Tuesday, April 1, 2025
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नेपाल में उठ रही है लोकतंत्र हटाकर राजतंत्र की फिर से वापसी और हिंदू राष्ट्र दोबारा बनाने की मांग

नेपाल में 2001 में पूरे राजशाही परिवार की हत्या परिवार के सदस्य के द्वारा कर दी गई थी उसके बाद राजनीतिक अस्थिरता के बीच लोकतंत्र की स्थापना की गई और तब से ही नेपाल पर चीन का अधिकार कायम होने लगा। अब कुछ समय बाद नेपाली जनता ने लोकतंत्र का विद्रोह करना शुरू कर दिया है। जनता पुनः राजतंत्र की वापसी की मांग कर रही है और साथ ही साथ हिंदू राष्ट्र की पुनः स्थापना के लिए प्रदर्शन भी हो रहे हैं। आईए जानते हैं कुछ और इसके बारे में

लोग उतर आए हैं सड़कों पर

लोकतंत्र के नाम पर चीन का नेपाल पर अनाधिकृत हस्तक्षेप नेपाली जनता को रास नहीं आ रहा है। लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। सुरक्षा बलों के साथ जगह-जगह मुठभेड़ हो रही है। यह प्रदर्शन अब हिंसक होता जा रहा है कई जगहों पर आगजनी की खबरें भी सुनने में आई है। कम से कम दो लोगों की मृत्यु हुई है। जवाब में नेपाल की सरकार ने सेना को सड़कों पर उतार दिया है।

2008 में हुई थी नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना

2008 में नेपाल की जनता ने राजशाही को खत्म करके लोकतंत्र की स्थापना की थी। लेकिन अब वहां कम्युनिस्ट सरकार चीन की हिमायती बन चुकी है और इसके लिए वह नेपाल के लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाने से भी परहेज नहीं कर रही है। ऐसी परिस्थितियों में राजशाही समर्थक संगठन और जनता एक होकर विद्रोह के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।

नेपाल की जनता ने लोकतंत्र की स्थापना की थी बेहतर की उम्मीद में

2008 में जब नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई तब लोगों को लगा था कि अब सब कुछ बेहतर हो जाएगा लेकिन 16 सालों में 10 बार नेपाल की सरकारें बदली गई है और कुर्सी और गठबंधन की राजनीति में जनहित की योजनाएं बस योजनाएं ही रह गई है। नेपाल में इस समय भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा पर पहुंच गया है। चीन विकास के नाम पर नेपाल का शोषण करने लगा है। नेपाल के साथ भारत के भी संबंध पहले जैसे नहीं रहे हैं। ऐसे में नेपाली लोगों को लगता है की राजशाही ही बेहतर तरीके से केंद्रीय नेतृत्व और प्रजा के हितों के लिए काम कर रही थी।

लोग नारे लगा रहे हैं राजा वापस आओ देश बचाओ

नेपाल की जनता राजशाही में काफी खुश थी लोगों की सुरक्षा निश्चित थी अब लोकतंत्र में जनता भ्रष्टाचार और अनिश्चितता से परेशान हो चुकी है वह पुराने दिन वापस लाना चाहती है। नेपाल के राजा वीरेंद्र को भी जनता ने अच्छा शासक माना था 19 फरवरी को पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह त्रिभुवन एयरपोर्ट पर पहुंचे थे जहां उनके समर्थन में लोगों ने मोटरसाइकिल रैली निकाली थी और नारे लगाए थे राजा वापस आओ देश बचाओ।

नेपाल था हिंदू राष्ट्र

2008 तक नेपाली हिंदू राष्ट्र था लेकिन 2008 के बाद लोकतंत्र की स्थापना हुई और कम्युनिस्ट नेपाल की सत्ता पर हावी हो गए। नेपाल कभी भी किसी के शासन में नहीं रहा वहां हमेशा राजशाही में स्थिरता रही। नेपाल में हिंदुओं की बड़ी आबादी थी और जिसका यह मानना है कि केवल राजनीति में उनकी संस्कृति बची रह सकती है। अब लोकतंत्र के बाद नेपाल को हिंदू राष्ट्र का दर्जा हटाकर धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित कर दिया गया है ऐसे में लोगों का मानना है कि नेपाल हिंदू बहुल देश है इसे धर्मनिरपेक्ष देश नहीं घोषित किया जाना चाहिए था इससे नेपाल की संस्कृति और सभ्यता को नुकसान पहुंच रहा है।

लोकतंत्र के पक्ष में नेपाल में 1990 में शुरू हुए थे आंदोलन

नेपाल में 1990 से ही लोकतंत्र के पक्ष में आंदोलन शुरू हुए थे और नेपाल में बहुत सारी पार्टियों का सिस्टम शुरू हुआ था। लेकिन तब भी राजा महेंद्र शाह अपनी बेटे वीरेंद्र शाह व सरकार के साथ मिलकर संवैधानिक रूप से राजा के रूप में कार्य कर रहे थें। 2001 में राजा के परिवार के ही एक सदस्य ने सामूहिक नरसंहार कर दिया था और उसके बाद नशे की हालत में स्वयं को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी इसके बाद ज्ञानेंद्र शाह ने राज सिंहासन संभाला था। 2005 में उन्होंने देश में लोकतंत्र को खत्म करके सेना का शासन लागू किया था जिसके बाद उनका विरोध होने लगा था और 2008 में राजशाही को समाप्त करके लोकतंत्र की स्थापना की गई थी।

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