तमिलनाडु में TASMAC (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड) में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों ने राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई छापेमारी कर सबूत मिलने का दावा किया है, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस विरोध के दौरान भाजपा के कई शीर्ष नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। हालांकि, DMK सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और घोटाले की बात को निराधार बताया है।
भ्रष्टाचार के आरोप और BJP का विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में TASMAC के कर्मचारियों, डिस्टिलरी कंपनियों और प्लांट्स पर छापेमारी के बाद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। ED का दावा है कि TASMAC के टेंडर और वित्तीय लेन-देन में भारी अनियमितताएँ पाई गई हैं, जिससे ₹1,000 करोड़ से अधिक की हेराफेरी का संकेत मिलता है।
इन आरोपों के खिलाफ, BJP ने चेन्नई में TASMAC मुख्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।
BJP नेताओं की गिरफ्तारी और हाउस अरेस्ट
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कई BJP नेताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई और पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन प्रमुख रूप से शामिल थे।
- अन्नामलाई को प्रदर्शन स्थल पर ही हिरासत में ले लिया गया और पुलिस वाहन से वहाँ से हटा दिया गया।
- पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को घर से निकलने से पहले ही पुलिस ने रोक लिया। सुबह 7 बजे से ही DCP स्नेहप्रिया के नेतृत्व में पुलिस टीम उनके घर के बाहर तैनात थी और उन्हें पुलिस वाहन से ले जाया गया।
- BJP के राज्य उपाध्यक्ष करू नागराजन को भी उनके घर के बाहर से गिरफ्तार किया गया।
- पुलिस ने BJP के जिला एवं राज्य स्तरीय पदाधिकारियों को सुबह 7 बजे से ही उनके घरों में नजरबंद कर दिया था।
गिरफ्तार BJP कार्यकर्ताओं और नेताओं को चेन्नई के सामुदायिक हॉल और विवाह भवनों में अस्थायी रूप से हिरासत में रखा गया।
DMK सरकार का पलटवार: “TASMAC में कोई गड़बड़ी नहीं”
तमिलनाडु के आबकारी मंत्री सेंथिल बालाजी ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि TASMAC में भ्रष्टाचार की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा—
“प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी तो की, लेकिन अब तक यह नहीं बताया कि किस वर्ष यह मामला दर्ज किया गया था। उन्होंने ऐसा माहौल बनाया है, जैसे TASMAC की भर्ती प्रक्रिया में कोई घोटाला हुआ हो।”
- पिछले चार वर्षों से TASMAC की भर्ती प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है।
- बिना किसी ठोस आधार के ₹1,000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है।
- TASMAC के टेंडर में गड़बड़ी संभव ही नहीं है।
DMK सरकार ने इस पूरे मामले को BJP की साजिश और राजनीतिक ड्रामा करार दिया।
TASMAC घोटाला: क्या है पूरा मामला?
13 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत तमिलनाडु के कई जिलों में तलाशी अभियान चलाया।
ED ने अपने आधिकारिक बयान में कहा:
“6 मार्च 2025 को तमिलनाडु के विभिन्न जिलों में TASMAC और इससे जुड़े व्यक्तियों के परिसरों पर छापेमारी की गई। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए हैं।”
जांच में सामने आई अनियमितताएँ:
✔ TASMAC के टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई।
✔ डिस्टिलरी कंपनियों के जरिए बेहिसाब नकद लेन-देन किया गया।
✔ ₹1,000 करोड़ से अधिक का संदिग्ध वित्तीय लेन-देन उजागर हुआ।
✔ शराब आपूर्ति और अनुबंधों में भारी रिश्वतखोरी की पुष्टि हुई।
ED के अनुसार, यह स्पष्ट प्रमाण हैं कि TASMAC में संगठित भ्रष्टाचार हुआ है और शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर किकबैक (घूस) लिए गए हैं।
निष्कर्ष: घोटाले पर बढ़ता सियासी घमासान
TASMAC घोटाला तमिलनाडु की राजनीति में नया तूफान लेकर आया है। एक ओर BJP इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है, वहीं DMK सरकार इसे बेबुनियाद आरोप बता रही है।
इस मामले में आगे क्या होगा? क्या ED अपनी जांच में और ठोस सबूत पेश करेगी? क्या BJP इस घोटाले को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाएगी? इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे। फिलहाल, तमिलनाडु की राजनीति में TASMAC घोटाले ने उबाल ला दिया है।