Monday, March 31, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादास्पद आदेश पर लगाई रोक

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें यह कहा गया था कि एक नाबालिग लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसकी पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे घसीटने का प्रयास करना “बलात्कार या बलात्कार के प्रयास” की श्रेणी में नहीं आता। इस आदेश को लेकर देशभर में नाराजगी देखी गई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को “संवेदनशीलता की कमी” करार देते हुए इसकी कड़ी आलोचना की। न्यायालय ने कहा कि यह आदेश त्वरित रूप से नहीं दिया गया था, बल्कि इसे चार महीने तक सुरक्षित रखने के बाद सुनाया गया। इसका मतलब है कि न्यायाधीश ने सोच-विचार कर यह निर्णय दिया था, जो क़ानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ प्रतीत होता है।

सरकार की प्रतिक्रिया और कानूनी पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने भी अदालत की राय से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस आदेश को रोकने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि,

“हम केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश राज्य और हाईकोर्ट में मौजूद सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हैं। इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल अदालत की सहायता करेंगे।”

इलाहाबाद हाईकोर्ट का विवादास्पद फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 को अपने आदेश में कहा था कि यह मामला बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता, क्योंकि अभियुक्तों द्वारा किया गया कृत्य “सिर्फ तैयारी” था, न कि “दृढ़ संकल्प के साथ किया गया प्रयास”।

हाईकोर्ट ने अभियुक्तों पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 18 (बलात्कार के प्रयास) के तहत लगे आरोपों को हटाकर केवल धारा 354-बी (नारी की मर्यादा भंग करने का प्रयास) और पॉक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया।

पीड़िता के परिवार की अपील और कानूनी विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

पीड़िता की मां ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसे स्वतः संज्ञान मामले के साथ जोड़ दिया गया।

कानूनी विशेषज्ञों ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए। उनका मानना था कि अभियुक्तों ने स्पष्ट रूप से पीड़िता के साथ यौन हिंसा की, और इसे मात्र “तैयारी” बताना अन्यायपूर्ण है।

क्या होगा आगे?

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादास्पद आदेश पर रोक लगा दी है। अब इस मामले की गहराई से जांच की जाएगी और दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।

इस फैसले से जुड़ी आगे की अपडेट्स के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहें।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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