दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल पर राजनीतिक उथल-पुथल के बीच बगावत के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। हाल ही में मार्शल लॉ लागू करने के उनके विवादास्पद फैसले ने देश में भारी आक्रोश और अंतरराष्ट्रीय आलोचना को जन्म दिया है। इस घटनाक्रम ने उनके प्रशासन को गंभीर संकट में डाल दिया है।
नेशनल पुलिस एजेंसी के नेशनल इन्वेस्टिगेशन हेडक्वार्टर्स के प्रमुख वू जोंग-सू ने संसद सत्र के दौरान पुष्टि की कि इस मामले की औपचारिक जांच शुरू की जा चुकी है। यह जांच राष्ट्रपति यून के उस कदम की गंभीरता को दर्शाती है, जिसे कई लोग सत्ता का घोर दुरुपयोग मान रहे हैं।
मार्शल लॉ का ऐलान और उसका प्रभाव
मंगलवार को राष्ट्रपति यून ने देश में बढ़ते नागरिक असंतोष का हवाला देते हुए मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस आदेश के तहत राजनीतिक गतिविधियों पर रोक और मीडिया पर सख्त सेंसरशिप लगा दी गई। लेकिन यह कदम तुरंत ही उल्टा पड़ गया, जिससे देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब सशस्त्र सैनिकों ने सियोल में नेशनल असेंबली भवन में प्रवेश करने की कोशिश की। हालात तनावपूर्ण हो गए, लेकिन संसद के सहायकों ने फायर एक्सटिंग्विशर के सहारे सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यह घटनाक्रम संकट की गहराई और यून के फैसलों के खिलाफ बढ़ते प्रतिरोध का प्रतीक बन गया।
महाभियोग की तैयारी
इस राजनीतिक संकट के बीच, विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति यून के महाभियोग के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पार्टी का कहना है कि उनके फैसले ने जनता के बीच भय और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के विधायक किम सेउंग-वोन ने संसद सत्र में कहा, “यून सुक-योल सरकार के आपातकालीन मार्शल लॉ ने हमारे नागरिकों में भारी भ्रम और भय पैदा कर दिया है।” पार्टी इस हफ्ते महाभियोग प्रस्ताव पर वोटिंग कराने की योजना बना रही है, जिससे राजनीतिक घटनाक्रम और तेज हो जाएगा।
महाभियोग पारित होने के लिए, यून की सत्तारूढ़ पीपल पावर पार्टी (PPP) के कम से कम आठ सदस्यों को विपक्ष का समर्थन करना होगा, ताकि 300 सीटों वाली संसद में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया जा सके। हालांकि, यह चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि PPP अभी भी बड़े पैमाने पर यून के समर्थन में खड़ी है।
रक्षा मंत्रालय में बदलाव
स्थिति को संभालने और असंतोष को शांत करने के प्रयास में, यून ने रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। किम ने मार्शल लॉ लागू करने का सुझाव दिया था और नेशनल असेंबली में सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया था।
डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर किम सेउन-हो, जिन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं थी, ने बाद में इस असफलता पर गहरा खेद व्यक्त किया। संसदीय सुनवाई में उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा मार्शल लॉ के तहत सैन्य बलों की तैनाती का विरोध किया है और इस पर नकारात्मक राय व्यक्त की है।” उनकी यह गवाही संकट में और इजाफा कर रही है।
South Korean president Yoon Suk-yeol’s failed martial law decree has led to turmoil. If Yoon were to be removed, he would be the latest in a string of South Korean leaders forced from office. pic.twitter.com/0xOZVr7Roo
— South China Morning Post (@SCMPNews) December 4, 2024
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और कूटनीतिक तनाव
मार्शल लॉ के इस फैसले ने दक्षिण कोरिया के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी गहरा असर डाला है। अमेरिका सहित कई सहयोगी देशों ने यून के इस कदम पर गंभीर चिंता जताई है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि वाशिंगटन को मार्शल लॉ लागू करने से पहले सूचित नहीं किया गया था। वहीं, डिप्टी सेक्रेटरी कर्ट कैंपबेल ने यून पर “स्थिति का गलत आकलन करने” का आरोप लगाया। यह कूटनीतिक तनाव एक ऐसे समय में गहरा रहा है जब क्षेत्रीय स्थिरता बेहद महत्वपूर्ण है।
एक निर्णायक मोड़ पर राष्ट्रपति पद
यून सुक-योल का राष्ट्रपति पद, जो उम्मीदों के साथ शुरू हुआ था, अब गंभीर संकट में है। सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के लिए मार्शल लॉ लागू करने का उनका कदम न केवल घरेलू मोर्चे पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी आलोचना का कारण बना है।
महाभियोग वोट के नतीजे उनके राजनीतिक भविष्य को निर्धारित करेंगे। यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो यह यून के कार्यकाल का अंत हो सकता है और देश को और अधिक अनिश्चितता में डाल सकता है। लेकिन यदि वह इस संकट से उबरने में सफल होते हैं, तो यह उनकी राजनीतिक कुशलता का प्रमाण होगा।
निष्कर्ष
मार्शल लॉ विवाद ने दक्षिण कोरिया के राजनीतिक परिदृश्य में गहरी दरारें उजागर कर दी हैं। यह संकट न केवल कार्यकारी शक्ति की सीमाओं की परीक्षा ले रहा है, बल्कि यह भी देख रहा है कि देश अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति कितना प्रतिबद्ध है। आने वाले दिन राष्ट्रपति यून सुक-योल के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उनके निर्णय और कदम न केवल उनके राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेंगे, बल्कि देश के भविष्य को भी आकार देंगे।