New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा की जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) पर अंतरिम स्थगन की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग को स्वीकार किया है, लेकिन फिलहाल पुनरीक्षण प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया है।
क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण?
विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य चुनावी सूची में योग्य नागरिकों के नाम जोड़ना और अवैध मतदाताओं को हटाना है। बिहार में यह प्रक्रिया 24 जून को शुरू की गई थी, और इसका अंतिम पुनरीक्षण 2003 में हुआ था। चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम राज्य में तेजी से हो रहे शहरीकरण, आव्रजन, युवा मतदाताओं के अधिकारों की पुष्टि, मृतकों का नाम नहीं हटाना, और विदेशी अवैध अप्रवासियों के नाम को चुनावी सूची में शामिल करने के कारण जरूरी था।
चुनाव आयोग का कहना है कि बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) को घर-घर जाकर मतदाताओं की पहचान जांचने के लिए दस्तावेजों की समीक्षा करनी होगी। आयोग ने कहा है कि विशेष रूप से बुजुर्गों, विकलांग व्यक्तियों, गरीबों और अन्य कमजोर समूहों को परेशान नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, राजनीतिक पार्टियों से यह सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया गया है कि तैयार किए गए मतदाता रोल में कोई गलतियाँ न हों।
कांग्रेस और विपक्ष का विरोध
इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह प्रक्रिया “इरादतन बहिष्करण” का कारण बन सकती है, जिससे राज्य की मशीनरी का दुरुपयोग हो सकता है। उनका कहना है कि लाखों सरकारी कर्मचारियों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे यह तय करें कि किसके पास सही दस्तावेज़ हैं और कौन वोट डालने का हकदार है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में धांधली का खतरा बढ़ सकता है।
वहीं, बिहार विधानसभा में विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इस पुनरीक्षण को “साजिश” करार दिया है। उनका कहना है कि आखिरी बार 2003 में यह प्रक्रिया की गई थी, और तब इसे पूरा करने में करीब दो साल का समय लगा था। “अब चुनाव नवंबर में होने हैं और दो महीने बाकी हैं, फिर भी चुनाव आयोग को 8 करोड़ लोगों का नाम 25 दिनों में सही करना है, वह भी तब जब राज्य के 73 प्रतिशत हिस्से में बाढ़ आई हुई है!” तेजस्वी ने कहा।
भाजपा का पक्ष
भारतीय जनता पार्टी (BJP), जो बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, ने इस पुनरीक्षण प्रक्रिया का समर्थन किया है। भाजपा नेता और बिहार मंत्री नितिन नबीन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पूछा, “अगर सही मतदाता की जांच की जा रही है और झूठे मतदाताओं को हटाया जा रहा है, तो कांग्रेस इसका विरोध क्यों कर रही है? क्या विपक्षी सदस्य सत्ता में आने के लिए जाली वोटों का इस्तेमाल करना चाहते हैं?”
क्या होगा आगे?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अधिक सुनवाई के लिए अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है। अब यह देखना होगा कि इस प्रक्रिया को लेकर अन्य राजनीतिक दलों के विचार क्या होते हैं और क्या चुनाव आयोग इस मुद्दे को लेकर कोई संशोधन करेगा। इसके अलावा, बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर इन बदलावों का क्या असर पड़ेगा, यह भी महत्वपूर्ण होगा।