भारतीय शेयर बाजार ने इस सप्ताह भारी गिरावट देखी, जिससे निवेशकों को चिंतित कर दिया। शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 को, Sensex 700 प्वाइंट्स से ज्यादा गिरकर 81,440 के निचले स्तर तक पहुँच गया, जबकि Nifty 50 भी 1% गिरकर 24,811.65 तक पहुंच गया। पिछले दो दिनों में, Sensex ने 1,300 प्वाइंट्स, यानी 1.6% की गिरावट देखी है, और Nifty 50 ने भी लगभग 1.6% की गिरावट अनुभव की है।
कुल मिलाकर, निवेशकों की संपत्ति में ₹7 लाख करोड़ से अधिक की कमी आई है, जो दर्शाता है कि बाजार में अस्थिरता ने एक बड़ी आर्थिक हानि दी है।
Indian Stock Market में गिरावट के प्रमुख कारण
भारतीय शेयर बाजार में आई इस गिरावट के पीछे पांच प्रमुख कारण हैं:
1. India-US Trade Deal में देरी
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार सौदे में अब तक कोई स्पष्ट प्रगति नहीं हुई है। भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण व्यापार वार्ता चल रही है, लेकिन दोनों देशों के बीच कृषि, डेयरी, और आनुवंशिक रूप से संशोधित उत्पादों पर मतभेद बने हुए हैं। व्यापार सौदे के लिए अनिश्चितता बनी हुई है, और इसका प्रभाव भारतीय बाजार पर भी पड़ा है।
2. विदेशी पूंजी का निरंतर बहाव (FPI Outflow)
भारत में विदेशी निवेशकों (Foreign Portfolio Investors – FPI) द्वारा लगातार बिकवाली हो रही है। जुलाई में अब तक ₹28,528 करोड़ की बिकवाली हो चुकी है, और पिछले चार दिनों में ही ₹11,572 करोड़ की निकासी हुई है। FPI का यह लगातार बिकवाली करना भारतीय शेयर बाजार में मंदी का कारण बन रहा है।
3. Q1 नतीजों में निराशा
भारत के प्रमुख कंपनियों के Q1 परिणाम अपेक्षाकृत निराशाजनक रहे हैं। IT और वित्तीय क्षेत्रों में ज्यादा निराशाजनक परिणाम सामने आए हैं। इसके कारण बाजार में निगेटिव सेंटिमेंट (negative sentiment) पैदा हुआ है और निवेशक सावधानी से काम कर रहे हैं।
4. मूल्यांकन में अत्यधिक वृद्धि (Overvaluation Concerns)
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन अत्यधिक बढ़ चुका है, जो कमजोर तिमाही परिणामों के बीच अस्थिर प्रतीत हो रहा है। Nifty का मूल्यांकन तो अभी असुविधाजनक नहीं है, लेकिन व्यापक बाजार और खासकर छोटे शेयरों (small-cap) का मूल्यांकन अधिक हो गया है, जिससे बाजार में कमजोरी आ सकती है।
5. तकनीकी कारक: Nifty का 25,000 का समर्थन टूटना
Nifty 50 का 25,000 के नीचे गिरना संकेत दे रहा है कि अगले कुछ समय में और गिरावट हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, Nifty के लिए 25,000 का स्तर एक महत्वपूर्ण समर्थन (support level) था, और इसके नीचे जाने से मंदी का माहौल मजबूत हो सकता है।
Nifty और Sensex में गिरावट का तात्कालिक प्रभाव
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Nifty और Sensex की गिरावट: पिछले दो दिनों में Sensex और Nifty 50 ने कुल मिलाकर 1% से अधिक गिरावट देखी है।
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बाजार पूंजीकरण में कमी: BSE सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में ₹7 लाख करोड़ की कमी आई है, जिससे भारतीय बाजार पर भारी दबाव पड़ा है।
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विदेशी निवेशक बिकवाली कर रहे हैं: FPI द्वारा भारतीय बाजार में बिकवाली और निरंतर पूंजी निकासी के कारण बाजार और कमजोर हो रहा है।
आने वाले दिनों में क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर व्यापार सौदा अमेरिका के साथ समय पर सुलझता है और FPI की बिकवाली में कमी आती है, तो भारतीय शेयर बाजार में सुधार की संभावना है। हालांकि, निवेशकों को बाजार के अस्थिर स्वभाव को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में आई इस गिरावट के पीछे कई जटिल कारण हैं। विदेशी पूंजी का बहाव, कंपनियों के कमजोर तिमाही परिणाम, और व्यापार सौदे में देरी जैसे कारकों ने मिलकर इस मंदी की स्थिति को जन्म दिया है। हालांकि, अगर इन मुद्दों का समाधान होता है, तो बाजार में सुधार की संभावना है। निवेशकों को सावधानीपूर्वक निवेश रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता है।