रूस का बड़ा संदेश: भारत के साथ पूरी मजबूती से खड़ा
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 25 निर्दोष पर्यटकों और एक कश्मीरी नागरिक की निर्मम हत्या हुई, को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की और भारत को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया।
पाकिस्तान की चाल, रूस का जवाब
यह फोन कॉल ऐसे समय हुआ जब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रूस और चीन से इस हमले की जांच में हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने सुझाव दिया कि एक अंतरराष्ट्रीय जांच समिति बनाई जाए जो तय करे कि भारत सही कह रहा है या झूठ।
हालांकि, रूस का स्पष्ट समर्थन भारत के पक्ष में आना पाकिस्तान के इस कूटनीतिक प्रयास को सीधा झटका देता है।
पुतिन की तीखी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल के अनुसार, पुतिन ने हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि “इस अमानवीय कृत्य के दोषियों और उनके मददगारों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।” उन्होंने मासूमों की जान जाने पर गहरा शोक प्रकट किया।
भारत-रूस की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को और सुदृढ़ करने पर चर्चा की। मोदी ने विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं दी और साल के अंत में भारत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए पुतिन को आमंत्रित किया।
लश्कर की साजिश और पाकिस्तान की भूमिका
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा की इकाई द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। TRF पहले भी जम्मू-कश्मीर में हिंसक गतिविधियों में सक्रिय रहा है।
President Putin @KremlinRussia_E called PM @narendramodi and strongly condemned the terror attack in Pahalgam, India. He conveyed deepest condolences on the loss of innocent lives and expressed full support to India in the fight against terrorism. He emphasised that the…
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) May 5, 2025
भारत-रूस संबंध: यूक्रेन युद्ध के बाद और मजबूत
भारत ने यूक्रेन युद्ध के दौरान भी रूस के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखे, खासकर तेल खरीद को लेकर। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने तटस्थ नीति अपनाई, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ हुए।
निष्कर्ष: भारत को मिला रूस का भरोसेमंद सहयोगी
रूस का यह कड़ा रुख भारत के लिए कूटनीतिक जीत है। एक ओर जहां पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहा है, वहीं रूस ने दो टूक शब्दों में भारत का साथ देते हुए आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट संदेश दिया है। इससे भारत की वैश्विक छवि और मजबूत होती है।