तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में हुए भीषण सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए सेना, नौसेना और सिंगरेनी कोलियरीज की टीमें दिन-रात जुटी हुई हैं। लेकिन कई दिनों की अथक मेहनत के बावजूद, अब तक कोई निर्णायक सफलता नहीं मिल सकी है।
500 से अधिक बचावकर्मी जुटे, लेकिन चुनौती जारी है
500 से ज्यादा बचावकर्मी श्रीसैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग में फंसे आठ मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास कर रहे हैं। 22 फरवरी को सुरंग के आंशिक रूप से ढहने के बाद से राहत अभियान लगातार जारी है, जिसमें सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियां शामिल हैं।
सामने की सिथति को देखते हुए, बचाव दल टनल बोरिंग मशीन (TBM) को काटकर एक दूसरा रास्ता तैयार करने की कोशिश कर रहा है ताकि फंसे मजदूरों तक पहुंचा जा सके। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, सुरंग के भीतर जमीचट और जलभराव बचाव कार्य में बड़ी बाधाएं बन रही हैं।
बेचैन परिवार, अनिश्चितता का माहौल
फंसे हुए मजदूरों के परिजन लगातार चिंता कर रहे हैं और बचाव अभियान की हर जानकारी पर नजर भी रखे हुए हैं। गुरप्रीत सिंह के एक रिश्तेदार ने नाराजगी नाराजगी दिखाते हुए कहा कि उन्हें बचाव कार्यों की कोई साफ सुधरी जानकारी नहीं दी जा रही है। ANI की रिपोर्ट के मुताबिक , एक परिजन ने सुरंग के अंदर जाने की अनुमति भी मांगी थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से मना कर दिया गया।
सरकारी अधिकारियों ने बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए विशेषज्ञों और संसाधनों की और अधिक तैनाती की है जिससे जल्द से जल्द सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जा सके।
राहत अभियान की ताजा स्थिति
सेना की मेडिकल टीमें सुरंग स्थल पर तैनात हैं और सभी जरूरी चिकित्सा आपूर्ति उनके पास उपलब्ध है। हालांकि, पानी और कीचड़ की अधिकता राहत कार्यों को कठिन बना रही है। बचाव दल लगातार मलबा हटाने और सुरंग में जमा पानी निकालने का प्रयास कर रहा है ताकि रास्ता बनाया जा सके।
कांग्रेस विधायक चिक्कुडु वामशी ने बताया कि राहत अभियान सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि 12 सरकारी विभाग इस अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं, जिनमें सिंगरेनी कोलियरीज के अनुभवी विशेषज्ञ शामिल हैं।
नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक (SP) वैभव गायकवाड़ ने पुष्टि की कि NDRF, सेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियां बचाव कार्य में पूरी ताकत झोंक रही हैं।
“बचाव अभियान लगातार जारी है। शनिवार सुबह एक टीम सुरंग के अंदर भेजी गई थी। इसके साथ ही, पानी निकालने और मलबा हटाने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है,” गायकवाड़ ने PTI को बताया। उन्होंने आगे कहा कि TBM के कुछ हिस्सों को काटकर रास्ता साफ करने की प्रक्रिया जारी है।
उन्होंने आगे कहा, “आज सातवां दिन है, और अभियान को युद्धस्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। देशभर के विशेषज्ञ इस मिशन में शामिल हैं। हमें उम्मीद है कि आज शाम तक अधिकांश कीचड़ हटा दिया जाएगा। इसके अलावा, सिंगरेनी खदानों में काम कर चुके अनुभवी लोग भी इस बचाव कार्य में योगदान दे रहे हैं।”
वैज्ञानिकों की मदद ली जा रही है
इसी बीच, एक अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर क्षतिग्रस्त कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत का कार्य शनिवार तक पूरा होने की उम्मीद है। वहीं, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) के वैज्ञानिकों ने ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) तकनीक का उपयोग कर सुरंग के अंदर कुछ “असमानताएं” (anomalies) खोजी हैं।
हालांकि, बचाव दल के अनुसार, इन असमानताओं का वास्तविक स्वरूप अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। सुरंग में जमीचट और जलभराव के कारण हालात का सटीक आकलन करना मुश्किल हो रहा है। इन्हें समझने के लिए आगे और जांच की जरूरत होगी।
कौन हैं फंसे हुए मजदूर
बचाव दल ने सुरंग में फंसे आठ मजदूरों की पहचान कर ली है। उनके नाम हैं:
- मनोज कुमार (उत्तर प्रदेश)
- श्री निवास (उत्तर प्रदेश)
- सनी सिंह (जम्मू-कश्मीर)
- गुरप्रीत सिंह (पंजाब)
- संदीप साहू (झारखंड)
- जगता एक्सेस (झारखंड)
- संतोष साहू (झारखंड)
- अनुज साहू (झारखंड)
इनमें से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और बाकी चार मजदूर हैं, जो झारखंड से आए हैं। सभी जयप्रकाश एसोसिएट्स कंपनी के कर्मचारी हैं, जो SLBC सुरंग परियोजना का ठेका संभाल रही थी।
अब तक क्यों नहीं निकाले जा सके मजदूर
बचाव कार्य में सबसे बड़ी बाधा है सुरंग के भीतर फैला मलबा, जलभराव और TBM का भारी ढांचा। मजदूरों तक पहुंचने के लिए TBM को काटना पड़ रहा है, जो एक जटिल प्रक्रिया है और इसमें काफी समय लग सकता है। इसके अलावा, कीचड़ लगातार बढ़ रही है, जिससे सुरंग में आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है।
क्या मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा
बचाव दल चौबीसों घंटे मेहनत कर रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही कोई समाधान निकल आएगा। हालांकि, स्थिति बेहद जटिल बनी हुई है, और अगले कुछ घंटे इस मिशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
अब सभी की नजरें बचाव दल की कोशिशों पर टिकी हैं—क्या वे इन मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालने में कामयाब होंगे, या हालात और विकट हो जाएंगे?