अमेरिका में भारतीय निर्वासन: एक पुरानी प्रक्रिया
नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों को देश से निष्कासित करने की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है। यह कई वर्षों से चली आ रही है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी, जब विपक्ष ने अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारतीय निर्वासितों के प्रति किए गए व्यवहार पर सरकार की आलोचना की।
अमेरिका से भारतीयों का निर्वासन: आँकड़े और स्थिति
जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से परामर्श के बाद यह बयान दिया और बताया कि हर वर्ष सैकड़ों भारतीय अमेरिका से निर्वासित होते हैं। 2012 में यह संख्या 530 थी, जबकि 2019 में यह बढ़कर 2,000 से अधिक हो गई।
“हमें कानूनी प्रवास को प्रोत्साहित करना चाहिए और अवैध प्रवास को हतोत्साहित करना चाहिए। प्रत्येक देश की ज़िम्मेदारी होती है कि वह अपने अवैध रूप से विदेश में रह रहे नागरिकों को वापस ले। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नई नहीं है और यह कई वर्षों से चल रही है,” जयशंकर ने कहा।
भारत और अमेरिका के बीच संवाद
भारत सरकार अमेरिका से इस विषय पर लगातार संपर्क में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासितों के साथ उचित व्यवहार हो।
विपक्ष का विरोध और सवाल
जयशंकर के बयान के बाद, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और डीएमके के सांसदों ने सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या भारत अपने नागरिकों को सम्मानजनक तरीके से लाने के लिए सैन्य या चार्टर्ड विमान का उपयोग कर सकता था।
इस संदर्भ में कोलंबिया का उदाहरण दिया गया, जहां राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका द्वारा किए गए निर्वासन पर आपत्ति जताई थी। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने कोलंबिया पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया और अंततः कोलंबिया ने अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए अपने सैन्य विमान भेजे।
निर्वासित भारतीयों के अनुभव
गुरुवार को अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल के प्रमुख माइकल बैंक्स द्वारा साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया कि निर्वासित भारतीय नागरिकों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर अमेरिकी वायुसेना के सी-17 परिवहन विमान में बैठाया गया और अमृतसर लाया गया।
अमृतसर पहुंचने के बाद, कुछ निर्वासितों ने बताया कि उन्हें लंबी अवधि तक सीटों से बांधकर रखा गया और टॉयलेट उपयोग करने की अनुमति नहीं दी गई। इस पर विपक्षी सांसदों ने अमेरिका द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन की आशंका जताई।
एक उदाहरण: पंजाब के गुरदासपुर निवासी 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने एक एजेंट को 30 लाख रुपये दिए थे, जिसने उसे अमेरिका में वैध प्रवेश का वादा किया था। इसके बजाय, उसे एक खतरनाक और अवैध मार्ग से होकर ले जाया गया, जिसमें दक्षिण अमेरिकी देशों से होते हुए अमेरिका पहुंचने की प्रक्रिया शामिल थी।
विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में, अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और डीएमके के सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। तख्तियों पर लिखा था – “कैदी नहीं, इंसान हैं।”
अमेरिका की सख्त आव्रजन नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अपनी आव्रजन नीति को लागू करने के लिए सेना का उपयोग बढ़ाया है। सैन्य विमानों के माध्यम से प्रवासियों को निर्वासित करने और सैन्य अड्डों पर रखने की यह नीति रिपब्लिकन नेता की कठोर आव्रजन नीति का हिस्सा मानी जा रही है।
निष्कर्ष
भारतीय प्रवासियों का निर्वासन एक संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर भारत सरकार अमेरिका से लगातार संवाद कर रही है। यह जरूरी है कि अवैध प्रवास को रोकने और कानूनी तरीके से प्रवास को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों और आप्रवासन नीतियों पर बहस छेड़ दी है।