Friday, July 25, 2025
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क्या स्टोक्स और आर्चर को ऋषभ पंत के टूटे हुए पैर पर हमला करना चाहिए था? क्रिकेट की भावना पर एक नज़र

भारत और इंग्लैंड के बीच 4वें टेस्ट मैच में ऋषभ पंत की अद्भुत बहादुरी ने क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया। हालांकि, इंग्लैंड के गेंदबाजों बेन स्टोक्स और जोफ्रा आर्चर ने पंत के चोटिल पैर पर बार-बार हमले किए, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं। क्या यह खेल की भावना के खिलाफ था? आइए जानते हैं इस विवादास्पद क्षण और क्रिकेट की नैतिकता के बारे में।

चोट: युद्ध की भावना के साथ पंत की वापसी

23 जुलाई 2025 को ऋषभ पंत ने क्रिस वोक्स की यॉर्कर का सामना करते हुए अपने दाएं पैर में चोट खाई। इस चोट के कारण तुरंत सूजन, रक्तस्राव और संभावित मेटाटार्सल फ्रैक्चर हुआ, जिसके बाद उन्हें घायल अवस्था में मैदान छोड़ना पड़ा। बाद में मेडिकल स्कैन से यह पुष्टि हुई कि उनके पैर में टूटने की समस्या है, और उन्हें छह सप्ताह का आराम करने की सलाह दी गई।

हालांकि, पंत ने सभी दर्द और मेडिकल सलाह को नकारते हुए अगले दिन बल्लेबाजी के लिए वापसी की। दर्द निवारक दवाओं के प्रभाव में और लंगड़ाते हुए, उन्होंने 75 गेंदों पर 54 रन बनाए, जिसमें जोफ्रा आर्चर पर एक शानदार छक्का भी शामिल था। उनकी यह साहसिक पारी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए बस गई।

विवादास्पद रणनीतियां: स्टोक्स और आर्चर ने पंत की चोट को निशाना बनाया

जब पंत मैदान पर वापसी कर रहे थे, तो इंग्लैंड के गेंदबाज स्टोक्स और आर्चर ने उनके चोटिल पैर को यॉर्कर्स से निशाना बनाया। क्या यह क्रिकेट की भावना के अनुसार था?

क्रिकेट एक ऐसा खेल है जो सम्मान, ईमानदारी और स्पोर्ट्समैनशिप पर आधारित है, लेकिन इस स्थिति में पंत की चोट पर जानबूझकर हमला करना खेल के आदर्शों से परे जान पड़ता है। क्या यह सिर्फ एक प्रतिस्पर्धी रणनीति थी, या खेल के नैतिकता का उल्लंघन किया गया?

पंत की बहादुरी: क्रिकेट के नायक के रूप में उनकी वापसी

ऋषभ पंत की यह बहादुरी अन्य क्रिकेटिंग नायकों के साहस की याद दिलाती है। 2002 में अनिल कुंबले का वो पल जब उन्होंने चोटिल जबड़े के साथ बल्लेबाजी की और बाद में गेंदबाजी करते हुए ब्रायन लारा को आउट किया। पंत की वापसी का साहस भी वैसा ही था।

उसी तरह, 1984 में माल्कम मार्शल ने अपनी फ्रैक्चर्ड अंगूठे के बावजूद बाएं हाथ से बल्लेबाजी की और वेस्ट इंडीज को जीत दिलाई। क्रिकेट के इतिहास में ऐसी कई बहादुरी की मिसालें दी गई हैं, और अब ऋषभ पंत का नाम भी इसमें शामिल हो गया।

क्या यह ‘क्रिकेट की भावना’ का उल्लंघन था?

क्रिकेट को खेल के रूप में देखा जाता है जो स्पोर्ट्समैनशिप और इज्जत पर आधारित है। इस खेल के दौरान एक दूसरे की चोट को लक्ष्य बनाना क्या सही है? इस सवाल का उत्तर निश्चित रूप से स्पोर्ट्समैनशिप पर निर्भर करता है।

यह सही है कि रणनीति में किसी खिलाड़ी की कमजोरी को निशाना बनाना एक आम बात है, लेकिन इस स्थिति में, पंत की चोट पर जानबूझकर हमला करने से क्रिकेट की सच्ची भावना को ठेस पहुँचती है।

क्रिकेट से परे: अन्य खेलों में साहस की मिसालें

क्रिकेट में पंत की बहादुरी को देखते हुए, हमें अन्य खेलों की ओर भी देखना चाहिए। 1992 के ओलंपिक में डेरिक रेडमंड ने स्ट्रेंथ और साहस का परिचय देते हुए अपनी हैमस्ट्रिंग में चोट लगने के बावजूद रेस को खत्म किया। इसी तरह 2016 में आलिस्टेयर ब्राउनली ने अपने भाई जोनी को ट्रायथलॉन के दौरान बचाया, जो गिर गए थे।

इन उदाहरणों से यह सिद्ध होता है कि खेल का असली उद्देश्य विजय नहीं, बल्कि मानवता और नैतिकता है।

निष्कर्ष: क्रिकेट के नायक की पहचान

ऋषभ पंत की साहसिक पारी और उनकी लक्ष्य की ओर वापसी ने हमें यह सिखाया कि खेल केवल विजय नहीं, बल्कि हिम्मत और समर्पण का भी प्रतीक है। भले ही इंग्लैंड के गेंदबाजों ने उन्हें चोटिल पैर पर हमला किया, लेकिन पंत की बहादुरी का कोई मुकाबला नहीं।

क्रिकेट का वास्तविक रूप तब सामने आता है जब खिलाड़ी अपनी प्राकृतिक ताकत से कहीं अधिक, मनोबल और साहस का प्रदर्शन करते हैं। यह पारी सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि विश्व क्रिकेट के लिए एक प्रेरणा बन गई है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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