नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट सेक्टर में गहराते भ्रष्टाचार और उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों के बीच सुपरटेक प्रोजेक्ट्स सहित कई हाउसिंग परियोजनाओं पर CBI जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ और सबवेंशन स्कीम के दुरुपयोग की आशंका को गंभीर मानते हुए यह ऐतिहासिक कदम उठाया है।
क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया है कि वह 7 प्राथमिक जांच (Preliminary Enquiries) दर्ज करे। इन जांचों में सुपरटेक द्वारा ₹5,000 करोड़ से अधिक के लोन के संदिग्ध आवंटन की पड़ताल होगी, जो NCR और अन्य राज्यों में चल रही आवासीय परियोजनाओं से जुड़े हैं।
किन प्राधिकरणों पर होगी जांच?
CBI की विशेष जांच टीम (SIT) इन प्राधिकरणों की भूमिका की भी जांच करेगी:
-
नोएडा प्राधिकरण
-
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
-
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक प्राधिकरण
-
गाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण
-
गुरुग्राम प्राधिकरण
NCR क्षेत्र में बिल्डर और प्राधिकरण के बीच गठजोड़ की गहन जांच होगी।
SIT की विशेष भूमिका
CBI SIT का गठन उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य पुलिस के अधिकारियों की सहायता से किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NCR क्षेत्र में अधिकतर प्रोजेक्ट स्थित होने के कारण इस क्षेत्र की पुलिस की भागीदारी आवश्यक है।
सहयोग में शामिल एजेंसियां
सुप्रीम कोर्ट ने कई अन्य संस्थाओं को भी सहयोग के लिए आदेशित किया है:
-
आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय
-
UP और Haryana की RERA एजेंसियां
-
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
-
Institute of Chartered Accountants of India (ICAI)
ICAI को SIT की सहायता के लिए 3 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स प्रदान करने को कहा गया है।
कोर्ट ने मांगी अंतरिम रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि CBI एक माह के भीतर अंतरिम रिपोर्ट पेश करे, जिससे जांच की मासिक निगरानी की जा सके। अदालत इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रखेगी।
निष्कर्ष
यह आदेश न सिर्फ रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा, बल्कि उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक ठोस कदम है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो वर्षों से न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं।