Tuesday, July 1, 2025
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत, ऑपरेशन सिंदूर पर SIT गठित

🔴 प्रोफेसर अली खान को मिली राहत, कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में गिरफ्तार अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत प्रदान की है। 18 मई को गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर को इस आदेश के बाद हिरासत से बाहर आने की अनुमति मिली।

🕵️‍♀️ SIT का गठन: 24 घंटे में कार्रवाई का आदेश

कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इनकार करते हुए हरियाणा पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया कि 24 घंटे के भीतर एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए। इस टीम में वरिष्ठ IPS अधिकारी होंगे, जिनमें एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल होंगी। यह टीम हरियाणा या दिल्ली से नहीं होगी, जिससे निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

जमानत की शर्तें: चुप्पी और सहयोग अनिवार्य

  • प्रोफेसर को भारत में आतंकी हमलों या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कोई टिप्पणी या लेखन से रोका गया है।

  • उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने और जांच में पूरा सहयोग देने का आदेश भी दिया गया है।

🧠 सुनवाई में तीखी टिप्पणियाँ: न्यायमूर्ति सूर्यकांत का बयान

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि महमूदाबाद की भाषा “डॉग व्हिसलिंग” जैसी है — ऐसी भाषा जो सतह पर सामान्य लगती है, लेकिन भीतर गहरे संकेत छुपे होते हैं।

उन्होंने कहा, “जब शब्दों का चयन जानबूझकर किसी को अपमानित करने के लिए किया जाता है, तो यह स्वाभाविक है कि विद्वान प्रोफेसर इससे बेहतर तरीका जानते होंगे।”

🎙️ कपिल सिब्बल की दलीलें

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि प्रोफेसर की पोस्ट देशभक्ति से ओतप्रोत थी और उसमें कोई आपराधिक मंशा नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी 9 महीने की गर्भवती हैं।

⚖️ महिला सैन्य अधिकारी पर टिप्पणी?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पूछा कि क्या महमूदाबाद की टिप्पणी महिला सेना अधिकारी का अपमान है। कोर्ट ने कहा कि इस पहलू की गहन जांच आवश्यक है।

🧾 कानूनी धाराएं और अब तक की कार्रवाई

  • प्रोफेसर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 152 समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

  • ये धाराएं सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने, राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालने और महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने से संबंधित हैं।

  • उन्हें हरियाणा राज्य महिला आयोग से भी समन मिला है।

📢 निष्कर्ष (Conclusion)

यह मामला सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जिम्मेदार नागरिकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को लेकर गहरा मंथन कराता है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारत की लोकतांत्रिक परंपरा में न्याय और विवेक का प्रतीक है।

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ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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