ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायु सेना के पायलट, Axiom 4 अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरिक्ष की ओर अपना ऐतिहासिक सफर शुरू कर रहे हैं। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।
ISS की ओर ऐतिहासिक यात्रा
ग्रुप कैप्टन शुक्ला अब स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हो चुके हैं। यह यान फ्लोरिडा स्थित NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट के साथ उड़ान भर चुका है। यह वही लॉन्च पैड है, जहां 1969 में नील आर्मस्ट्रांग ने अपोलो 11 मिशन के तहत चंद्रमा की ओर उड़ान भरी थी।
भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई छलांग
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शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।
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यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण में बढ़ती भागीदारी का प्रतीक है।
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यह मिशन Axiom-4 प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ISS पर पहुंचना है।
Axiom-4 मिशन पर टीम
शुक्ला इस मिशन के लिए एक विविध और सक्षम टीम के साथ हैं:
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
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स्लावोश उज़नांस्की-विशनेव्स्की (पोलैंड) – विशेषज्ञ
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तिबोर कपू (हंगरी) – विशेषज्ञ
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कमान्डर पेगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर
यह चार सदस्यीय दल 15 दिन लंबे मिशन पर है, जिसमें 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें से सात भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तावित हैं। यह सहयोग भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय शोध समुदाय में योगदान को प्रदर्शित करता है।
मुख्य वैज्ञानिक प्रयोग
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इस मिशन में 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे।
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सात प्रयोग भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तावित हैं, जो भारत के अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
चुनौतियां और देरी
Axiom-4 के लॉन्च को कई बार मौसम और तकनीकी खराबियों के कारण स्थगित किया गया था। कई बार पुनः शेड्यूल किए जाने के बाद, मिशन अंततः 25 जून को उड़ान भर सका, और NASA ने मिशन की छठी तारीख की पुष्टि की।
शुभांशु शुक्ला का संदेश
अपने ऐतिहासिक सफर से पहले, ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने एक दिल छू लेने वाला संदेश दिया:
“मैं सिर्फ उपकरण और यांत्रिक सामग्री ही नहीं, बल्कि एक अरब दिलों की उम्मीदें और सपने लेकर जा रहा हूं।”
अपने परिवार को भेजे गए संदेश में उन्होंने कहा: “बस मुझे इंतजार करना, मैं आ रहा हूं।”
ISS की ओर यात्रा
Axiom-4 का दल 28 घंटे की कक्षा यात्रा के बाद 26 जून को भारतीय समय अनुसार लगभग 4:30 बजे ISS से जुड़ने की योजना है। यह यात्रा न सिर्फ शुभांशु शुक्ला के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में योगदान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि भी है।
निष्कर्ष
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शुभांशु शुक्ला की यात्रा भारत में अंतरिक्ष तकनीकी में हुई प्रगति का प्रतीक है।
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यह मिशन भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैज्ञानिक अनुसंधान में बढ़ते योगदान की दिशा में एक नया कदम है।
Axiom-4 मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो उसे अंतरिक्ष अन्वेषण में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।