आईपीएल 2025 के पहले ही मैच में पंजाब किंग्स के कप्तान श्रेयस अय्यर ने अपने करियर की पहली आईपीएल सेंचुरी के करीब पहुंचकर भी उसे तवज्जो नहीं दी। बल्कि, उन्होंने टीम की जीत को प्राथमिकता देते हुए स्ट्राइक को लेकर कोई लालसा नहीं दिखाई।
97 पर नाबाद रहे श्रेयस, पर टीम का फायदा ज़रूरी
श्रेयस अय्यर के लिए यह उनका 10वां आईपीएल सीजन है और वह अब तक शतक नहीं जड़ पाए हैं। इस बार जब मौका था, तो उन्होंने टीम की जीत को अपने व्यक्तिगत आंकड़ों से ऊपर रखा। नरेंद्र मोदी स्टेडियम, अहमदाबाद में गुजरात टाइटन्स के खिलाफ खेले गए मैच में उन्होंने 17वें ओवर तक 38 गेंदों में 90 रन बना लिए थे। लेकिन अगले तीन ओवर में उन्हें मात्र चार गेंदें खेलने को मिलीं और वह 97 रन पर नाबाद रह गए।
हालांकि, इससे न ही उन्हें कोई मलाल था और न ही टीम को कोई नुकसान हुआ। इसका कारण था शशांक सिंह की तूफानी बल्लेबाज़ी, जिन्होंने आखिरी तीन ओवर में 275 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की। खासकर आखिरी ओवर में मोहम्मद सिराज के खिलाफ लगातार पांच चौके और दो छक्के जमाकर टीम को 243/5 के विशाल स्कोर तक पहुंचा दिया।
श्रेयस ने खुद शशांक को दिया खुलकर खेलने का निर्देश
श्रेयस अय्यर और शशांक सिंह आयु-वर्ग क्रिकेट से एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं। कप्तान को अपने खिलाड़ी की काबिलियत पर पूरा भरोसा था। श्रेयस ने शशांक को पहले ही कह दिया था कि उन्हें अपनी सेंचुरी की कोई परवाह नहीं है, बल्कि वह चाहते हैं कि टीम का स्कोर बड़ा बने।
इसी का खुलासा खुद शशांक सिंह ने किया, “श्रेयस भाई ने पहले ही कह दिया था, ‘शशांक, मेरी सेंचुरी के बारे में मत सोचो, बस अपने शॉट खेलो और टीम के लिए फिनिश करो।’ उन्होंने जैसे मुझे आत्मविश्वास दिया, वह काबिल-ए-तारीफ है।”
रवि शास्त्री का टीम वर्क पर ज़ोर, कोहली पर कटाक्ष?
जब शशांक ने यह बात बताई, तो पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री ने इस पर खास प्रतिक्रिया दी। उन्होंने श्रेयस के इस फैसले की सराहना की और कहा, “यही होता है सही मानसिकता, जब आप एक टीम गेम खेल रहे होते हैं।”
हालांकि, शास्त्री ने किसी खिलाड़ी का नाम नहीं लिया, लेकिन सोशल मीडिया पर इसे विराट कोहली पर परोक्ष कटाक्ष माना गया। जैसे ही शशांक ने श्रेयस के निस्वार्थ निर्णय के बारे में बताया, वैसे ही आईपीएल 2019 में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ कोहली की सेंचुरी वाली घटना के वीडियो वायरल हो गए।
दरअसल, उस मैच में विराट कोहली 96 रन पर खेल रहे थे और अंतिम दो गेंदें बची थीं। उन्होंने तब नॉन-स्ट्राइकर एंड पर खड़े मार्कस स्टोइनिस को रन लेने से मना कर दिया, ताकि वह अगली गेंद पर चौका लगाकर अपनी सेंचुरी पूरी कर सकें। स्टोइनिस का हाव-भाव भी यह दर्शा रहा था कि कोहली का इरादा व्यक्तिगत उपलब्धि हासिल करना था। इसके बाद कोहली ने चौका जड़कर शतक पूरा किया।
कोहली की पहले भी हो चुकी है आलोचना
यह पहली बार नहीं था जब कोहली को व्यक्तिगत उपलब्धियों को टीम से ऊपर रखने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी। 2023 वनडे वर्ल्ड कप में भी बांग्लादेश के खिलाफ उनके शतक बनाने के तरीके पर सवाल उठे थे।
श्रेयस अय्यर ने दी कप्तानी की मिसाल
श्रेयस अय्यर ने मैच के बाद अपनी खुशी जाहिर की, “97* पर नाबाद रहना और टीम को जीत दिलाना मेरे लिए सबसे बड़ी बात है। पहली गेंद पर चौका लगाकर मुझे आत्मविश्वास मिला। रबाडा के खिलाफ जो फ्लिक सिक्स लगाया, वह भी यादगार था। लेकिन, अंत में शशांक की 44 रन की पारी ने टीम के स्कोर को और मजबूत किया। हम मैच में एक बेंचमार्क सेट करना चाहते थे और हमने किया।”
टीम पहले, रिकॉर्ड बाद में!
श्रेयस अय्यर का यह निर्णय न केवल उनकी कप्तानी की परिपक्वता दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे एक कप्तान को अपने व्यक्तिगत रिकॉर्ड से ऊपर टीम को रखना चाहिए। यह घटना क्रिकेट में निस्वार्थ खेल भावना की मिसाल बन गई है।
निष्कर्ष
श्रेयस अय्यर का यह कदम उनके लीडरशिप क्वालिटी को दर्शाता है। टीम की जरूरत को प्राथमिकता देने की उनकी सोच से यह साबित होता है कि क्रिकेट एक टीम गेम है और व्यक्तिगत रिकॉर्ड्स से ज्यादा महत्वपूर्ण जीत होती है। वहीं, रवि शास्त्री का बयान यह संकेत देता है कि क्रिकेट में टीम भावना ही असली पहचान होती है। क्या यह टिप्पणी विराट कोहली की ओर इशारा कर रही थी? इसका जवाब तो शायद शास्त्री ही दे सकते हैं!