Tuesday, April 1, 2025
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दिल्ली HC जज के घर नकदी बरामदगी के बाद SC कोलेजियम ने किया तबादला

नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास में मिली बेहिसाब नकदी का मामला केवल स्थानांतरण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्राथमिक जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों ने शुक्रवार दोपहर एनडीटीवी को बताया कि इस जांच के निष्कर्षों के आधार पर न्यायमूर्ति वर्मा (56) को या तो इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है या फिर संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत पद से हटाया जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से इस विषय पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही, उन्होंने शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को भी स्थिति से अवगत कराया है।

विपक्ष और विधि विशेषज्ञों ने की कड़ी मांग

न्यायमूर्ति वर्मा के केवल स्थानांतरण को पर्याप्त न मानते हुए वरिष्ठ वकीलों, सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ताओं, कांग्रेस पार्टी और विधि विशेषज्ञों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है। कांग्रेस पार्टी ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है।

पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा,
“न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए यह जानना आवश्यक है कि यह धन किसका था और यह न्यायाधीश को क्यों दिया गया?”

स्थानांतरण को लेकर विवाद

सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है, जिसकी स्वीकृति केंद्र सरकार से अपेक्षित है। हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस निर्णय का विरोध किया है।

बार एसोसिएशन ने अपने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखते हुए सवाल उठाया,
“क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कचरे का डिब्बा है?”

कैसे हुआ पूरा खुलासा?

यह विवाद होली के दौरान तब भड़का, जब न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित बंगले में आग लग गई थी। दमकलकर्मियों द्वारा आग बुझाने के दौरान वहां बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सामने आई। इसके बाद पुलिस को सूचित किया गया, और जब यह मामला शीर्ष स्तर तक पहुंचा, तो सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम को इसकी जानकारी दी गई।

सूत्रों के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया, और कोलेजियम ने सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण पर सहमति जताई। न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने की संभावना पर भी चर्चा हुई थी।

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर बहस

इस प्रकरण ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कोलेजियम को न्यायाधीशों की नियुक्ति और उनके आचरण की निगरानी का दायित्व सौंपा गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
कपिल सिब्बल, जो राज्यसभा सांसद भी हैं, ने कहा,
“यह पहली बार नहीं है जब वरिष्ठ वकील और न्यायिक विशेषज्ञ इस विषय पर आवाज उठा रहे हैं।”

वहीं, इंदिरा जयसिंह ने पीटीआई को दिए एक बयान में कहा,
“कोलेजियम पर यह नैतिक दायित्व है कि वह इस मामले की पूरी, स्वतंत्र और पारदर्शी जानकारी सार्वजनिक करे। इसके अलावा, कोलेजियम को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि बरामद नकदी की कुल राशि कितनी थी।”

संसद में उठा मामला

इस मुद्दे ने संसद में भी हलचल मचा दी। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने राज्यसभा में इस पर सभापति जगदीप धनखड़ से प्रतिक्रिया मांगी।

पूर्व वकील रह चुके धनखड़ ने कहा,
“सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि यह मामला तुरंत उजागर क्यों नहीं हुआ? हमें एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जो पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी हो।”

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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