Saturday, February 22, 2025
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अमेरिका से 104 भारतीयों की वापसी: पंजाब की युवती का सपना टूटा

अमेरिका से निर्वासन: एक सफर जो अधूरा रह गया

अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर में उतरा, जिसमें 104 भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से प्रवेश करने के कारण देश से निकाल दिया गया था। इन्हीं में शामिल थीं 26 वर्षीय सुखजीत कौर, जो पंजाब के वेरपाल गांव की रहने वाली हैं। अमेरिका में अपने मंगेतर से शादी करने और नई जिंदगी शुरू करने का सपना लेकर निकलीं सुखजीत को वहां हिरासत में ले लिया गया और अन्य 103 लोगों के साथ वापस भारत भेज दिया गया।

सुखजीत के लिए यह एक गहरा आघात था। उनके पिता, काबुल सिंह, इटली में रहते हैं, जबकि उनकी मां और भाई पंजाब में हैं। उनके परिवार के लिए यह निर्वासन किसी बड़े झटके से कम नहीं था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुखजीत भी उन कई लोगों में से एक थीं, जो एक एजेंट के झांसे में आकर अमेरिका पहुंचीं, लेकिन कानूनी दस्तावेजों के अभाव में उन्हें वापस भेज दिया गया।

वित्तीय संकट: असफलता की भारी कीमत

इस मानसिक पीड़ा के साथ-साथ सुखजीत के परिवार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ गया है। अमेरिका जाने के लिए एजेंट को भारी रकम दी गई थी, लेकिन यह सफर उन्हें सिर्फ नुकसान और निराशा दे गया।

जिस सैन्य विमान से वह वापस आईं, वह उन भारतीयों के पहले बैच का हिस्सा था, जिन्हें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सख्त आव्रजन नीति के तहत निर्वासित किया गया। 104 लोगों में से 33 हरियाणा, 33 गुजरात, 30 पंजाब, 3 महाराष्ट्र, 3 उत्तर प्रदेश और 2 चंडीगढ़ से थे, पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार।

इन निर्वासित लोगों के परिवार अब भारी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका भेजने के लिए ₹30 लाख से ₹50 लाख तक खर्च किए, लेकिन उनके प्रियजन वहां टिक भी नहीं सके। इनमें से कई लोगों ने शरण लेने के लिए आवेदन भी नहीं किया था, बल्कि एजेंटों की झूठी बातों पर भरोसा कर अवैध तरीके से अमेरिका जाने का फैसला किया।

सरकारी मदद: क्या राहत मिलेगी?

इस संकट को देखते हुए, पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने समर्थन का आश्वासन दिया है। सरकार अब उन लोगों के लिए बैंकों से कर्ज माफी पर चर्चा कर रही है, जिन्होंने इस यात्रा के लिए भारी रकम उधार ली थी।

सुखजीत अब अपने गांव लौट आई हैं, लेकिन उनके सामने भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता है। वह उन हजारों युवाओं में से एक हैं, जिन्होंने बेहतर जिंदगी की उम्मीद में सब कुछ दांव पर लगा दिया, लेकिन हाथ सिर्फ निराशा लगी।

एक और ठगी का शिकार: जसपाल सिंह की कहानी

सुखजीत अकेली नहीं हैं, जिन्हें इस त्रासदी का सामना करना पड़ा। गुप्तसर जिले के हारडोरवाल गांव के जसपाल सिंह भी अमेरिका से निर्वासित कर वापस भेजे गए। उन्होंने बताया कि उन्हें एक एजेंट ने कानूनी रूप से अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन बाद में धोखा दे दिया।

“मैंने एजेंट से साफ कहा था कि मुझे वैध वीज़ा के साथ भेजो,” जसपाल ने बताया। “लेकिन उसने मुझे ठग लिया। इस सौदे में ₹30 लाख का भुगतान किया गया था।”

जसपाल की तरह कई अन्य लोग भी गलत लोगों पर भरोसा कर बैठे और इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी—न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी।

अब जब ये निर्वासित भारतीय अपने घर लौट चुके हैं, उनकी कहानियां अवैध प्रवास के खतरों की एक कड़वी सच्चाई बयान कर रही हैं। उनके लिए अमेरिका का सपना अब एक भयानक वास्तविकता में बदल चुका है—जिसमें सिर्फ कर्ज, नुकसान और एक अनिश्चित भविष्य बाकी है।

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