Monday, January 13, 2025
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रुपया गिरा अभी तक के सबसे निचले स्तर 86.0 प्रति डॉलर तक

रुपया शुक्रवार को 14 पैसे गिरकर 86.0 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी के कारण यह गिरावट आई। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से बाजार की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। जानते हैं क्या है इसके कारण – 

रुपया पहुंचा अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर

रुपया अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 14 पैसे गिरकर 86 प्रति डॉलर पर पहुंच गया है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों के पूंजी निकासी से रुपया भारी दबाव में है। विदेशी मुद्रा कारोबारियो का कहना है की विदेश में कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हो रही है। इस समय शेयर बाजार लगातार गिर रहा है यह भी भारतीय मुद्रा के कमजोर होने की एक वजह है। शेयर बाजार के लगातार गिरने से एक नकारात्मक धारणा निवेशकों में बन गई है इसीलिए सब अपना पैसा मार्केट से निकल रहे हैं जिसके कारण रुपया कमजोर होता जा रहा है। उधर डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उनके व्यापार पर प्रतिबंधात्मक नियमों के लागू होने से मांग बढ़ गई है और डॉलर मजबूत होने लगा है। रुपए ने आज 85.80 प्रति डॉलर के स्तर को छोड़ दिया है। रुपए में रेनिम्बी की तर्ज पर गिरावट देखी गई है जो की 7.328 प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। पहली बार 2007 के बाद रुपया शुक्रवार को 7.3 30 प्रति डॉलर तक गिरा है।

क्या कारण है रुपए के कमजोर होने के

रुपए का कमजोर होने का एक कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था है। इसमें डॉलर काफी मजबूत हो गया है जो की 10 ईयर उसे काफी ऊपर हो गया है यूएन के दामों में गिरावट आई है कच्चे तेल के दाम बहुत बढ़ गए हैं। एफपीआईएस की तरफ से भारी वाली भी इसका एक मुख्य कारण है।कमजोर ग्लोबल संकेत, मजबूत डॉलर इंडेक्स, US 10-ईयर यील्ड काफी ऊपर, युआन में गिरावट के साथ क्रूड के बढ़ते दाम और FPIs की तरफ से भारी बिकवाली को इसका कारण माना जा रहा है।

पिछले साल थी रुपया सबसे मजबूत मुद्रा

2024 में रुपया एशिया की सबसे मजबूत मुद्रा बनकर उभरी थी। पिछले साल रूपया अपनी हाई कैरी यील्ड के कारण एक पॉप्युलर ट्रेंड करेंसी बन गई थी।

जारी रह सकती है रुपए की अस्थिरता

विशेषज्ञों के अनुसार रुपए में अस्थिरता अभी और आएगी। संजय मल्होत्रा वर्तमान गवर्नर है। संजय मल्होत्रा के गवर्नर बनने के बाद आरबीआई के दृष्टिकोण में परिवर्तन की उम्मीदें लगाई जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार आरबीआई अगर मुद्रा को थोड़ा ज्यादा फ्लेक्सिबल करती है तो लॉन्ग टर्म स्टेबिलिटी के लिए शॉर्ट टर्म अनिश्चितता स्वीकार्य होगी। कुछ एनालिस्ट का सुझाव है कि आरबीआई करेंसी की गतिविधियों में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी की अनुमति दे सकता है, तथा लॉन्ग- टर्म स्टेबिलिटी के पक्ष में शॉर्ट-टर्म वोलैटिलिटी को स्वीकार कर सकता है।

क्या होगा अगर रुपया और कमजोर हुआ तो

होगा बजट और निवेश कमजोर रुपए की कमजोर होने से भारतीय घरों में बजट और निवेश पर असर पड़ सकता है। रुपए के कमजोर होने का सीधा असर आयात पर पड़ेगा। आयात होने वाले मशीनों के यंत्रों, कल पुर्जो, कच्चे माल  के मूल्य पर भी असर पड़ सकता है। हमारे देश का 80% ईंधन विदेश से आयात होता है। रुपए की कीमत घटने से कच्चा तेल मंगवाना और महंगा हो जाएगा। ईंधन के महंगे होने से हर चीज के महंगे होने के आसान नजर आ रहे हैं।

विदेश में पढ़ाई होगी महंगी

जिन लोगों के बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं या उन्हें पढ़ने के लिए भेजना है उन पर अब खर्चा और ज्यादा लगने वाला है। डॉलर महंगे होने का अर्थ है कि आपके रुपए ज्यादा खर्च होंगे। रुपए के कमजोर होने का अर्थ है कि आपको और पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इन दोनों तरीकों से ही आप को और खर्च करना पड़ेगा।

पड़ेगा बाजार कारोबार और व्यावसाय पर असर

रुपए के कमजोर होने अंतरराष्ट्रीय बाजार से आपको चीज ज्यादा कीमत पर मिलेगी क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने से आपको कच्चा माल ज्यादा कीमत पर मिलेगा जिसके कारण आपकी लागत ज्यादा आएगी और आपको मुनाफे में कटौती करनी पड़ेगी। 

 

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