Friday, July 25, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगाया; 12 आरोपियों की रिहाई पर कोई रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर स्टे लगा दिया, जिसमें 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले के 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 12 आरोपियों की रिहाई पर कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन यह कहा कि “विवादित आदेश को एक उदाहरण के रूप में नहीं माना जाएगा।”

क्या हुआ अब तक?

21 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 2006 के 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) कोर्ट के विशेष निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। इन लोगों पर 2006 में मुंबई ट्रेन बम धमाकों में साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने का आरोप था।

बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चंदक की बेंच ने कहा, “प्रवेशन ने इस मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रहा है।” उनका कहना था कि जो साक्ष्य अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किए थे, वे आरोपियों के खिलाफ सजा देने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

इसके बाद, महाराष्ट्र राज्य ने बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी। भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश हो रहे थे, ने अदालत से कहा कि वह दोषी व्यक्तियों को फिर से जेल में भेजने का आदेश नहीं मांग रहे हैं।

हालांकि, मेहता ने इस आदेश के खिलाफ स्टे की मांग की, क्योंकि उनका कहना था कि हाई कोर्ट के निर्णय में कुछ टिप्पणियां अन्य मामलों पर असर डाल सकती हैं, जो MCOCA के तहत लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को यह कहा कि “हमारे पास यह जानकारी है कि सभी आरोपी अब जेल से बाहर हैं, और उन्हें फिर से जेल भेजने का कोई सवाल नहीं है।”

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “हालांकि, सॉलिसिटर जनरल द्वारा कानून के सवाल पर की गई प्रस्तुति को ध्यान में रखते हुए, हम यह मानते हैं कि विवादित आदेश को एक उदाहरण के रूप में नहीं लिया जाएगा। इस हद तक, इस आदेश पर स्टे लगाया जाता है।”

7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के बारे में

7 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात बम धमाके हुए थे, जिसमें 189 नागरिकों की मौत हो गई और लगभग 820 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना भारत के सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक मानी जाती है और इसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।

इस घटना के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था, और यह भारतीय इतिहास का सबसे घातक आतंकवादी हमला साबित हुआ। यह हमले रेलवे नेटवर्क के जरिए हुए थे, जो मुंबई की सघनतम आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरते थे, जिससे इसका असर बहुत व्यापक हुआ।

मामले की कानूनी जटिलताएँ

इस मामले में सजा और बरी किए गए आरोपियों के कानूनी अधिकारों का सवाल है। कोर्ट ने जहां एक ओर यह कहा कि साक्ष्य अपर्याप्त थे, वहीं दूसरी ओर अभियोजन पक्ष ने अपना पक्ष रखने के लिए कई महत्वपूर्ण सबूत प्रस्तुत किए थे। बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद, सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया दी और सुप्रीम कोर्ट से स्टे की अपील की।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सरकार के लिए एक बड़ा झटका है, और इसे लेकर राजनीतिक और कानूनी हलकों में कई चर्चाएं हो रही हैं। सरकार की तरफ से यह तर्क दिया जा रहा है कि यदि इस फैसले को एक उदाहरण के रूप में लिया गया, तो इससे आने वाले मामलों में दिक्कत हो सकती है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

क्या हैं इसके आगे के कदम?

अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे लगाया है, अगले कुछ दिनों में यह तय किया जाएगा कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे। इस दौरान महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर इसका असर न पड़े।

इसके अलावा, इस मामले के बारे में मीडिया और आम जनता की चिंता भी बढ़ी हुई है, क्योंकि यह मुद्दा न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। इस केस में जो भी फैसला आएगा, वह भारतीय न्यायिक प्रणाली और आतंकवाद से निपटने की हमारी क्षमता को लेकर महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय इस मामले की महत्वपूर्ण कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। हालांकि 12 आरोपियों की रिहाई पर कोई रोक नहीं लगी, लेकिन विवादित हाई कोर्ट के निर्णय पर स्टे के साथ, यह कानूनी बहस अभी और गहरी होगी। अब यह देखा जाना है कि इस मामले में आगे क्या नया मोड़ आता है, खासकर जब सरकार और विपक्ष के बीच कानूनी लड़ाई जारी है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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