शमी की गैरमौजूदगी ने खड़े किए सवाल
इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी20 मैच में मोहम्मद शमी को प्लेइंग इलेवन से बाहर रखने का फैसला फैंस और क्रिकेट विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाला साबित हुआ। कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स पर खेले गए इस मैच के लिए सूर्यकुमार यादव ने जब टीम की घोषणा की, तो अनुभवी तेज गेंदबाज शमी का नाम गायब था। लंबे समय तक टखने की चोट से जूझने के बाद यह माना जा रहा था कि शमी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी शानदार वापसी करेंगे, लेकिन उन्हें टीम में जगह नहीं मिली। इसके बजाय कप्तान हार्दिक पांड्या ने एक तेज गेंदबाज—अर्शदीप सिंह—और तीन स्पिनरों—वरुण चक्रवर्ती, रवि बिश्नोई और अक्षर पटेल—के साथ मैदान पर उतरने का फैसला किया।
हालांकि, यह रणनीति कारगर साबित हुई, और भारत ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर 133 रन के लक्ष्य को महज 12.5 ओवर में हासिल कर लिया। फिर भी, शमी की गैरमौजूदगी ने फैंस और विशेषज्ञों को निराश किया। खासकर, ईडन गार्डन्स पर उनके घरेलू क्रिकेट रिकॉर्ड को देखते हुए, उन्हें बाहर रखना कई लोगों को नागवार गुजरा।
आकाश चोपड़ा ने जताई नाराज़गी
पूर्व भारतीय ओपनर आकाश चोपड़ा ने शमी के न खेलने पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की और यह अंदेशा जताया कि शायद वह पूरी तरह फिट नहीं हैं। अपने यूट्यूब चैनल पर चोपड़ा ने कहा, “अगर उन्होंने पहला मैच नहीं खेला, तो इसका मतलब यही है कि वह अभी 100% फिट नहीं हैं। अगर वह फिट होते, तो पिच या टीम संयोजन का कोई बहाना नहीं चलता।”
चोपड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि चार मैच बाकी हैं, और कम समय में लगातार मैचों के बीच ट्रैवलिंग और थकान से खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए आने वाले बड़े टूर्नामेंट, जैसे कि चैंपियंस ट्रॉफी, को ध्यान में रखते हुए शमी को मैदान पर उतारना जरूरी है।
गंभीर ने लगाई टीम प्रबंधन को फटकार
गौतम गंभीर ने भी चोपड़ा के विचारों का समर्थन किया और साफ तौर पर कहा कि बहाने बनाने का समय खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि शमी को न खिलाना सिर्फ खिलाड़ी के लिए नहीं, बल्कि टीम के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। गंभीर ने इस बात पर जोर दिया कि दबाव के क्षणों में शमी का अनुभव और ईडन गार्डन्स की परिस्थितियों से उनकी वाकफियत टीम के लिए फायदेमंद साबित होती।
“बहाने देना बंद करें,” गंभीर ने कहा। “शमी भारत के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं, और अगर वह फिट हैं, तो उन्हें बाहर बैठाने का कोई कारण नहीं हो सकता। यह उनके लिए मैच प्रैक्टिस का शानदार मौका था।”
भारत की अनोखी गेंदबाजी रणनीति
तीन स्पिनरों और सिर्फ एक तेज गेंदबाज के साथ उतरने का भारत का फैसला भले ही इंग्लैंड के खिलाफ काम कर गया, लेकिन इसने टीम प्रबंधन की दीर्घकालिक रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए। वरुण चक्रवर्ती और रवि बिश्नोई ने परिस्थितियों का पूरा फायदा उठाया, जबकि अक्षर पटेल ने अपनी निरंतरता जारी रखी। वहीं, अर्शदीप सिंह ने अकेले तेज गेंदबाजी की जिम्मेदारी संभालते हुए इंग्लैंड को 133 के छोटे स्कोर पर रोकने में अहम भूमिका निभाई।
हालांकि, आलोचकों का मानना है कि यह रणनीति हर बार कारगर नहीं हो सकती। मजबूत विपक्षी टीमों या सपाट पिचों पर शमी जैसे अनुभवी तेज गेंदबाज की जरूरत महसूस हो सकती है।
फिटनेस या रणनीतिक फैसला?
टीम प्रबंधन ने शमी की गैरमौजूदगी के लिए ‘टीम संयोजन’ का तर्क दिया, लेकिन यह स्पष्टीकरण आलोचकों को संतुष्ट नहीं कर सका। सूर्यकुमार यादव ने मीडिया से बात करते हुए संकेत दिया कि यह निर्णय टीम के संतुलन को ध्यान में रखकर लिया गया था। हालांकि, चोपड़ा ने इसे शमी की फिटनेस से जुड़ी संभावित समस्या के रूप में देखा।
चोपड़ा ने चिंता जताई कि लगातार यात्रा और व्यस्त कार्यक्रम खिलाड़ियों पर भारी पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “अगर शमी इस मैच में नहीं खेले, तो इसका मतलब है कि उनकी फिटनेस अभी भी चिंता का विषय है। यह चिंता आगे और बढ़ सकती है।”
आगे का रास्ता: शमी को देना होगा मौका
टी20 सीरीज के चार मैच अभी बाकी हैं, और सभी की नजरें अब टीम प्रबंधन पर हैं कि क्या शमी को आखिरकार प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है। उनकी तेज गति, स्विंग कराने की क्षमता और अनुभव भारत के लिए अनमोल साबित हो सकते हैं, खासकर बड़े मैचों में।
भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों से पहले शमी को मैच प्रैक्टिस देना बेहद जरूरी है। जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति और तेज गेंदबाजी आक्रमण पर बढ़ते दबाव के बीच शमी की मौजूदगी टीम को गहराई और संतुलन प्रदान कर सकती है।
निष्कर्ष
इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी20 मैच में मोहम्मद शमी को बाहर रखने का फैसला टीम प्रबंधन के निर्णयों और खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। भारत ने भले ही यह मैच जीत लिया, लेकिन शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ी को मौका न देना कई लोगों को खटक रहा है।
आकाश चोपड़ा और गौतम गंभीर जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि शमी जैसे खिलाड़ी को नजरअंदाज करना टीम की दीर्घकालिक योजनाओं के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम प्रबंधन अगले मैचों में शमी को मौका देता है या नहीं।
आने वाले दिनों में टीम प्रबंधन के हर निर्णय का महत्व बढ़ जाता है। शमी को प्लेइंग इलेवन में शामिल करना न केवल टीम के गेंदबाजी आक्रमण को मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें बड़े टूर्नामेंटों के लिए तैयार करने में भी मदद करेगा।