रहाणे की चुप्पी तोड़ने वाली कहानी
अजिंक्य रहाणे, जो विदेशी परिस्थितियों में भारत के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक रहे हैं, भारतीय टेस्ट टीम से अचानक बाहर किए जाने से आहत हैं। उन्होंने खुलासा किया कि 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल के बाद चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन ने उन्हें बाहर करने का कोई कारण नहीं बताया। उनका यह बयान चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है, जिससे खिलाड़ियों को उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है।
एक समय भारत की टेस्ट टीम के मध्यक्रम की रीढ़ माने जाने वाले रहाणे का करियर पिछले दो वर्षों में गिरावट का शिकार हुआ है। हालांकि, भारतीय क्रिकेट में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन अनुभवी खिलाड़ियों के साथ इस तरह का व्यवहार चिंता का विषय है। आम तौर पर कम बोलने वाले रहाणे ने इस बार अपनी चुप्पी तोड़ी और चयन प्रणाली की अस्पष्टता को लेकर सवाल उठाए।
कोई संवाद नहीं, कोई स्पष्टीकरण नहीं
रहाणे ने बताया कि कैसे उन्हें पहले टेस्ट टीम से बाहर किया गया, फिर WTC फाइनल के लिए बुलाया गया और फिर बिना किसी चर्चा के बाहर कर दिया गया। घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम में नहीं चुना गया, जिससे वे आहत हुए।
“जब मुझे कुछ साल पहले बाहर किया गया था, तो मैंने मेहनत की, रन बनाए और WTC फाइनल के लिए अपनी जगह बनाई। लेकिन उसके बाद फिर से बाहर कर दिया गया। मैं क्या कर सकता था? मेरा काम खेलना है। मैंने घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन फिर भी जब दक्षिण अफ्रीका दौरा आया, तो मुझे नहीं चुना गया। यह तकलीफदेह था क्योंकि मैंने भारत के लिए बहुत कुछ दिया है,” रहाणे ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा।
रहाणे ने बताया कि कई लोगों ने उन्हें चयनकर्ताओं से बात करने की सलाह दी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि दूसरी तरफ से संवाद की कोई मंशा नहीं थी।
“मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो यह पूछने जाए कि मुझे क्यों बाहर किया गया। कई लोगों ने कहा कि बात करो, लेकिन बातचीत तभी हो सकती है जब दूसरी तरफ भी कोई सुनने को तैयार हो। मैं व्यक्तिगत रूप से बात करना चाहता था, लेकिन कोई मौका नहीं मिला। मैंने कोई मैसेज नहीं भेजा। WTC फाइनल के बाद मुझे बाहर किए जाने पर अजीब लगा क्योंकि मैंने इसकी वापसी के लिए मेहनत की थी। मुझे लगा था कि मैं अगली सीरीज में रहूंगा,” उन्होंने कहा।
चयन में पीआर की भूमिका
आज के दौर में जहां खिलाड़ियों की लोकप्रियता चयन में अहम भूमिका निभा सकती है, वहीं पीआर (पब्लिक रिलेशन) का प्रभाव भी बढ़ता जा रहा है। कई खिलाड़ी मीडिया के जरिए चयनकर्ताओं पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाते हैं। लेकिन रहाणे ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया।
“मैं हमेशा शर्मीला रहा हूं, लेकिन अब मैंने खुलकर बात करना शुरू किया है। मेरा ध्यान सिर्फ क्रिकेट खेलने और घर जाने पर था। किसी ने मुझसे नहीं कहा कि मैदान के बाहर भी खुद को प्रासंगिक बनाए रखना जरूरी है। आज भी कभी-कभी लगता है कि बस क्रिकेट खेलो और घर जाओ। लेकिन अब मुझे बताया जाता है कि अपनी मेहनत के बारे में बात करना जरूरी है। कुछ लोग कहते हैं कि चर्चा में बने रहना जरूरी है। मेरे पास कोई पीआर टीम नहीं है, मेरा क्रिकेट ही मेरा पीआर है। लेकिन अब समझ आया है कि सुर्खियों में रहना भी जरूरी है। नहीं तो लोग समझते हैं कि मैं चयन के दायरे से बाहर हूं,” रहाणे ने कहा।
घरेलू क्रिकेट में वापसी
राष्ट्रीय टीम से बाहर होने के बावजूद, रहाणे ने हार नहीं मानी और घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करना जारी रखा। हालांकि, रणजी ट्रॉफी में उनका प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन उन्होंने हरियाणा के खिलाफ क्वार्टरफाइनल मैच में शतक जड़कर अपनी क्लास साबित की। यह पारी उनके प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 200वें मैच में आई, जो उनकी अनुभव और प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रहाणे अब भी टीम में वापसी की उम्मीद लगाए हुए हैं। उन्हें पता है कि चयन प्रक्रिया अनिश्चित है, लेकिन वह केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
पारदर्शिता की जरूरत
रहाणे के इस खुलासे ने चयनकर्ताओं और खिलाड़ियों के बीच संचार की कमी को उजागर कर दिया है। वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ इस तरह के व्यवहार से न केवल उनका करियर प्रभावित होता है, बल्कि चयन प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं। चयन समिति द्वारा खिलाड़ियों के साथ पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है ताकि उनके करियर को लेकर कोई अनिश्चितता न रहे।
भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए चयन प्रक्रिया को और अधिक स्पष्ट और पेशेवर बनाने की आवश्यकता है। चाहे रहाणे की वापसी हो या न हो, उनकी इस बात ने एक अहम बहस को जन्म दे दिया है। फिलहाल, वह अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ रहे, इस उम्मीद में कि एक और मौका उन्हें जरूर मिलेगा।