे सशस्त्र बलों ने देश को गौरवान्वित किया है और हम उनके प्रति सदैव ऋणी रहेंगे।”
क्या है ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई यह एक बहुदलीय कूटनीतिक पहल है, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में भारत के आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के रुख को रेखांकित करना है।
इस योजना के तहत ‘वन मिशन, वन मैसेज, वन भारत’ की थीम पर आधारित सात दल बनाए गए हैं, जिनका नेतृत्व अलग-अलग सांसद कर रहे हैं। ये दल 30 से अधिक देशों का दौरा करेंगे और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वहां प्रचारित करेंगे।
किन देशों की यात्रा करेगा प्रतिनिधिमंडल?
इन प्रतिनिधिमंडलों को सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली, डेनमार्क, इंडोनेशिया, मलेशिया, कोरिया, जापान, सिंगापुर, यूएई, लाइबेरिया, कांगो, सिएरा लियोन, अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राज़ील, कोलंबिया, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया, रूस, मिस्र, क़तर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका भेजा जाएगा।
यह मिशन वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ को मज़बूती से रखने का प्रयास है, ताकि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।